तीन राज्यों में चुनाव जीतने के बाद BJP ने वहां के लिए नए मुख्यमंत्री और डिप्टी सीएम भी तय कर दिए हैं। नए मुख्यमंत्रियों और डिप्टी सीएम के नाम दर्शाते हैं कि बीजेपी ने समाज के निचले पायदान पर मौजूद जातियों को अपनी तरफ आकर्षित करने का प्रयास कर रही है। कांग्रेस और तमाम विपक्षी दलों की जातिगत जनगणना की मांग के बीच बीजेपी को OBC, SC और ST वर्ग को ज्यादा प्रतिनिधित्व देने का मौका मिला है।
बीजेपी ने किसे चुना?
छत्तीसगढ़ को विष्णुदेव साय के रूप में पहला आदिवासी सीएम मिलने जा रहा है। राज्य की अगली सरकार में डिप्टी सीएम बनने जा रहे अरुण साव ओबीसी तेली समुदाय जबकि दूसरे डिप्टी सीएम बनने जा रहे विजय शर्मा ब्राह्मण समुदाय से आते हैं। विजय शर्मा ने कांग्रेस पार्टी के मोहम्मद अकबर को मात दी।
मध्य प्रदेश के अगले सीएम मोहन यादव ओबीसी समुदाय से संबंध रखते हैं। राज्य के एक डिप्टी सीएम जगदीश देवड़ा दलित और दूसरे राजेंद्र शुक्ला ब्राह्मण समुदाय से आते हैं। राजस्थान में बीजेपी ने भजनलाल शर्मा को सीएम चुना है। प्रेमचंद बैरवा (दलित चेहरा) यहां डिप्टी सीएम पद संभालेंगे। राज्य की दूसरी डिप्टी सीएम दीया कुमारी राजपूत समुदाय से संबंध रखती हैं।
क्यों बीजेपी नहीं मान रही कोई दबाव?
एमपी और छत्तीसगढ़ में बीजेपी ने टॉप तीन पदों में से दो OBC, SC या ST को दिए हैं। यह शायद पहला मौका है, जब बीजेपी ने अपर कास्ट को ‘साइड’ करने में ज्यादा विचार नहीं किया। ऐसा तब है, जब अपर कास्ट बीजेपी के सपोर्ट बेस का एक बड़ा हिस्सा बनाती है। इसके पीछे एक यह धारणा बताई जा रही है कि जाति जनगणना से सामान्य वर्ग के लिए मौजूद सरकारी सीटों में कमी आएगी, इसी वजह से इन गुप्स ने बीजेपी को अपनी रणनीति में बदलाव करने और शीर्ष राजनीतिक स्तरों पर हाशिए पर रहने वाले समूहों को अधिक प्रतिनिधित्व आसानी से देने दिया।
बीजेपी के एक नेता कहते हैं कि एक राजनीतिक प्रतिनिधित्व होता है और एक सरकारी नौकरियों में प्रतिनिधित्व। अपर कास्ट को तब तक चिंता नहीं होगी, जब तक सीधे तौर पर उनके परिवार प्रभावित न हों। जातिगत जनगणना और आबादी के हिसाब से प्रतिनिधित्व की मांग उन्हें प्रभावित करती है। वो कांग्रेस से पहले ही अलग हो चुके हैं और बीजेपी के रूप में उस पार्टी को देखते हैं जो मौजूदा रिजर्वेशन में ज्यादा बदलाव करने के फेवर में नहीं है।
वो आगे कहते हैं कि क्योंकि अपर कास्ट बीजेपी के करीब है, इसलिए यह OBC, SC और ST के लिए ज्यादा प्रतिनिधित्व देकर विपक्ष की जातिगत राजनीति के गेम को पलट सकती है। OBC, SC और ST ग्रुप्स को यह पसंद आएगा और अपर कास्ट को इससे कोई समस्या नहीं होगी। इस गेम में कांग्रेस पार्टी को दोनों तरफ से नुकसान ही होगा।
कांग्रेस के लिए अतीत बोझ से कम नहीं
तंज के रूप में कांग्रेस के एक नेता कहते हैं, “कौन कहता है कि राहुल जी की ओबीसी पिच काम नहीं कर रही? यह बीजेपी के अंदर मौजूद ओबीसी के लिए काम कर रही है।” बीजेपी खुद इस मसले पर कांग्रेस पर हमलावर है। संसद में अमित शाह पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकारों पर 1950 के काका कालेलकर आयोग और मंडल कमीशन का जिक्र कर ओबीसी विरोधी होने का आरोप लगा चुके हैं। वह यह भी कह चुके हैं कि पूर्व पीएम राजीव गांधी ने मंडल कमीशन के प्रस्तावों को सदन में लागू करने का विरोध किया था।