‘द इंडियन एक्सप्रेस एक्सीलेंस इन गवर्नेंस अवार्ड्स’ में 18 जिलाधिकारियों को पुरस्कार प्रदान करने से पहले मंगलवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि शासन के माडल ऐसे होने चाहिए कि वे सरकार और लोगों के बीच विश्वास पैदा करें। वे स्थानीय परिस्थितियों व स्थितियों को देखते हुए तैयार किए जाएं और आयातित न हों।
शाह ने कहा कि माडल ऐेसा होना चाहिए कि वह कतार के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचे। यह समावेशी, भ्रष्टाचार मुक्त, पारदर्शी, जवाबदेह, संवेदनशील, अभिनव और स्थिर होना चाहिए। इसे समस्याओं की जड़ पर प्रहार करना चाहिए और सरकार व लोगों के बीच विश्वास पैदा करना चाहिए। शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विश्वास है कि सुशासन की कुंजी जन केंद्रित विकास नीति है।
सुशासन की नीति को आयात नहीं किया जा सकता है। हमें अपनी परिस्थितियों और लोगों की स्थिति के मुताबिक अपने माडल बनाने होंगे। उन्होंने कहा कि यदि हम किसी दो-दस करोड़ जनसंख्या वाले देश से माडल आयात करेंगे तो हमारे जैसे विविधता वाले देश में वह विफल ही होगा। इसके लिए जमीनी स्तर से विचार प्रक्रिया शुरू होनी चाहिए और वह ऊपर तक पहुंचे। और शीर्ष पर बैठे लोग इतने खुले होने चाहिए कि वे छोटे से छोटे सुझावों को गंभीरता से लें।
पुरस्कार विजेता जिलाधिकारियों को बधाई देते हुए शाह ने आगाह किया कि इस मान्यता से उन्हें आत्मसंतुष्ट और आलसी नहीं बनना चाहिए। वे इसे आगे बढ़ने की प्रेरणा मानें। उन्होंने कहा कि एक सपना जो आपकी नींद नहीं उड़ाता है, वह सपना नहीं है। इसलिए उन चीजों के बारे में सपने देखें जो आपको सालों तक सोने नहीं देते हैं।
सपने जो आपके नहीं, बल्कि दूसरों के हैं। दूसरों के लिए और देश के लिए सपने देखने से आपको जो संतुष्टि मिलेगी, वह कैबिनेट सचिव बनने के बाद भी नहीं मिलेगी। इंडियन एक्सप्रेस समूह के अध्यक्ष विवेक गोयनका ने इस मौके पर कहा कि पुरस्कार हमें पुरजोर याद दिलाते हैं कि लोकतंत्र में जन सेवा के लिए जरूरी नहीं है कि चुनाव लड़ा जाए।
शाह ने अपने भाषण में कहा कि सुशासन विकास और प्रगति की कुंजी है। लोकतंत्र में संविधान के सार को जमीनी स्तर तक ले जाना असंभव है। सभी के लिए समान अवसर और समान प्रगति की कल्पना करने वाला भारतीय संविधान तभी सफल हो सकता है, जब जिलाधिकारी स्तर पर सुशासन को अपनाया जाए।
पुरस्कारों के पीछे की अवधारणा और विचार का जिक्र करते हुए शाह ने कहा कि रामनाथ गोयनका के समय से और यहां तक कि ब्रिटिश राज के दौरान भी, ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ अपनी सत्ता विरोधी पत्रकारिता के लिए जाना जाता रहा है। सरकार की गलतियों या कमियों को उजागर करना अच्छा है। लेकिन अच्छे काम को मान्यता देने से समाज को प्रेरणा मिलेगी और अच्छा काम करने वालों को प्रोत्साहन मिलेगा।
आपातकाल के दौरान रामनाथ गोयनका और ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ द्वारा दिखाए गए साहस का हवाला देते हुए, शाह ने कहा कि व्यापार और पत्रकारिता को एक-दूसरे से दूर रखने का पहला प्रयास गोयनका जी द्वारा किया गया था। और इसलिए उन्हें हमेशा याद किया जाएगा। जो देश के हित में नहीं था, उसे उजागर करने में उन्होंने कभी संकोच नहीं किया और बिना किसी भय, वैचारिक पूर्वाग्रह और कटुता के ऐसा किया।
शासन की थीम पर शाह ने कहा कि सरकार परिवर्तनकारी बदलाव लेकर आई है। केंद्र सरकार लोगों को खुश करने के लिए नीतियां नहीं बनाती है। यह ऐसी नीतियां बनाती है जो लोगों के लिए अच्छी होंगी। उन्होंने कहा कि जब हम जीएसटी लाए तो कुछ लोगों ने इसका विरोध किया। जब हम डीबीटी (प्रत्यक्ष लाभ अंतरण) लाए तो इसका भी विरोध हुआ। यह स्वाभाविक था, क्योंकि बिचौलिए हार रहे थे। इसलिए हमारे फैसले भले ही कड़वे रहे हों लेकिन वे लोगों की भलाई के लिए थे। नीतियां बनाते समय हम कभी वोट बैंक के बारे में नहीं सोचते। हम केवल समस्याओं को हल करने के बारे में सोचते हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि सरकार हमेशा वृद्धिशील प्रगति करने के बजाय समस्याओं को पूरी तरह से हल करने का लक्ष्य रखती है। शाह ने कहा कि हम यह नहीं कह रहे हैं कि हम इस साल बहुत सारे शौचालय बनाएंगे। हम लक्ष्य बनाते हैं कि 2024 के अंत तक देश के हर घर में शौचालय होगा। हमारे पास समस्या को खत्म करने का तरीका है।
उन्होंने कहा कि सरकार राजनीतिक स्थिरता, भ्रष्टाचार मुक्त शासन, विकासोन्मुखी नीतियां, निवेश अनुकूल एजंडा और शांतिपूर्ण माहौल लेकर आई है। जीएसटी के विषय पर, शाह ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए कहा कि 2022-23 में, संग्रह 1.5 लाख करोड़ रुपए को पार कर गया था और यह ‘उन लोगों के लिए था जो इसे गब्बर सिंह टैक्स कहते हैं’।
सरकार की उपलब्धियां गिनाते हुए शाह ने कहा कि स्मार्टफोन डाटा खपत, ग्लोबल फिनटेक और आइटी बीपीओ में भारत शीर्ष पर है और नागरिक उड्डयन व कार बाजार में तीसरे स्थान पर है। उन्होंने आकांक्षी जिलों के कार्यक्रम, कोरोनारोधी टीकाकरण अभियान, स्टार्ट-अप पारिस्थितिकी तंत्र और एक राष्ट्र-एक-राशन-कार्ड योजना के बारे में भी बात की और कहा कि इनमें से कुछ को मीडिया ने नजरअंदाज किया है।
शाह ने कहा कि जहां सभी सरकारों ने देश की प्रगति के लिए काम किया है, वहीं कुछ प्रयासों को विशेष पहचान की जरूरत है। सत्ता में कोई भी हो, अच्छे काम को स्वीकार किया जाना चाहिए। यदि किसी सरकार के अच्छे कार्यों के परिणामों को स्वीकार करने का खुलापन नहीं है, तो हम पत्रकारिता नहीं, सक्रियतावाद कर रहे हैं। कार्यकर्ता पत्रकार नहीं हो सकता और पत्रकार कार्यकर्ता नहीं हो सकता। अगर दोनों एक-दूसरे का काम करने लगें तो इससे परेशानी होगी। मैं इसे इन दिनों अक्सर देखता हूं, इसलिए मैं इस बारे में कह रहा हूं।
गोयनका ने कहा कि जब हम आम चुनावों से पहले एक हंगामेदार वर्ष में प्रवेश कर रहे हैं, तो पुरस्कार दिखाते हैं कि सुशासन, परिभाषा के अनुसार, गैर-पक्षपातपूर्ण है। हमारी श्रेणियां शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा से लेकर कृषि, कौशल, एमएसएमई, स्टार्ट अप तक जीवन के सभी पहलुओं को छूने वाले व्यापक क्षेत्रों में प्रगति को दर्ज करती हैं। इनमें श्रेष्ठता न तो विरोधी है और न ही किसी के पक्ष में। यह सामान्य है। यह हमें पुरजोर याद दिलाते हैं कि लोकतंत्र में जन सेवा के लिए जरूरी नहीं है कि चुनाव लड़ा जाए। सब कुछ तू-तू, मैं-मैं नहीं है। परिवर्तनकारी परिवर्तन और सशक्तिकरण की अपनी विचारधारा है।
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‘द इंडियन एक्सप्रेस’ के मुख्य संपादक, राज कमल झा ने अपनी प्रारंभिक टिप्पणी में कहा कि ये पुरस्कार 2020 और 2021 में किए गए कार्यों के लिए हैं, ठीक महामारी के दौरान, जिन वर्षों में हमने खुद को बंद कर लिया था, डर और नुकसान की भावना से जब हम इसकी चपेट में थे … उस धुंधलेपन में, सार्वजनिक उपयोगिताओं में शून्य व्यवधान सुनिश्चित करने वाले अदृश्य हाथों को देखना आसान नहीं था… वास्तव में, यह सुशासन था, जिसका हम आज शाम जश्न मना रहे हैं।