भारत में पैदा हो रहे शिशु के स्वस्थ होने की पहचान के लिए जल्द स्वदेशी आधार तय होंगे। नए मानक तय करने के लिए जन्म से दो वर्ष तक बच्चों का शारीरिक और मानसिक विकास के आकलन किया जाएगा। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) की पहल पर ‘भारतीय बाल विकास मानक अनुसंधान पहल’ के अंतर्गत ‘उन्नति’ (भारतीय बच्चों के विकास एवं वृद्धि आकलन के मानकों का उन्नयन) नामक राष्ट्रीय अध्ययन शुरू हुआ है।

मौजूदा समय में बच्चों के सामाजिक व मानसिक वृद्धि और विकास के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा बनाए गए मानक को आधार बनाया जाता है। जो करीब दो दशक पहले बनाए गए थे। तब से शिशु पोषण, स्तनपान की अवधि, पूरक आहार तथा पालन-पोषण से जुड़ी वैज्ञानिक समझ में काफी बदलाव आए हैं। नए मानक पूरी तरह से भारतीय भौगोलिक आधार पर रहेगा। इसके साथ ही भारतीय बच्चों में पतला शरीर लेकिन अधिक वसा की प्रवृत्ति, बढ़ता मोटापा और चयापचय संबंधी रोगों का खतरा भी एक बड़ी चुनौती है।

2025 में विदेश घूमने की कमान युवाओं के हाथ, 10 में से 9 यात्राएं मिलेनियल्स और जेन-जी ने कीं, बदला भारत का ट्रैवल ट्रेंड

इन सभी पहलुओं पर विचार करने के बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और प्रधानमंत्री कार्यालय के निर्देश पर आइसीएमआर ने विशेषज्ञों के साथ इस दिशा में काम शुरू किया। यह अध्ययन पूरे देश में छह केंद्र पर होगा।

अध्ययन के लिए दिल्ली, पुणे, शिलांग, पुरुलिया, बेंगलुरु और इंदौर को केंद्र बनाया गया है। यहां गर्भवती महिलाओं का चयन किया जाएगा। चयन के दौरान देखा जाएगा कि गर्भावस्था के 20 सप्ताह से पहले वह जांच करवा चुकी हो। 37 सप्ताह से कम गर्भावस्था अवधि वाली और चयनित क्षेत्रों में रहने वाली महिलाओं की जांच की जाएगी।

उन्हें संतुलित आहार, शारीरिक सक्रियता, नियमित जांच, स्तनपान और शिशु देखभाल के महत्व के बारे में भी बताया जाएगा। साथ ही सकारात्मक सोच और दैनिक तनाव से निपटने के लिए मानसिक परामर्श भी दिया जाएगा।