पिछले कुछ दिनों से एनसीपी नेता शरद पवार का बयान कई लोगों के गले नहीं उतर रहा है। वह कई बार ऐसी बात कह चुके हैं, जिससे यह आभास होता है कि वे भाजपा के साथ जा सकते हैं। उनके भतीजे अजित पवार पहले ही भाजपा- शिवसेना (शिंदे खेमा) के गठबंधन में शामिल होकर महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री बन चुके हैं।

कभी अजित पवार से अकेले में मिलते हैं तो कभी मोदी सरकार हटाने की बात करते हैं

इस बीच अजित पवार की शरद पवार से कई बार बातचीत भी हो चुकी है। ऐसे में विपक्ष के अंदर बेचैनी बरकरार है। दो दिन बाद यानी 31 अगस्त को विपक्षी गठबंधन इंडिया (I.N.D.I.A.) की मुंबई में बैठक होने वाली है। इसमें 2024 में मोदी सरकार को हटाने को लेकर पूरी एकजुटता से चुनावी रणनीति बनाने पर चर्चा होगी, लेकिन शरद पवार के रुख से विपक्ष समझ नहीं पा रहा है कि वे किधर हैं। चर्चा है कि इस बैठक में उनसे यह साफ करने को कहा जाएगा कि वे पूरी तरह से विपक्षी गठबंधन में हैं कि नहीं हैं।

विपक्षी गठबंधन के संयोजक को लेकर भी शुरू हो चुकी है कवायद

उधर, विपक्षी गठबंधन इंडिया (I.N.D.I.A.) के संयोजक तय करने को लेकर भी कवायद शुरू हो गई है। इसके लिए बिहार के सीएम और जदयू नेता नीतीश कुमार से यह जिम्मेदारी संभालने को कहा गया तो उन्होंने मना कर दिया। उन्होंने कहा कि यह जिम्मेदारी कांग्रेस के किसी वरिष्ठ नेता को लेनी चाहिए। अभी तक यह तय नहीं है कि गठबंधन का संयोजक कौन होगा। नेताओं को उम्मीद है कि मुंबई बैठक में इस पर फैसला ले लिया जाएगा।

कांग्रेस और शिवसेना (उद्धव खेमा) ने कहा- बता दें तो दूर हो जाए भ्रम

हालांकि शरद पवार को लेकर महा विकास अघाड़ी गठबंधन में शामिल कांग्रेस और शिवसेना (उद्धव ठाकरे खेमा) का कहना है कि उन्हें उन पर भरोसा है, लेकिन हाल की उनकी गतिविधियों से जनता में भ्रम पैदा हो गया है। ऐसे में यह जरूरी हो गया है कि शरद पवार एक बार साफ कर दें कि वे किधर हैं।

दूसरी तरफ महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले ने सोमवार को कहा कि मुंबई में होने वाली बैठक से पहले एनसीपी नेता शरद पवार साफ कर चुके हैं कि उनके भतीजे और महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार समेत कुछ अन्य नेताओं ने राज्य के विकास के लिए नहीं बल्कि ईडी की कार्रवाई के डर से भाजपा से हाथ मिलाया है।