गुजरात के एक मंत्री ने कहा कि भारत उम्मीद के मुताबिक विकास नहीं कर सका क्योंकि आजादी के बाद एक गरीब देश को एक अमीर प्रधानमंत्री मिला। उद्योग, नागरिक उड्डयन और श्रम एवं रोजगार मंत्री बलवंत सिंह राजपूत ने गुरुवार को जवाहरलाल नेहरू का नाम लिए बिना गुजरात विधानसभा में कहा कि स्वतंत्रता के तुरंत बाद भारत अपेक्षित विकास हासिल नहीं कर सका क्योंकि एक गरीब देश को एक अमीर प्रधानमंत्री मिला।
बलवंत राजपूत जो 2017 तक कांग्रेस के साथ थे, उसके बाद भाजपा में शामिल हो गए , उन्होंने गुजरात विधानसभा में राज्यपाल के अभिभाषण के लिए धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान विपक्षी कांग्रेस पर हमला करते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा, “जब हमारे देश को 1947 में आजादी मिली, उस समय देश के हालात आजादी के लिए लड़ने वाले लोगों के सपनों से अलग थे। देश के जो हालात थे, देश को जो प्रधानमंत्री मिला, एक गरीब देश को एक अमीर प्रधानमंत्री मिला जिसके कारण देश का जो विकास होना चाहिए था वह नहीं हो सका। यह कहा जा सकता है कि यह व्यक्ति जब प्रधानमंत्री बना तो वह अपने कपड़े धुलवाने के लिए भी विदेश चला जाता था।”
राजपूत ने यह भी कहा कि अगर देश को वह प्रधानमंत्री मिल जाता जिसका उसने सपना देखा था तो शायद देश की स्थिति कुछ और होती। उन्होंने कहा कि इसके बाद देश ने ‘वंशवाद की परंपरा’ देखी।
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बलवंत सिंह 2017 में कांग्रेस से इस्तीफा देकर बीजेपी में शामिल हो गए थे
बलवंत सिंह राजपूत गुजरात में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रह चुके हैं। उन्होंने 2017 में पार्टी से इस्तीफा दे दिया था और राज्यसभा चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए थे। जिसके बाद उन्होंने दिवंगत कांग्रेस के दिग्गज नेता अहमद पटेल के खिलाफ चुनाव लड़ा था जो मामूली अंतर से जीते थे।
राजपूत ने प्रस्ताव का समर्थन करते हुए और विशेष रूप से खेडब्रह्मा निर्वाचन क्षेत्र के कांग्रेस विधायक तुषार चौधरी के भाषण का जवाब देते हुए राजनीतिक टिप्पणियां कीं। चौधरी ने अपने भाषण में राज्य में शिक्षा, भूमि अधिकार और पेयजल की स्थिति का चित्रण करते हुए प्रस्ताव का विरोध किया था। उन्होंने कहा कि गुजरात के स्कूलों में 35,982 कक्षाओं की कमी है।
कांग्रेस नेता ने बताई अपने निर्वाचन क्षेत्र की कमियां
राज्य सरकार की नल से जल योजना के कार्यान्वयन पर चौधरी ने अपने खेड़ब्रह्मा निर्वाचन क्षेत्र का हवाला देते हुए कहा कि 90 प्रतिशत गांवों तक पानी नहीं पहुंचा है। उन्होंने कहा कि वहां के विधायकों के पास हैंडपंप और बोरवेल की सबसे अधिक मांग आती है। चौधरी ने कहा कि ऐसा इसलिए हुआ है क्योंकि इस क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति ऐसी है कि इसके लिए अलग से योजना बनाने की आवश्यकता है, जो सरकार द्वारा नहीं किया गया है।
तुषार चौधरी ने कहा, “जब यह सरकार प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षकों को प्राथमिक सुविधाएं प्रदान करने में विफल रही है, जो अपने नागरिकों को पीने का पानी उपलब्ध नहीं करा सकी और आदिवासियों को वन भूमि नहीं दे सकी, तो मैं राज्यपाल के अभिभाषण का धन्यवाद करने के लिए इस तरह के प्रस्ताव का समर्थन नहीं कर सकता।” पढ़ें- देश दुनिया की तमाम बड़ी खबरों के लेटेस्ट अपडेट्स