Ghazwa-e-Hind: गजवा-ए-हिन्द क्या है इसके बारे में मुस्लिम धर्म के जानकार वकील रिजवान अहमद ने इंडिया टीवी के एक डिबेट शो में बताया क्या है इस्लाम का एजेंडा उन्होंने बताया कि हिन्दुओं की तुलना में मुसलमानों की ग्रोथ तेजी से हो रही है। जब उनसे ये पूछा गया, कि क्या गजवा-ए-हिन्द के मुताबिक आप ये चाहते हैं कि धरती पर हर जगह मुसलमान ही हों? तो इस पर जवाब देते हुए रिजवान अहमद ने बताया कि एक होता है जैसे हिन्दुज्म के लिए जैसे दो तरह के लीजेंड्स फेस बंटे हुए हैं। इनमें से एक धर्मांतरण में यकीन रखता है पॉलीसाइजन में और दूसरा नहीं करता है जैसे ज्यूस नहीं करते हैं।

हिन्दुज्म में सनातन में कभी ऐसा कॉन्सेप्ट ही नहीं था कि दूसरे का धर्मांतरण करो। सबसे पहले ये क्रिस्चियानिटी में था और उससे भी पहले आया ये बुद्धिज्म से दूसरे का धर्मांतरण करो। बहुत से लोग ये कहते हैं ब्राह्मनिज्म सुपीरियर होते हैं इस मामले को लेकर बुद्धिज्म और ब्राह्मनिज्म में संघर्ष हुआ था। तो कुछ ऐसे ही धर्म हैं जो धर्मांतरण में यकीन रखते हैं और इस्लाम और क्रिश्चियानिटी धर्म के लोग ऐसा करते हैं।

क्या पूरी दुनिया में इस्लाम ही होना चाहिए

जब एंकर ने उनसे ये पूछा कि क्या इस्लाम का धर्मांतरण ये सोच कर किया जाता है कि पूरी दुनिया में केवल इस्लाम धर्म ही होना चाहिए तो उन्होंने बताया कि बिलकुल ये हमारा (मुस्लिम का) मानना होता है कि अगर हम घड़ी से देखें कि 24 घंटे में कहीं न कहीं हर समय अजान होता रहता है यहां मैं आपके साथ बैठा हूं लेकिन दुनिया के किसी न किसी कोने में अजान हो रही होगी। मुस्लिम इस बात को लेकर काफी गर्व महसूस करते हैं कि उनकी अजान 24X7 चलती रहती है। इस्लाम धर्म में एक बात तो तय है कि वो धर्मांतरण और इस्लाम को सबसे बेहतर मानता है इसके लिए वो आपको कैसे राजी करता है वो माध्यम अलग हो सकता है चाहे वो हिंसा का रास्ता हो, चाहे वो आपको धमका कर करे, चाहे वो आपको लालच देकर कहे या फिर किसी और तरीके से करवाए एजेंडा एक ही है इस्लाम सबसे बेहतर।

अब धर्मांतरण का तरीका बदल गया

अगर आप किसी आम मुसलमान से इस्लाम के बारे में बताओगे तो वो कभी इसका विरोध नहीं करेगा ज्यादा से ज्यादा वो चुप रहेगा या समर्थन करेगा लेकिन विरोध तो कभी नहीं करेगा। रिजवान अहमद ने आगे बताया कि समय के साथ गजवा-ए-हिन्द की परिभाषा बदली है कभी तलवार के साथ हुआ, कभी लालच से हुआ, कभी सूफिज्म के पैगाम की वजह से हुआ लेकिन आज के दौर में ये कॉन्सेप्ट चेंज होगा इसको आप यूरोप, लंदन, ब्रिटेन और भारत में देख सकते हैं। अब ये लोकतांत्रिक तरीके से हो चुका है जिसके मुताबिक हम इस्लाम फैलाएंगे और आपके संविधान के दायरे में रहकर फैलाएंगे। इसका ये मतलब नहीं है कि इस्लामिक मुल्क होगा। आपने देखा होगा कि जब 1947 में भारत पाकिस्तान का बंटवारा हुआ था तब मुस्लिमों की आबादी कोई 55 प्रतिशत तो नहीं थी कोई 24 फीसदी रही होगी।