सीमा विवाद सुलझाने के लिए भारत और चीन के बीच कूटनीतिक और सैन्य स्तर पर बातचीत जारी है। हालांकि कई दौर की बातचीत के बाद भी विवाद बना हुआ है और सीमा पर तनाव की स्थिति बरकरार है। इस बीच चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत ने अपने एक बयान में कहा है कि सैन्य कार्रवाई का विकल्प तैयार है। हालांकि उन्होंने बातचीत के नाकाम होने के बाद ही सैन्य कार्रवाई की बात कही है।
जनरल बिपिन रावत ने कहा कि “लद्दाख में चीनी सेना की घुसपैठ के खिलाफ सैन्य कार्रवाई का विकल्प तैयार है लेकिन यह तभी होगा, जब सैन्य और कूटनीतिक स्तर पर चल रही बातचीत असफल हो जाएगी।” उन्होंने कहा कि सरकार शांतिपूर्ण ढंग से मामला सुलझाना चाहती है। रक्षा सेवाओं का काम निगरानी रखना और ऐसे अतिक्रमण को घुसपैठ में तब्दील होने से रोकना है। अगर एलएसी पर पूर्व स्थिति बहाल करने की कोशिश सफल नहीं होती है तो सैन्य कार्रवाई का विकल्प तैयार है।
बता दें कि भारत और चीन के बीच लद्दाख में जारी स्टैंड ऑफ को खत्म करने के लिए कई दौर की बातचीत हो चुकी है। इनमें कमांडर लेवल की सैन्य बातचीत और कूटनीतिक स्तर की बातचीत भी शामिल है लेकिन अभी तक विवाद का हल नहीं हो सका है।
भारत और चीन के राजदूतों द्वारा सीमा विवाद के लिए हल के लिए वर्किंग मैकेनिज्म फॉर कंसल्टेशन एंड कॉर्डिनेशन ऑन इंडिया चाइना बॉर्डर अफेयर्स (WMCC) स्तर पर चार बैठक हो चुकी हैं लेकिन अभी तक चीन द्वारा लद्दाख के पैंगोंग त्सो इलाके में पीछे हटने में आनाकानी की जा रही है। बातचीत के दौरान चीन की तरफ से फिंगर 4 इलाके से दोनों सेनाओं के पीछे हटने की शर्त रखी गई थी लेकिन भारत ने इससे साफ इंकार कर दिया है और विवाद से पूर्व की स्थिति बहाल करने की मांग की है।
बता दें कि भारत पैंगोंग त्सो इलाके के फिंगर 8 तक के इलाके पर अपना दावा करता है, वहीं चीन भारत को फिंगर 4 तक सीमित रखना चाहता है। यही वजह है कि गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प के बाद सैन्य और कूटनीतिक स्तर की बातचीत में चीन की सेना कई जगह थोड़ी पीछे हटी थी लेकिन अब वह फिंगर 4 और फिंगर 5 के इलाके में जमी हुई है और वहां से पीछे हटने के लिए तैयार नहीं है।