विदेश मंत्री एस जयशंकर ने गुरुवार 28 नवंबर 2024 को पूर्व भारतीय क्रिकेटर मोहिंदर अमरनाथ की पुस्तक के विमोचन समारोह में क्रिकेट और भारतीय विदेश नीति के बीच दिलचस्प समानताएं बताईं। जयशंकर ने भारत की विदेश नीति को समझाने के लिए क्रिकेट के उदाहरण का इस्तेमाल किया।
जयशंकर ने विश्व कप विजेता क्रिकेटर मोहिंदर अमरनाथ की आत्मकथा ‘फियरलेस’ के विमोचन के मौके पर कहा, ‘मुझे लगता है कि किसी को भी इस बात पर कोई संदेह नहीं है कि 1983 एक महत्वपूर्ण मोड़ था। इसे पाकिस्तान और श्रीलंका ने भी जीता, लेकिन लेकिन क्रिकेट के इतिहास में यह इतना बड़ा महत्वपूर्ण मोड़ कहीं और नहीं था। यदि आप 1983 के बाद विश्व क्रिकेट में भारत की भूमिका को देखें, तो यह मौलिक रूप से बदल गया।’
क्रिकेट और विदेश नीति के बीच दिलचस्प रिश्ता: एस जयशंकर
क्रिकेट और विदेश नीति के बीच दिलचस्प रिश्ता बताते हुए विदेश मंत्री ने कहा, ‘मैं भारत में क्रिकेट के विकास की तुलना भारतीय विदेश नीति के विकास और भारत के साथ लगातार करना पसंद करता हूं।’ उन्होंने पुस्तक से कई ऐसे निष्कर्ष निकाले जो भारत की विदेश नीति से मिलते जुलते हैं। जयशंकर ने कहा, ‘पहला निष्कर्ष यह है कि दुनिया में बहुत प्रतिस्पर्धा है, लेकिन सम्मान अर्जित किया जाता है। आप में से किसी को भी बॉडी लाइन बॉलिंग से नहीं बख्शने वाले क्लाइव लॉयड 1976 में भी कप्तान थे और 1983 में भी। …तो यह कई मायनों में अर्जित किया गया सम्मान था।’
एक व्यक्ति क्या अंतर ला सकता है: जयशंकर
उन्होंने कहा, ‘…और निष्कर्ष यह था कि एक व्यक्ति क्या अंतर ला सकता है?’ विदेश मंत्री ने कहा कि जब वह विदेश नीति के बारे में सोचते हैं, तो अक्सर इसकी तुलना शतरंज से करते हैं, लेकिन यह शतरंज की तरह बिल्कुल नहीं है। यह क्रिकेट की तरह है। यह क्रिकेट की तरह है क्योंकि इसमें कई खिलाड़ी होते हैं। दूसरा, खेल की परिस्थितियां बदलती रहती हैं।’
घर और विदेश में खेलना बहुत अलग: एस जयशंकर
जयशंकर ने कहा, ‘घर पर खेलना और विदेश में खेलना बहुत अलग है। आप कई बार अंपायर की मर्जी पर निर्भर होते हैं। कई फॉर्मेट हैं। …और दिन के अंत में, यह बहुत हद तक मनोविज्ञान के बारे में है, दूसरी टीम को मात देने की कोशिश करना, उनके दिमाग में घुसने की कोशिश करना। हर बार जब आप अपना काम करने के लिए विदेश जाते हैं, तो वह प्रतिस्पर्धी भावना होती है जिसके तहत आप खुद से कहते हैं, मुझे यह जीतना है।’
जयशंकर ने कहा, ‘…इसलिए क्रिकेटर बहुत जटिल परिस्थितियों में लोगों को यह समझाने के लिए बेहतरीन उदाहरण हैं कि उन्हें अपने व्यवहार में कैसा होना चाहिए। इसलिए मेरे अपने सिस्टम में, अगर मुझे किसी को बताना है, तो धैर्य रखें। इसे टुकड़ों में लें। जो भी हो, अपनी जगह पर खड़े रहें। आप ही वह उदाहरण हैं जिसका मैं इस्तेमाल करता हूं।’
जयशंकर ने कहा, ‘आज का भारत वह भारत है जिसके साथ दुनिया खेलना चाहती है। एक ऐसा भारत जो स्पष्ट रूप से वैश्विक व्यापार के लिए अच्छा है। एक ऐसा भारत जो मानक तय करता है, जो दूसरे लोगों की हिम्मत की परीक्षा लेता है।’
भारत की पाकिस्तान नीति को ऐसे समझिये
जयशंकर ने महान क्रिकेटर लाला अमरनाथ द्वारा बेटे मोहिंदर अमरनाथ के साथियों को दी गई सलाह को दोहराया। ‘जल्दी आगे बढ़ो, देर से खेलो, अच्छी तरह से तैयारी करो, अनुमान लगाओ, उन्हें समझो और फिर खेलो।’ पाकिस्तान पर टिप्पणी करते हुए, जयशंकर ने पाकिस्तान और 1982-83 के दौरे पर अमरनाथ के विचारों का उल्लेख किया। जयशंकर ने कहा, ‘आपने कहा था कि आपने उन्हें बेहतर तरीके से खेला क्योंकि पारंपरिक परिस्थितियों में आप पाकिस्तान के खिलाफ खुलकर खेलते हैं। मुझे हमारी पाकिस्तान नीति का इससे बेहतर वर्णन नहीं मिल सकता था।’
ऐसा रहा मोहिंदर अमरनाथ का क्रिकेट करियर
मोहिंदर अमरनाथ ने 1969 से 1989 तक भारतीय क्रिकेट टीम के लिए खेला। इस दौरान उन्होंने 4378 टेस्ट रन बनाए। उनके 11 में से 9 टेस्ट शतक विदेश में बनाये गये थे। 1983 में जब भारत ने विश्व कप जीता था, तब वह सेमीफाइनल और फाइनल में मैन ऑफ द मैच थे। उन्हें 1984 में विजडन क्रिकेटर ऑफ द ईयर में से एक नामित किया गया था। उसी साल उन्हें अर्जुन पुरस्कार भी मिला था।
जयशंकर ने हाल ही में कहा था कि बहुत सारे देश अमेरिका को लेकर घबराए हुए हैं लेकिन हम उनमें से नहीं हैं। उन्होंने यह भी कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उन पहले तीन लोगों में से एक थे जिनका कॉल डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव जीतने के बाद आंसर किया था। विस्तृत खबर यहां पढ़ें।