इंडिया टीवी के एडिटर इन चीफ रजत शर्मा ने कृषि कानूनों को लेकर पीएम नरेंद्र मोदी को एक और मौका देने की बात कही है। रजत शर्मा ने कहा कि मोदी सरकार की तरफ से लागए गए कृषि कानून को एक साल तक लागू होने दीजिए। रजत शर्मा के इस पोस्ट को लेकर सोशल मीडिया पर यूजर्स ने उन्हें ट्रोल कर दिया।
एक यूजर @VinetSharma3 ने लिखा कि यह क्या बेवकूफी है। रजत, मोदी, अर्नब, अमित शाह को कम से कम 10 साल तक आम आदमी की तरह दैनिक मजदूरी करनी चाहिए। तब जाकर उन्हें पता लगेगा कि यह कितना मुश्किल है। नए कानून के लागू होने के एक साल में पूरी खेती और मध्यम वर्ग बर्बाद हो जाएगा। एक यूजर @Panipuri_lover ने लिखा कि क्यों बार-बार हर जगह यही करने जाता है? वैसे ये जाहिलपना छोड़ोगे या नहीं।
एक अन्य यूजर @Shoaib15259041 ने लिखा कि चाटते रहो। इससे पहले रजत शर्मा ने अपने वेबसाइट पर लिखे एक लेख में मोदी सरकार की तरफ से 30 दिसंबर को किसानों के साथ होने वाली बातचीत की सफलता पर संदेह व्यक्त किया।
रजत शर्मा ने कहा कि मैं किसानों के साथ होने वाली बातचीत के परिणाम के बारे में बहुत अधिक सशंकित हूं क्योंकि किसान नेताओं ने पहले ही बातचीत को नाकाम करने की योजना पर फैसला कर लिया है। उन्होंने कहा कि सरकार इस मामले का तार्किक हल निकालने के लिए तैयार है जो सबको स्वीकार्य हो।
मालूम हो कि सरकार ने नये कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे 40 किसान संगठनों को सभी प्रासंगिक मुद्दों पर अगले दौर की वार्ता के लिए बुधवार को बुलाया है। किसान संगठन सैद्धांतिक रूप से वार्ता मे शामिल होने पर राजी हो गये हैं लेकिन उन्होंने इस बात पर जोर दिया है कि बैठक के एजेंडे में तीनों कानूनों को वापस लेने के तौर-तरीके पर चर्चा शामिल होना चाहिए।
इससे पहले सरकार और किसान संगठनों के बीच कई दौर की बातचीत बेनतीजा रही थी। सुप्रीम कोर्ट की तरफ से इस संबंध में हस्तक्षेप करते हुए सरकार से कमेटी का गठन कर मामले का हल निकालने की बात कही गई है। रजत शर्मा ने अपने लेख में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के बयान का भी उल्लेख किया।
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने सोमवार को कहा था कि नये कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के बीच ‘सुनियोजित तरीके से’ ‘झूठ की दीवार’ खड़ी की गई है, लेकिन ऐसा लंबे समय तक नहीं चलेगा। प्रदर्शनकारी किसानों को जल्द सच्चाई का अहसास होगा।