‘नीना’ सितंबर में वापस आकर मौसम और जलवायु प्रणाली को प्रभावित कर सकता है। विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्लूएमओ) ने ताजा जानकारी देते हुए यह संभावना जताई। रपट में कहा गया है कि ला नीना के अस्थायी शीतलन प्रभाव के बावजूद दुनिया के अधिकतर हिस्सों में वैश्विक तापमान अब भी औसत से अधिक रहने की संभावना है।

ला नीना और अल नीनो प्रशांत महासागर के जलवायु चक्र के विपरीत चरण हैं। अल नीनो पेरू के निकट समुद्री जल के समय-समय पर गर्म होने को संदर्भित करता है जो भारत के मानसून को अक्सर कमजोर करता है और इसके कारण सर्दियां अपेक्षकृत गर्म रहती है। ला नीना इस जल को ठंडा करता है, जिससे भारत का आमतौर पर मानसून मजबूत होता है और सर्दियों में अपेक्षाकृत अधिक ठंड होती है।

विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्लूएमओ) का कहना है कि ला नीना और अल नीनो जैसी प्राकृतिक रूप से होने वाली जलवायु घटनाएं मानव-जनित जलवायु परिवर्तन के व्यापक संदर्भ में घटित हो रही हैं जिससे वैश्विक तापमान बढ़ रहा है, मौसम की चरम परिस्थितियों की तीव्रता बढ़ रही है और मौसमी वर्षा एवं तापमान की प्रणाली में बदलाव आ रहा है। तटस्थ स्थितियां (न अल नीनो और न ही ला नीना) मार्च 2025 से बनी हुई हैं और भूमध्यरेखीय प्रशांत क्षेत्र में समुद्र की सतह के तापमान में असमानताएं औसत के आसपास बनी हुई हैं। संगठन ने कहा कि ये स्थितियां सितंबर से धीरे-धीरे ला नीना का रूप ले सकती हैं।

अक्तूबर-दिसंबर 2025 में ला नीना की संभावना लगभग 60 फीसद तक बढ़ी

डब्लूएमओ के मौसमी पूर्वानुमान वैश्विक केंद्रों के पूर्वानुमानों के अनुसार, भूमध्यरेखीय प्रशांत क्षेत्र में समुद्र की सतह के तापमान के सितंबर-नवंबर 2025 की अवधि के दौरान ईएनएसओ (अल नीनो-दक्षिणी दोलन)-तटस्थ स्तर पर बने रहने की 45 फीसद और ला नीना स्तर तक ठंडा होने की 55 फीसद संभावना है। अक्तूबर-दिसंबर 2025 में ला नीना की संभावना लगभग 60 फीसद तक बढ़ जाती है, जबकि अल नीनो की संभावना कम रहती है।

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विश्व मौसम संगठन की महासचिव सेलेस्टे साउलो ने कहा, ‘अल नीनो और ला नीना के मौसमी पूर्वानुमान और हमारे मौसम पर उनके प्रभाव एक महत्त्वपूर्ण जलवायु उपकरण हैं। ये पूर्वानुमान कृषि, ऊर्जा, स्वास्थ्य और परिवहन जैसे प्रमुख क्षेत्रों में लाखों डालर की आर्थिक बचत के रूप में तब्दील होते हैं और जब इनका इस्तेमाल, तैयारी एवं प्रतिक्रिया कार्यों के मार्गदर्शन में किया जाता है तो हजारों लोगों की जान बच जाती है।’

अल नीनो-दक्षिणी दोलन (ईएनएसओ) वैश्विक जलवायु प्रणाली का एक प्रमुख चालक है, लेकिन यह पृथ्वी की जलवायु को प्रभावित करने वाला एकमात्र कारण नहीं है। विश्व मौसम संगठन के वैश्विक मौसमी जलवायु अद्यतन उत्तरी अटलांटिक दोलन, आर्कटिक दोलन और हिंद महासागर द्विध्रुव जैसी अन्य प्रणालियों को भी ध्यान में रखते हैं। नवीनतम अद्यतन में सितंबर से नवंबर तक उत्तरी गोलार्ध के अधिकतर भागों और दक्षिणी गोलार्ध के बड़े हिस्से में सामान्य से अधिक तापमान का अनुमान लगाया गया है।