इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की उत्तराखंड इकाई ने आज कहा कि योग गुरु रामदेव के पतंजलि आयुर्वेद की कोरोनिल किट को उत्तराखंड सरकार की COVID-19 किट में शामिल करना “मिक्सोपैथी” है। संगठन ने इस प्रस्ताव पर कड़ी आपत्ति जताई है। यह कहते हुए कि कोरोनिल को विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा अनुमोदित नहीं किया गया है और आयुर्वेदिक दवा केंद्र सरकार के दिशानिर्देशों में शामिल नहीं है, डॉक्टरों की निकाय ने कहा, “एलोपैथिक दवाओं के साथ कोरोनिल को जोड़ना भी मिक्सोपैथी होगी ( आयुर्वेद और एलोपैथी का कॉकटेल), जिसे सुप्रीम कोर्ट के फैसलों के अनुसार अनुमति नहीं है, और इसका उपयोग करना कोर्ट की अवमानना होगा।”
मालूम हो कि इससे पहले दिल्ली हाई कोर्ट ने एलोपैथिक दवाओं के खिलाफ योग गुरु रामदेव के बयान और पतंजलि की ‘कोरोनिल किट’ को कोविड-19 का उपचार बताने के उनके दावे के विरूद्ध दायर याचिका पर उन्हें समन जारी किया था लेकिन अदालत ने उन्हें इस चरण पर रोकने का आदेश देने से इनकार करते हुए कहा कि एलोपैथी पेशा इतना कमजोर नहीं है। बहरहाल, अदालत ने योग गुरु के वकील से मौखिक रूप से कहा कि वह रामदेव से उकसाने वाला कोई भी बयान नहीं देने को कहें। न्यायमूर्ति एस हरिशंकर ने कहा, ‘‘राजीव नायर एक सम्मानीय वरिष्ठ (वकील) हैं। मुझे भरोसा है कि उनके मुवक्किल उनकी बात सुनेंगे।’’
अदालत ने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की ओर से दायर वाद पर योग गुरु को समन जारी किया और उनसे तीन सप्ताह में अपना जवाब दाखिल करने को कहा। अदालत ने मामले की सुनवाई 12 जुलाई तक के लिए स्थगित कर दी।
न्यायमूर्ति हरिशंकर ने कहा, ‘‘कथित रूप से अहितकर बयान दिए काफी समय बीत चुका है। वकील का कहना है कि प्रतिवादी संख्या एक (रामदेव) लगातार बयान दे रहे हैं। विशेष रूप से आपत्तियों के मद्देनजर कोई अवसर दिए बिना वादी को रोकने का आदेश नहीं दिया जा सकता। वाद पर समन जारी करें।’’
अदालत ने इस मामले में पक्षकार बनाए गए सोशल मीडिया मंचों ट्विटर एवं फेसबुक और आस्था चैनल को भी समन जारी किए। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने अपने चिकित्सक सदस्यों की ओर से दायर वाद में अदालत से कहा कि कोरोनिल कोरोना वायरस का उपचार नहीं है, इसलिए रामदेव का बयान गुमराह करने वाला है। उसने उनसे सांकेतिक क्षतिपूर्ति राशि के रूप में एक रुपए की मांग की है।