CJI DY Chandrachud: सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने बुधवार को अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता में भारतीय मध्यस्थों के कम प्रतिनिधित्व पर बात की। साथ मध्यस्थ कार्यवाही में पूर्वाग्रह को खत्म करने के लिए और अधिक विविधता की आवश्यकता पर जोर दिया।

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता में मध्यस्थ के रूप में चुने गए व्यक्तियों में बड़ी संख्या में उत्तरी अमेरिका और पश्चिमी यूरोप के लोग शामिल हैं। उन्होंने कहा कि इंटरनेशनल चैंबर ऑफ कॉमर्स द्वारा नियुक्त मध्यस्थों में से लगभग आधे पांच देशों से शामिल हैं। जिनमें अमेरिका, ब्रिटेन, स्विट्जरलैंड, फ्रांस और जर्मनी से हैं।

सीजेआई ने कहा कि परंपरागत रूप से मध्यस्थ पूल में उन लोगों का वर्चस्व रहा है जिन्हें मुख्य रूप से Pale, Male, और stale कहा जाता है। उन्होंने आगे बताया कि कैसे अमेरिकी रैप कलाकार जे-जेड से जुड़े एक ट्रेडमार्क मामले ने विविधता की कमी और पूर्वाग्रह की आशंकाओं के बीच संबंध को स्पष्ट करने का काम किया।

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने भारतीय मध्यस्थों की भागीदारी का आह्वान करते हुए कहा कि वर्तमान में अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता में भारतीय मध्यस्थों का प्रतिनिधित्व कम है। उन्होंने कहा कि मुझे कोई कारण नहीं दिखता कि उच्च योग्य भारतीय मध्यस्थों को उन विवादों में मध्यस्थ के रूप में नियुक्त क्यों नहीं किया जा सकता है, जिनमें भारतीय पक्ष भी शामिल नहीं हैं, उसी तरह जैसे कि अनुभवी यूरोपीय मध्यस्थों को अक्सर उन विवादों में नियुक्त किए जाते हैं जिनका कोई यूरोपीय संबंध नहीं होता। सीजेआई चंद्रचूड़ दिल्ली मध्यस्थता सप्ताह (डीएडब्ल्यू) 2024 के उद्घाटन सत्र में बोल रहे थे।