युवाओं को कट्टरपंथी विचारधारा से दूर करने के लिए समुदाय के सदस्यों का सहयोग लेने, कट्टरपंथी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म की निगरानी करने और सही समय पर सूचना साझा करने जैसे कदम उठाने पर सरकार विचार कर रही है। केंद्रीय गृह सचिव एलसी गोयल की अध्यक्षता में शनिवार को हुई एक
उच्चस्तरीय बैठक में आइएस जैसी कट्टरपंथी विचारधारा को निष्क्रिय करने की रणनीति को औपचारिक रूप दिया गया जिसने पूरी दुनिया में हजारों युवकों को प्रभावित किया है। चरमपंथ विरोधी प्रयास में युवाओं की काउंसलिंग, समुदाय के बुजुर्ग सदस्यों द्वारा युवा पीढ़ी को अतिवादी विचारधारा से प्रभावित नहीं होने के लिए मनाया जाना आदि शामिल है।
आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि इस बात पर भी ध्यान दिया जाएगा कि आइएस जैसे समूहों में शामिल होने की योजना बना रहे युवकों के बारे में रिपोर्ट पर कैसे त्वरित कदम उठाए जाएं और कैसे भारतीय युवकों को चरमपंथी विचारधारा से प्रभावित होने से बचाया जाए। बैठक में जम्मू कश्मीर, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, महाराष्ट्र, केरल, असम, पंजाब, पश्चिम बंगाल और दिल्ली (पुलिस आयुक्त) सहित एक दर्जन राज्यों के डीजीपी और गृह सचिव या उनके प्रतिनिधि शामिल हुए।
एक सूत्र ने कहा कि भारतीय युवकों को कट्टरपंथी बनने से रोकने के लिए हम ठोस व्यवस्था बनाने की प्रक्रिया में हैं। एक आधिकारिक अनुमान के मुताबिक देश भर में करीब 25 युवकों की पहचान की गई है जो आइएस की विचारधारा से प्रभावित हैं और समूह में शामिल होना चाहते हैं।
गृह मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि अंदरूनी सुरक्षा चुनौतियों और उभरते खतरे से राज्यों को वाकिफ कराने के लिए बैठक हुई। यह बैठक सूचनाओं को साझा करने की व्यवस्थागत प्रणाली को और दुरूस्त करने और आतंकवाद से मिलने वाली चुनौतियों का ठोस तरीके से सामना करने के लिए बुलाई गई थी। बैठक में निर्णय किया गया कि केंद्रीय खुफिया और सुरक्षा एजंसियों की तरफ से प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन कर राज्य के पुलिस अधिकारियों की क्षमता बढ़ाई जाए।
बयान में कहा गया कि कुछ राज्यों में युवकों में कट्टरपंथी रुझान के मामले सामने आए। ऐसे युवकों और उनके परिजनों की काउंसलिंग सहित कट्टरपंथ से लड़ने को लेकर उपयुक्त कदम उठाने पर भी चर्चा हुई। इसमें बताया गया कि आतंकवादियों और अपराधी संगठनों की तरफ से चलाए जा रहे संदिग्ध सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के विश्लेषण के तौर…तरीकों पर भी गौर किया गया।
हाल में तेलंगाना में 17 युवकों को सीरिया जाने से रोका गया। महाराष्ट्र में भी चार युवकों को पश्चिम एशिया जाने से रोका गया। सूत्रों ने बताया कि हालांकि किसी भी युवक को गिरफ्तार नहीं किया गया लेकिन उन पर नजर रखी जा रही है। उनकी काउंसलिंग कराई गई और अब वे सामान्य जीवन बिता रहे हैं। महाराष्ट्र और तेलंगाना में आइएस संबंधी मामलों को देखने के लिए एक प्रारूप बना है। कुछ मामलों में गिरफ्तारियां हुई हैं लेकिन एजंसियों का मानना है कि गिरफ्तारी पहला विकल्प नहीं होना चाहिए।
सूत्रों ने कहा कि सोशल मीडिया की निगरानी शुरू हो चुकी है और मुसलिम समुदाय का विश्वास हासिल करने के प्रयास किए जाएंगे। अभी तक आइएस में शामिल होने वाले 11 भारतीयों की पहचान हुई है। इनमें से पांच जंग में मारे जा चुके हैं।
खास बातें
* आइएस के साइबर दुष्प्रचार पर रखी जाएगी नजर
* राज्यों के पुलिस अफसरों की क्षमता बढ़ाने के लिए खुफिया एजंसियां देंगी प्रशिक्षण * अब तक 21 युवकों को सीरिया जाने से रोका
* कट्टरपंथी युवाओं की गिरफ्तारी के बजाय काउंसलिंग पर होगा जोर