लद्दाख में भारतीय सेना के 20 जवानों की शहादत पर सवाल उठाने के लिए सत्ताधारी भाजपा विपक्षी पार्टी कांग्रेस और इसके नेताओं की आलोचना कर रही है। भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कांग्रेस पर गैरजिम्मेदार विपक्षी पार्टी होने का आरोप लगाया और कहा कि इसके नेता देश और इसके सैनिकों का मनोबल गिरा रहे हैं। वहीं केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राहुल गांधी से तुच्छ राजनीति से ऊपर उठने की सलाह दी है। लेकिन गौरतलब है कि जब यूपीए की सरकार सत्ता में थी तो खुद भाजपा कई बार चीन के मुद्दे पर सरकार को घेरने की कोशिश कर चुकी है।
साल 2004 से लेकर 2014 तक भाजपा ने चीन से सीमा विवाद के मुद्दे पर कई राजनैतिक संकल्प पत्र जारी किए थे। इतना ही नहीं भाजपा के प्रतिनिधिमंडल ने कई बार प्रेस कॉन्फ्रेंस कर मनमोहन सिंह सरकार पर निशाना साधा था। जून 2013 में पणजी में आयोजित हुई राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में भाजपा ने एक संकल्प पत्र “सुरक्षा और स्वाभिमान” पास किया था।
इस संकल्प पत्र में कहा गया था कि “हमारे मछुआए दक्षिणी सागर में पकड़े जा रहे हैं, उत्तरी सीमा पर हमारे सैनिकों के सिर काटे जा रहे हैं। हमारी चीन से लगती सीमाओं का कई बार उल्लंघन किया जा रहा है। ताजा मामले में चीन के सैनिक भारतीय सीमा में करीब 19 किलोमीटर तक घुस आए हैं और करीब एक माह से वहां ठहरे हुए हैं। भारत के स्वाभिमान को ठेस पहुंचायी जा रही है। केन्द्र में हमारी सरकार केवल अपने नागरिकों को दिलासा दे रही है।”
जून 2009 में भाजपा ने एक संकल्प प्रस्ताव पास कर कहा था कि “सरकार को चीन द्वारा अरुणाचल प्रदेश पर अपना दावा जताने पर अन्तरराष्ट्रीय फोरम पर जाना चाहिए। इसमें ये भी कहा गया था कि चीन द्वारा लद्दाख में घुसपैठ की खबर है। ऐसे में भाजपा की मांग है कि सरकार देश को विश्वास में ले और स्थिति की सच्चाई बताए।”
मौजूदा केन्द्रीय मंत्री और साल 2009 में भाजपा के प्रवक्ता रहे रविशंकर प्रसाद ने भी उस वक्त एक बयान जारी कर चीनी घुसपैठ पर कांग्रेस सरकार को घेरा था। उल्लेखनीय है कि भाजपा ने यूपीए कार्यकाल में चीन सीमा पर अपना एक प्रतिनिधिमंडल भी भेजा था, ताकि चीनी घुसपैठ की सही तस्वीर पता चल सके। इस प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व भाजपा नेता और अब महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने किया था।
भाजपा के इस प्रतिनिधिमंडल में शामिल रहे राजीव प्रताप रूडी ने कहा था कि “यूपीए सरकार देश की सीमाओं की रक्षा करने में असफल रही है। सरकार इस पूरे मामले पर बात करने में इतनी हिचक क्यों रही है?”