पुलवामा आतंकी हमले के बाद भारत, पाकिस्तान को सबक सिखाने की कोशिशों में जुटा है। अपनी इन्हीं कोशिशों के तहत भारत ने पाकिस्तान से व्यापार के मामले में सबसे ज्यादा तरजीह वाले देश का दर्जा (मोस्ट फेवर्ड नेशन) छीन लिया है। अब एक बार फिर भारत के पास मौका है कि वह पाकिस्तान को आर्थिक तौर पर चोट पहुंचाए। दरअसल पेरिस में 17-22 फरवरी के बीच फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की बैठक होने वाली है। बता दें कि FATF ने बीते साल पाकिस्तान को आतंकी फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों में ग्रे लिस्ट में डाल दिया था। इसके साथ ही पाकिस्तान को चेतावनी दी गई थी कि यदि उसने आतंकी फंडिंग रोकने और मनी लॉन्ड्रिंग के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की तो उसे अक्टूबर, 2019 को होने वाली बैठक में ब्लैकलिस्ट किया जा सकता है।

ऐसे में यदि भारत अन्तर्राष्ट्रीय फाइनेंसियल वॉचडॉग एजेंसी को यह समझाने में सफल हो जाता है कि पाकिस्तान ने आतंकी फंडिंग रोकने और मनी लॉन्ड्रिंग की दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया है तो इससे पाकिस्तान को ब्लैकलिस्ट किया जा सकता है। यदि भारत अपनी कोशिशों में सफल हो जाता है तो पहले ही गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहे पाकिस्तान के लिए यह बड़ा झटका होगा। फिलहाल अगले हफ्ते पेरिस में होने वाली रिव्यू मीटिंग काफी अहम है। भारत की कोशिश होगी कि इस रिव्यू मीटिंग में पाकिस्तान के चेहरे को बेनकाब किया जाए और पुलवामा आतंकी हमले में शामिल जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर के पाकिस्तान में होने के सबूत सौंपे जाए।

जनवरी, 2018 में अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी जैसे देशों ने FATF में पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई की शुरुआत की थी। इसके बाद जून, 2018 में FATF ने पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में डालते हुए पाकिस्तान को 15 माह का एक्शन प्लान सौंपा था। जिसमें पाकिस्तान को 27 प्वाइंट एक्शन प्लान को सितंबर, 2019 तक लागू करना है। इन 15 माह में पाकिस्तान को आतंकी फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग के खिलाफ कार्रवाई करनी है और इसके सबूत भी देने हैं। बिजनेस स्टैंडर्ड की एक रिपोर्ट के अनुसार, FATF 4 मुख्य प्वाइंट का रिव्यू करेगी, जिसमें आतंकी फंडिंग की रोकथाम, कस्टम विभाग और कैश कूरियर की रिपोर्ट, यूएन का सिक्योरिटी काउंसिल रेजोल्यूशन और इंटर एजेंसी कॉर्डिनेशन शामिल है।