देश का सबसे स्वच्छ शहर इंदौर अब नए अभियान की ओर अग्रसर हो गया है। जिला प्रशासन ने इस अभियान को लेकर इंदौर को देश का पहला भिक्षावृत्ति मुक्त शहर बनाने की ओर बढ़ रहा है। इसके लिए जिला प्रशासन ने शहर को भिक्षावृति मुक्त बनाने के लक्ष्य से जुड़ी अनूठी इनामी योजना शुरू की है। इस योजना का लाभ लेने के लिए स्थानीय लोग भिखारियों के बारे में प्रशासन को फोन करके सूचना दे रहे हैं।
अधिकारियों ने बताया कि प्रशासन ने शहर में भीख लेने के साथ ही भीख देने और भिखारियों से कोई सामान खरीदने पर कानूनी रोक लगा दी है और इस प्रतिबंध के उल्लंघन पर कार्रवाई का प्रावधान किया है। अधिकारियों के मुताबिक, प्रशासन के दो जनवरी को जारी प्रतिबंधात्मक आदेश में भिक्षावृत्ति की सही सूचना देने वाले व्यक्ति को प्रोत्साहन राशि के रूप में 1,000 रुपए का इनाम देने की घोषणा भी की गई है। उन्होंने बताया कि भिखारियों के बारे में प्रशासन को सूचना देने के लिए एक मोबाइल नंबर भी जारी किया गया है।
लोगों ने फोन करके दी भिखारियों की जानकारी
जिलाधिकारी आशीष सिंह ने बताया कि पिछले चार दिनों में करीब 200 व्यक्तियों ने इस नंबर पर फोन करके प्रशासन को भिखारियों के बारे में सूचना दी है जिनमें से 12 लोगों की सूचना जांच में सही पाई गई है। उन्होंने बताया, ‘इन 12 में से छह लोगों को सोमवार को जिलाधिकारी कार्यालय बुलाकर उन्हें 1,000-1,000 रुपए की प्रोत्साहन राशि दी गई। अिधिकारियों ने बताया कि भिक्षावृत्ति के खिलाफ प्रशासन के जारी प्रतिबंधात्मक आदेश का उल्लंघन करने वाले लोगों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 223 के तहत प्राथमिकी दर्ज की जाएगी। इस कानूनी प्रावधान के तहत दोषी को एक वर्ष तक के कारावास या 5,000 रुपए तक के जुर्माने या दोनों सजाओं से दंडित किया जा सकता है।
अधिकारियों के मुताबिक, गुजरे चार महीनों के दौरान शहर में भिक्षावृत्ति में शामिल करीब 400 लोगों को पुनर्वास के लिए एक आश्रय स्थल भेजा गया है, जबकि 64 बच्चों को बाल देखरेख संस्थान पहुंचाया गया है। जिलाधिकारी आशीष सिंह ने बताया कि पिछले चार दिनों में करीब 200 व्यक्तियों ने इस नंबर पर फोन करके प्रशासन को भिखारियों के बारे में सूचना दी है जिनमें से 12 लोगों की सूचना जांच में सही पाई गई है।
