जम्मू-कश्मीर में सर्दियों का मौसम शुरू होने वाला है। पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले के बाद भारतीय सेना ने घाटी में सर्दियों से पहले कई जरूरी कदम उठाए हैं। सेना घुसपैठ रोधी तंत्र (Anti-Infiltration Grid) को मजबूत कर रही है, प्रमुख दर्रों को सील और सुरक्षित कर रही है और नियंत्रण रेखा (LoC) पर बाड़ को मज़बूत कर रही है। इसके साथ ही इलाके में सैनिकों की फिर से तैनाती की जा रही है।

इंडियन एक्सप्रेस को सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, सर्दियों के शुरू होने से पहले सीमा पार से आतंकवादियों द्वारा घुसपैठ की कोशिशों में बढ़ोत्तरी होने की संभावना है। आतंकवादी अपनी कार्यप्रणाली में बदलाव कर सकते हैं जिसके लिए सुरक्षा बलों की कार्यप्रणाली में भी बदलाव ज़रूरी है।

आतंकवादियों की रणनीति को देखते हुए सर्दियों में सैनिकों की तैनाती की जाएगी

सूत्रों के अनुसार, आतंकवादी अपने ठिकानों से संवाद करने से बच सकते हैं और केवल तभी ऐसा करेंगे जब वे आबादी वाले इलाकों के करीब होंगे। एन्क्रिप्टेड संदेश भेजने के लिए पूरी तरह से विशेष एप्लिकेशन पर निर्भर रहने के बजाय, वे पकड़े जाने से बचने के लिए स्थानीय मोबाइल नेटवर्क का इस्तेमाल कर सकते हैं, जिससे उस नेटवर्क पर आने वाली कॉलों की संख्या बढ़ जाएगी। आतंकी केवल आपातकालीन स्थिति में ही अपने ठिकानों से बाहर निकलेंगे।

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सूत्रों के अनुसार, आतंकवादियों की रणनीति को देखते हुए सर्दियों में सैनिकों की तैनाती की जाएगी। एक सूत्र ने कहा, “थर्मल इमेजर, हाई टेक कैमरे और छोटे ड्रोन जैसी अतिरिक्त तकनीकों का उपयोग करके घुसपैठ-रोधी उपायों को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाने का प्रयास किया जाएगा।” सूत्र ने बताया कि पिछले अभियानों से सीखते हुए तकनीकी खुफिया जानकारी पर निर्भर रहने के अलावा, ज़मीनी स्तर पर मानवीय खुफिया जानकारी जुटाने पर भी ज़ोर दिया जाएगा। सूत्रों ने यह भी संकेत दिया कि परिचालन आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए, कुछ इकाइयों को उनके स्थायी ठिकानों से हटाकर पुनः तैनात किया जाएगा जिससे उच्च स्तर की सतर्कता बनाए रखी जा सकेगी।

इसके अलावा, नियंत्रण रेखा और भीतरी इलाकों में निगरानी बढ़ाई जाएगी। सूत्रों ने बताया कि त्वरित प्रतिक्रिया दल (QRT) की स्थापना के माध्यम से त्वरित प्रतिक्रिया क्षमता विकसित की जाएगी और कामिकेज ड्रोन सहित अतिरिक्त ड्रोन का उपयोग भी किया जा सकता है। प्रभावी सूचना शेयरिंग के लिए सुरक्षा बलों और एजेंसियों के बीच समन्वय में सुधार के लिए भी प्रयास बढ़ाए जाएँगे।

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