अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर देश में सियासत गरमाई हुई है। इस बीच, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पदाधिकारी इंद्रेश कुमार ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट के तीन सदस्यीय बेंच पर हमला बोला और उस पर जमीन के मालिकाना हक से जुड़े केस में देरी करने का आरोप लगाया। इंद्रेश का दावा है कि केंद्र सरकार राम मंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद पर कानून लाने के लिए तैयार है लेकिन विधानसभा चुनाव में लागू मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट की वजह से चुप है। उन्होंने कहा, ‘हो सकता है कि आदेश लाने के खिलाफ कोई सिरफिरा सुप्रीम कोर्ट जाएगा, तो आज का चीफ जस्टिस उसे स्टे भी कर सकता है।’
दरअसल, इंद्रेश ‘जन्मभूमि में अन्याय क्यों’ नाम के सेमिनार में संबोधित कर रहे थे। इस सेमिनार का आयोजन पंजाब यूनिवर्सिटी के कैंपस में जोशी फाउंडेशन की तरफ से किया गया था। अयोध्या केस से जुड़े मामले को सीजेआई की अगुआई वाली बेंच द्वारा जनवरी तक टालने का जिक्र करते हुए इंद्रेश ने कहा, ‘मैंने नाम नहीं लिया है क्योंकि 125 करोड़ भारतीय उनके नाम जानते हैं…तीन सदस्यीय बेंच…उन्होंने देर की…।’ इंद्रेश ने यहां तक कहा कि क्या देश ‘इतना अपंग हो चुका है’ कि ‘दो-तीन’ जज इसकी आस्था, लोकतंत्र, संविधान और मूलभूत अधिकारों को दबा दें। इंद्रेश ने आगे कहा, ‘क्या हम और आप असहाय होकर देखते रहेंगे? क्यों और आखिर किसलिए? जो आतंकवाद को अर्धरात्रि में सुन सकते हैं, वो शांति का अपमान और उपहास कर दे।…यहां तक कि अंग्रेजों की भी न्यायिक प्रक्रिया के साथ ऐसा अत्याचार करने की हिम्मत नहीं थी।’
उन्होंने कहा, ‘क्या यह गंभीर मामला नहीं है? हमने उस दिन भारतीय न्यायिक व्यवस्था का काला दिन देखा जब लोगों की आस्था का अपमान करते हुए न्याय देने से इनकार किया गया और इसमें देरी की गई। सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा नहीं किया। जजों ने ऐसा नहीं किया। न्यायिक प्रक्रिया ने ऐसा नहीं किया। न्याय ने ऐसा नहीं किया। लेकिन, कुछ लोगों ने ऐसा किया।’ इंद्रेश ने दावा किया कि ‘दो-तीन’ जजों के खिलाफ गुस्सा है। उन्होंने कहा, ‘सभी न्याय की आस लगाए बैठे हैं। लेकिन न्यायपालिका, जज और न्याय का दो या तीन जजों की वजह से अपमान हुआ है। इसकी जल्द सुनवाई होनी चाहिए थी। समस्या क्या है? नहीं तो सवाल उठेंगे, अगर वे न्याय देने के लिए तैयार नहीं तो उन्हें सोचना चाहिए कि वे जज बने रहना चाहते हैं या इस्तीफा देते हैं?’