Utयात्रियों को फर्जी टिकट और एजेंट बनकर ठगने वाले जालसाजों से बचाने के लिए भारतीय रेलवे ने हाल ही कुछ अहम कदम उठाए हैं। संसद के निचले सदन यानी कि लोकसभा में रेल मंत्री पीयूष गोयल ने एक सवाल के लिखित जवाब में कहा कि रेलवे अधिनियम, 1989 की धारा 143 के तहत ट्रेनों के अवैध टिकटों का कारोबार करना अपराध है। जो भी इसमें दोषी पाया गया, उसके खिलाफ नियमों के तहत कड़ी कार्रवाई की जाएगी। मंत्री ने इसके अलावा आगे उन सात कदमों के बारे में भी बताया, जो कि रेलवे की केटरिंग और टूरिज्म इकाई आईआरसीटीसी ने हाल ही में इस प्रकार के फर्जीवाड़े पर नकेल कसने के लिए उठाए हैं। जानिए इन छह कदमों से आप पर क्या और कैसे पड़ेगा असरः
1- एक नंबर और ई-मेल आईडी के जरिए कोई भी व्यक्ति सिर्फ एक ही आईआरसीटीसी यूजर आईडी बना सकेगा।
2- रेलवे ने सीमा तय कर दी है कि प्रति माह एक यूजर सिर्फ छह रेल टिकट ही बुक कर पाएगा। हालांकि, यह सीमा उन लोगों के लिए 12 टिकटों की होगी, जिन्होंने अपनी यूजर आईडी को आधार से लिंक कर रखा होगा।
3- आईआरसीटीसी वाली यूजर आईडी रोजाना चेक की जाएंगी और फास्ट बुकिंग जैसी गतिविधियां करते पाए जाने पर उन्हें डिएक्टिवेट कर दिया जाएगा। बता दें कि एक अप्रैल, 2018 से 31 मई, 2019 के बीच लगभग 1.26 लाख यूजर आईडी निष्क्रिय कर दी गई थीं।
4- शुरुआती मिनटों में बुक किए गए तत्काल टिकट को रोजाना चेक किया जाएगा और शक की स्थिति में उन्हें कैंसल कर दिया जाएगा।
5- आठ बजे से 12 बजे के बीच सिर्फ एक यूजर लॉग इन आईडी पर एक ही बुकिंग कराई जा सकेगी।
6- एडवांस रिजर्वेशन पीरियड (एआरपी) बुकिंग के दौरान अधिकृत आईआरसीटीसी एजेंट्स को टिकटों के साथ तत्काल टिकटें बुक करने से रोका जाएगा।
रेल मंत्री ने आगे यह भी दावा किया कि फर्जी टिकट जारी करने जैसी गतिविधियों को रोकने के लिए बड़े स्तर पर स्क्रिप्टिंग सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल होगा। साथ ही पीआरएस सेंटरों, प्लैटफॉर्मों, बुकिंग ऑफिसों और ट्रेनों आदि में समय-समय पर चेंकिंग अभियान चलाए जाएंगे। गोयल के मुताबिक, 2017 में 1,261 ठगों को गिरफ्तार किया गया था, जबकि 11,500 ई-टिकट जब्त किए गए थे। वहीं, 2018 में कुल 2,391 जालसाज दबोचे गए थे, जिनसे 78,001 ई-टिकटें बरामद किए गए थे।