(Yashee)

जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 और विशेष राज्य का दर्जा समाप्त करने के बाद कई पाबंदिया लगाई गई। नेताओं को नजरबंद कर दिया गया और भारी पुलिसबल तैनात कर दिया गया। कई दिनों तक व्यापार ठप रहा और घाटी एकदम शांत हो गई। प्रशासन ने इंटरनेट पर भी बैन लगा दिया था। इतनी सारी पाबंदियों और रातों-रात बदले माहौल के बीच कश्मीर के एक लड़के ने इनोवेशन कर सबका ध्यान अपनी ओर खींचा है।

जून 2019 में, श्रीनगर के बर्न हॉल स्कूल के चार छात्रों ने एक साइंस प्रोजेक्ट पर काम करना शुरू किया। सात महीने बाद उनके द्वारा बनाए गए कार्बन स्मोक अब्जॉर्बर को 107वें भारतीय विज्ञान कांग्रेस (आईएससी) में प्रदर्शित किया गया। जिसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया। बिना इंटरनेट इस उपलब्धि को हासिल करने पर बर्न हॉल में साइंसी की टीचर नजमा नजीर ने स्टूडेंट्स की जमकर तारीफ करते हुए कहा ‘कश्मीरियों ने करना सीख लिया है। हम हमेशा इंटरनेट पर भरोसा नहीं कर सकते हैं, हमारे छात्रों को किताबें पढ़ने की आदत है। हमने इस प्रोजेक्ट के लिए संसाधनों का इस्तेमाल किया। परियोजना के लिए, स्कूल में कई विज्ञान शिक्षकों ने विचार-विमर्श किया। छात्रों ने भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।’

अपनी टीम का नेतृत्व और आईएससी इवेंट के लिए बेंगलुरु की यात्रा करने वाले 9 वीं कक्षा के छात्र नुमैर मुजफ्फर वानी कहते हैं ‘5 अगस्त के बाद, हमने सोचा कि इवेंट को राज्य में रद्द कर दिया जाएगा। किसी तरह की पुष्टि, या एक-दूसरे से बात करने का कोई तरीका नहीं था।’

इस बीच अक्टूबर में स्कूल को सूचना मिली कि इवेंट जारी रहेगा। यह वह समय था जब कक्षाएं शुरू नहीं हुई थीं, और लैंडलाइन सहित फोन कनेक्शन काम नहीं कर रहे थे। स्कूल के प्रिंसिपल फादर सेबेस्टियन नागथुंगल ने कहा कि हमें असमंजस में थे कि बच्चों तक यह सूचना कैसे पहुंचाई जाए। सड़क के बंद होने और अनिश्चितता और भय के साथ, कहीं भी जाना आसान नहीं था। हम आखिरकार किसी को नुमेर के घर भेजने में कामयाब रहे, जिसने दूसरों को सूचित किया और फिर वे स्कूल में एक साथ एकत्रित हो गए।’

नुमेर कहते हैं ‘एक बार जब हम मिले, तो हमने अपने असाइनमेंट बांट दिए। मेरे पिता काम के लिए जम्मू जाते थे तो वह एक पेन ड्राइव ले जाते थे और मुझे अपने जरुरत के आर्टिकल मिल जाते थे। मेरे दोस्त, हनान वानी, मुईद निसार और अहमद पठान ने भी अपने काम को पूरा किया।’

नुमेर आगे कहते हैं ‘कार्बन स्मोक अब्जॉर्बर एक प्रदूषण-रोधी उपकरण है। श्रीनगर में 55 प्रतिशत प्रदूषण हमाम पत्थर के कमरों की वजह से होता है। इन कमरों में लोग गर्मी के लिए लकड़ी जलाते हैं। हमारा उपकरणा हमाम चिमनी के लिए है। इसमें धुएं को सोकने के लिए एक निकास पंखा है, और फिर एक सक्रिय चारकोल और अखरोट के गोले से भरी इकाई है, जो कार्बन डाइऑक्साइड और कार्बन मोनोऑक्साइड को अवशोषित कर सकती है। उपकरणा में शामिल की गई इन चीजों से वायुमंडल में छोड़ा गया धुआं प्रदूषण को कम करता है।’

नजीर कहती हैं ‘उन्हें पीवीसी पाइप, हॉट ग्लू, 12 वॉट की बैटरी, वायर गेज और एग्जॉस्ट फैन की जरूरत थी। लेकिन प्रतिबंध के बीच यह सब खरीदना एक चुनौती थी। बच्चों के इस प्रोजेक्ट को राष्ट्रीय कांग्रेस से पहले जिला और राज्य-स्तरीय प्रतियोगिता से गुजरना था। जिला स्तरीय प्रतियोगिता को तो रद्द कर दिया गया था, लेकिन राज्य-स्तरीय प्रतियोगिता को नवंबर में जम्मू में आयोजित किया गया था।