INS Vikrant: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार, 2 सितंबर को भारत का पहला स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर आईएनएस विक्रांत को नौसेना को सौंपा। हालांकि INS विक्रांत को मोदी सरकार में भले ही औपचारिक रूप से नौसेना के हवाले किया गया हो लेकिन कांग्रेस ने इसे पिछले 22 सालों की बड़ी उपलब्धि करार दिया है।

INS Vikrant के डिजाइन और निर्माण दोनों कार्य को भारत में ही किया गया है। कोचीन शिपयार्ड के साथ-साथ इसे बनाने में 550 भारतीय कंपनियों ने सहायता की है। इसके अलावा इसके निर्माण में 100 MSME कंपनियां भी शामिल थी। वहीं अलग-अलग कंपनियों ने इस युद्धपोत के अलग-अलग हिस्सों को बनाया है।

INS विक्रांत देश का पहला स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर है। इसकी लंबाई 262.5 मीटर है। लंबाई के मामले में यह दो फुटबॉल मैदानों से अधिक है। नौसेना को सौंपने के दौरान पीएम मोदी ने कहा कि इस तरह के एयरक्राफ्ट कैरियर सिर्फ विकसित देश ही बनाते थे लेकिन भारत ने ऐसा करके आज विकसित राज्य होने की दिशा में एक और कदम बढ़ा दिया है।

विक्रांत का मतलब होता है, जिसे हराया न जा सके। बांग्लादेश को पाकिस्तान से अलग करने में भारतीय नौसेना के लिए INS विक्रांत ने अहम भूमिका निभाई थी। आईएनएस विक्रांत के इस नए वर्जन और पुराने वर्जन, दोनों में पेनेंट नबंर आर11 है। वहीं जहां पुराना INS Vikrant 46 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से चल सकता था तो अब नए विक्रांत की रफ्तार 56 किलोमीटर प्रति घंटे होगी।

नए आईएनएस विक्रांत के निर्माण के लिए आवश्यक स्टील को भारतीय इस्पात प्राधिकरण लिमिटेड (SAIL) के माध्यम से DRDL और भारतीय नौसेना के सहयोग से स्वदेश में ही बनाया गया था। नए विक्रांत में एक फिजियोथेरेपी क्लिनिक, आईसीयू, प्रयोगशालाओं और आइसोलेशन वार्ड सहित आधुनिक उपकरणों के साथ एक चिकित्सा परिसर भी है।

पुराने INS विक्रांत में लगे इंजन से 40 हजार हॉर्सपॉवर की ताकत मिलती थी वहीं अब नए विक्रांत के इंजन से 1.10 लाख हॉर्सपॉवर की ताकत मिलती है। जिसकी वजह से नया विक्रांत और भी खतरनाक हो जाता है। इससे भारतीय नौसेना की ताकत में इजाफा होगा। यह चार AK 630 CIWS प्वाइंट डिफेंस सिस्टम गन से लैस होगी। जोकि एक घूमने वाली हैवी मशीन गन है। इसकी मदद से टारगेट की दिशा में घूमकर फायरिंग करने की क्षमता होगी। यह 10 हजार राउंड्स प्रति मिनट की दर से फायरिंग करती है।

नए आईएनएस विक्रांत के नौसेना में शामिल होने पर रूस ने गर्व का क्षण बताया है। भारत में रूसी राजदूत डेनिस अलीपोव ने कहा कि यह भारत के लिए गर्व का क्षण है कि उन्होंने एक स्वदेशी युद्धपोत का निर्माण किया। भारत आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा है और दिखाया है कि वह एक प्रमुख वैश्विक शक्ति बनने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। दुनिया को मजबूत भारत की जरूरत है।

नए INS विक्रांत के निर्माण को लेकर कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा है, “इसकी शुरूआत 22 साल पहले हुई थी जिसमें वाजपेयी जी की सरकार, मनमोहन जी की सरकार और फिर मोदी जी की सरकार, सबको श्रेय मिलना चाहिए। INS विक्रांत को कमीशन करने में 20-22 साल लगे हैं। अगर आप इसका इतिहास देखेंगे तो यह 1999 से शुरू होता है और कमीशन आज हुआ। लेकिन आज के प्रधानमंत्री इसका श्रेय खुद लेंगे और कहेंगे कि मैं जब 2014 में आया उसके बाद इसकी शुरुआत हुई।”