भारत और रूस ने अमेरिका द्वारा दंडात्मक शुल्क और प्रतिबंध लगाने से उत्पन्न स्थिति से निपटने के लिए शुक्रवार को आर्थिक और व्यापारिक साझेदारी को मजबूत करने के लिए एक पंचवर्षीय योजना पर सहमति जताई। वहीं, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से कहा कि यूक्रेन में जारी युद्ध को शांतिपूर्ण तरीके से समाप्त किया जाना चाहिए।
दुनिया भर की नजर मोदी और पुतिन के बीच होने वाली बातचीत पर रही जिसमें दोनों नेताओं ने आठ दशक से अधिक पुरानी भारत-रूस मित्रता को नई गति प्रदान करने की अपनी दृढ़ इच्छा प्रदर्शित की। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भू-राजनीतिक उथल-पुथल के बावजूद यह मित्रता ‘‘ध्रुव तारे’’ की तरह अडिग बनी हुई है।
दोनों देशों ने 2030 के आर्थिक कार्यक्रम को अंतिम रूप देने के अलावा, स्वास्थ्य, गतिशीलता, खाद्य सुरक्षा और लोगों के बीच आदान-प्रदान सहित कई क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने के लिए समझौतों पर हस्ताक्षर किए। पीएम मोदी ने द्विपक्षीय शिखर वार्ता के बाद अपने मीडिया वक्तव्य में कहा, “गत आठ दशकों में दुनिया ने अनेक उतार-चढ़ाव देखे हैं। मानवता को अनेक चुनौतियों और संकटों से गुजरना पड़ा है। इसके बावजूद भारत-रूस की दोस्ती ध्रुव तारे की तरह अडिग रही है।”
उन्होंने कहा, “आपसी सम्मान और गहरे विश्वास पर आधारित यह संबंध हमेशा समय की कसौटी पर खरा उतरा है। आज हमने इस नींव को और मजबूत करने के लिए सहयोग के सभी पहलुओं पर चर्चा की। आर्थिक सहयोग को नयी ऊंचाइयों पर ले जाना हमारी साझा प्राथमिकता है।”
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए दोनों देश 2030 तक आर्थिक सहयोग कार्यक्रम पर सहमत हुए हैं और इससे द्विपक्षीय व्यापार और निवेश विविध, संतुलित और टिकाऊ बनेंगे। पीएम नरेंद्र मोदी ने इस अवसर पर घोषणा की कि भारत शीघ्र ही रूसी नागरिकों के लिए 30 दिन का निःशुल्क ई-पर्यटक वीजा तथा 30 दिन का समूह पर्यटक वीजा शुरू करेगा।
व्यापार 100 अरब अमेरिकी डॉलर तक बढ़ाने पर विचार
राष्ट्रपति पुतिन ने अपने वक्तव्य में कहा कि दोनों पक्ष वार्षिक व्यापार को वर्तमान 64 अरब अमेरिकी डॉलर से बढ़ाकर 100 अरब अमेरिकी डॉलर करने पर विचार कर रहे हैं और रूस भारत की ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए “तेल, गैस, कोयला और अन्य सभी आवश्यक वस्तुओं का विश्वसनीय आपूर्तिकर्ता है।” उन्होंने कहा, “रूस तेजी से बढ़ती भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए ईंधन की निर्बाध आपूर्ति जारी रखने के लिए तैयार है।”
पुतिन ने संकेत दिया कि रूस भारतीय उत्पादों के लिए अपने बाजार को और सुलभ बनाएगा तथा दोनों पक्ष छोटे एवं ‘मॉड्यूलर’ परमाणु रिएक्टर तथा ‘फ्लोटिंग’ परमाणु ऊर्जा संयंत्रों के निर्माण में सहयोग के लिए उत्सुक हैं। उन्होंने कहा कि रूस परमाणु प्रौद्योगिकियों के गैर-ऊर्जा अनुप्रयोग में भी भारत को सहायता दे सकता है, उदाहरण के लिए चिकित्सा और कृषि में।
दोनों देशों के बीच संपर्क बढ़ाना प्रमुख प्राथमिकता
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि दोनों देशों के बीच संपर्क बढ़ाना प्रमुख प्राथमिकता है। उन्होंने कहा, “हम आईएनएसटीसी , उत्तरी समुद्री मार्ग और चेन्नई-व्लादिवोस्तोक गलियारे पर नई ऊर्जा के साथ आगे बढ़ेंगे। मुझे खुशी है कि अब हम ध्रुवीय जल में भारतीय नाविकों को प्रशिक्षित करने के लिए सहयोग करेंगे।” पीएम मोदी कहा, “इससे न केवल आर्कटिक में हमारा सहयोग मजबूत होगा, बल्कि भारत के युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे।”
अंतरराष्ट्रीय उत्तर दक्षिण परिवहन गलियारा (आईएनएसटीसी) भारत, ईरान, अफगानिस्तान, अर्मीनिया, अजरबैजान, रूस, मध्य एशिया और यूरोप के बीच माल ढुलाई के लिए 7,200 किलोमीटर लंबी ‘मल्टी-मोड’ परिवहन परियोजना है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि पोत निर्माण के क्षेत्र में दोनों पक्षों के बीच गहन सहयोग से ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम को मजबूती मिलने की संभावना है। उन्होंने भारत-रूस संबंधों को मजबूत करने में पुतिन की ‘अटूट प्रतिबद्धता’ की भी सराहना की। पीएम मोदी ने कहा, “पिछले ढाई दशकों से, उन्होंने (पुतिन ने) अपने नेतृत्व और दूरदर्शिता से इन संबंधों को पोषित किया है। उनके नेतृत्व ने सभी परिस्थितियों में हमारे संबंधों को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है।”
प्रधानमंत्री ने दोनों देशों के बीच मानव श्रम की आवाजाही को सुगम बनाने के लिए किए गए दो समझौतों का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा, “मानबल की आवाजाही हमारे लोगों को जोड़ेगी और दोनों देशों के लिए नई ताकत और अवसर उत्पन्न करेगी। मुझे खुशी है कि इसे बढ़ावा देने के लिए आज दो समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए हैं।”
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