INS Vikrant Crosses Milestone: भारतीय विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत (INS Vikrant) पर देसी विमान की लैंडिंग की गई। बता दें कि यह अपने आप में मील का पत्थर जैसा कदम है। वहीं भारतीय नौसेना(Indian Navy) ने भी इसे एक ऐतिहासिक उपलब्धि करार दिया है। नौसेना की तरफ से कहा गया है कि उसके पायलट ने विमान को पोत पर सुरक्षित तरीके से उतारा।

भारत की लिए यह लैंडिंग काफी अहम:

नौसेना ने जारी किए गए संक्षिप्त बयान में कहा, “नौसेना के पायलटों द्वारा एलसीए (नेवी) को आईएनएस विक्रांत पर उतारे जाने के साथ भारतीय नौसेना ने आत्मनिर्भर भारत की तरफ एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की।” लैडिंग के रक्षा क्षेत्र में भारत की मजबूती बया करने वाला यह कदम देश के लिए काफी अहम माना जा रहा है।

बता दें कि एलसीए को आईएनएस विक्रांत पर उतारे जाने से स्वदेशी लड़ाकू विमान के साथ स्वदेशी विमानवाहक पोत डिजाइन, विकसित और निर्मित किये जाने की भारत की क्षमता प्रदर्शित हुई है। वहीं पिछले साल सितंबर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने भारत के प्रथम स्वदेश निर्मित विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत को नौसेना की सेवा में शामिल किया था।

INS विक्रांत की खासियत:

बता दें कि 20,000 करोड़ रुपये की लागत से बने 45,000 टन के आईएनएस विक्रांत को पिछले साल सितंबर में कमीशन किया गया था। यह 262 मीटर लंबा और 62 मीटर चौड़ा है। मालूम हो कि आईएनएस विक्रांत भारत में बनने वाला सबसे बड़ा युद्धपोत है। आईएनएस विक्रांत की अन्य खासियत की बात करें तो यह मिग-29K लड़ाकू जेट और हेलीकॉप्टर सहित 30 विमान ले जाने में सक्षम है। इस युद्धपोत में लगभग 1,600 के चालक दल को समायोजित किया जा सकता है।

INS विक्रांत का नाम इसके पूर्ववर्ती के नाम पर रखा गया है। जिसने 1971 में बांग्लादेश को आजाद कराने में पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध के दौरान महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। बता दें कि INS विक्रांत का वजन 40 हजार टन है। यह समुद्र के ऊपर तैरता हुआ एयरफोर्स स्टेशन है। इसके जरिए ड्रोन, फाइटर जेट्स, मिसाइलों के जरिए दुश्मनों को निशाना बनाया जा सकता है। आईएनएस विक्रांत से 32 बराक-8 मिसाइल दागी जा सकती हैं।