India-China Border News HIGHLIGHTS: भारत-चीनी सीमा पर दायित्वों के नए उल्लंघनों से बचने के लिए चीन “उचित कदम” उठाने के लिए तैयार है, चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने वर्तमान गतिरोध पर विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित करने के बाद कहा है। भारत और चीन के बीच लद्दाख में जारी तनाव कम होने का नाम नहीं ले रहा। इस बीच एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। बताया गया है कि पैंगोंग सो पर जिस जगह भारत और चीन की सेनाएं आमने-सामने हैं, वहां अब तक एक बार नहीं, बल्कि दो बार फायरिंग की घटनाएं हो चुकी हैं।
राकांपा अध्यक्ष शरद पवार ने आज कहा कि भारत-चीन सीमा पर, खासतौर पर लद्दाख में, जहां दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने हैं, वहां पर सरकार द्वारा एक स्थिति साफ की जानी चाहिए। पवार, जो रक्षा पर संसदीय स्थायी समिति की बैठक में भाग लेने के लिए दिल्ली में हैं, ने कहा कि चर्चा के लिए टेबल पर अन्य रक्षा संबंधी मुद्दे हैं, लेकिन वह अनुरोध करेंगे कि इस पर एक प्रस्तुति दी जाए। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ विपिन रावत भी पैनल के सामने पेश हुए।
इस बीच सेना के एक सूत्र ने बताया कि भारतीय सेना और चीनी सेना के बीच लद्दाख के चुशुल में ब्रिगेडियर-कमांडर स्तर की वार्ता हुई। बैठक सुबह 11 बजे शुरू हुई और दौपहर लगभग 3 बजे खत्म हुई। इससे पहले एआईएमआईएम के प्रमुख और सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने भारत चीन सीमा विवाद को लेकर दोनों देशों के विदेश मंत्रियों के बीच हुई बैठक के बाद जारी संयुक्त बयान को लेकर सरकार पर हमला बोला।
विदेश मंत्री एस. जयशंकर और उनके चीनी समकक्ष वांग यी ने मॉस्को में गुरुवार को बातचीत हुई थी। बातचीत में तनाव को कम करने के लिए पांच सूत्रीय योजना पर सहमति बनी। ओवैसी ने कहा कि क्या मोदी सरकार ने 1000 वर्ग किलोमीटर भूमि पर भारत के अधिकार का समर्पण कर दिया है? विदेश मंत्री ने चीन से अप्रैल से पहले वाली स्थिति में आने के लिए क्यों नहीं कहा?

Highlights
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बताया कि बैठक में पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग त्सो झील के दक्षिणी किनारे पर इस सप्ताह के शुरू में दोनों पक्षों के बीच हुए ताजा टकराव के मद्देनजर सुरक्षा परिदृश्य की समग्र समीक्षा भी की गई। इस संबंध में एक सूत्र ने कहा, ‘बैठक में दोनों देशों के बीच हुए समझौते पर भी चर्चा हुई।’ बैठक में जनरल नरवणे ने किसी भी स्थिति से निपटने के लिए सेना की युद्धक तैयारी के बारे में जानकारी दी और भीषण सर्दी के महीनों में बलों को ऊंचाई वाले क्षेत्रों में रखने संबंधी योजनाओं की भी जानकारी दी।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और शीर्ष सैन्य अधिकारियों ने पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर तनाव कम करने के लिए भारत और चीन के बीच हुए पांच सूत्री समझौते पर शुक्रवार को चर्चा की। अधिकारियों ने बताया कि बैठक में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, प्रमुख रक्षा अध्यक्ष जनरल बिपिन रावत, थलसेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे, वायुसेना प्रमुख एअर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया और नौसेना प्रमुख एडमिरल कर्मबीर सिंह व अन्य अधिकारी शामिल थे।
विदेश मंत्री एस जयशंकर और उनके चीनी समकक्ष वांग यी के बीच मास्को में गुरुवार रात हुई बातचीत में भारत ने पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास चीन द्वारा बड़ी संख्या में बलों और सैन्य उपकरणों की तैनाती पर चिंता जताई। वार्ता के बाद जारी संयुक्त बयान में कहा गया है कि भारत व चीन ने सहमति जताई कि दोनों पक्षों को मतभेदों को विवादों में न बदला जाए।
दोनों देशों के विदेश मंत्री इस बात पर सहमत हुए कि दोनों पक्ष चीन-भारत सीमा मामले संबंधी सभी मौजूदा समझौतों और नियमों का पालन करेंगे, शांति बनाए रखेंगे तथा किसी भी ऐसी कार्रवाई से बचेंगे, जो तनाव बढ़ा सकती है।
पूर्वी लद्दाख में तनाव कम करने के लिए भारत और चीन की सेनाओं के बीच अगले सप्ताह की शुरुआत में कोर कमांडर स्तर की बातचीत होने की संभावना है। इस वार्ता में दोनों देशों के बीच पांच सूत्री समझौते के कुछ प्रावधानों को लागू करने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। सरकारी सूत्रों ने शुक्रवार को इस बारे में बताया ।
जनरल रावत के दावे - इस महीने की शुरुआत में उन्होंने यूएस-इंडिया स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप फोरम में इस तरह की टिप्पणी की - विदेश मंत्री एस जयशंकर ने रूस में अपने चीनी समकक्ष वांग यी से मुलाकात की, जिसके बाद शत्रुता में बढ़ोतरी के बाद तनाव को कम करने के लिए टिप्पणी की गई।
जनरल रावत ने समिति को बताया कि सशस्त्र बलों ने एलएसी के साथ यथास्थिति को बदलने या बदलने के लिए चीन द्वारा किसी भी प्रयास को विफल करने के लिए पर्याप्त कदम और उपाय किए थे।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अपने चीनी समकक्ष से मुलाकात के बाद, दोनों नेताओं ने एक संयुक्त बयान जारी किया, जिसमें कहा गया था कि सीमा सैनिकों को तनाव कम करना और तनाव कम करना चाहिए।
दोनों देशों के विदेश मंत्रियों की 1 घंटे 40 मिनट तक बैठक चली थी। बताया गया है कि इसमें एस जयशंकर ने अपने चीनी समकक्ष वांग यी को साफ कर दिया कि सीमा पर तनाव की वजह चीनी सेना की हरकतें हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जयशंकर ने कहा कि चीन के आक्रामक रवैये ने एलएसी विवाद पर द्विपक्षीय समझौतों की उपेक्षा की, जिसके चलते तनाव बढ़ा।
सूत्रों ने कहा कि भारतीय सेना पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के साथ चीनी सेना के समग्र दृष्टिकोण का गहनता से पालन करेगी, ताकि जयशंकर-वांग वार्ता में सहमति जताते हुए तनाव को कम करने में उनकी गंभीरता का आकलन किया जा सके।
नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर अजीत डोभाल और पीएम मोदी की चीन को लेकर यह बैठक ऐसे समय में हुई है जब दोनों देशों के बीच संबंधों में खटास आ गई है और हाल के दशकों में यह सबसे ज्यादा बढ़ती जा रही है।
आधिकारिक सूत्रों ने 'द हिंदू' अखबार को इस बात की पुष्टि की है। कहा गया है कि एलएसी पर गोलीबारी की घटना सिर्फ 7 सितंबर को ही नहीं हुई थी, बल्कि एक हफ्ते पहले यानी 30 अगस्त को भी इसी स्थान पर हवा में फायरिंग की गई थी। बता दें कि भारत पहले ही चीन की तरफ से वॉर्निंग फायर की बात कह चुका है।
पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने आखिरकार भारतीय और चीनी विदेश मंत्रियों द्वारा लद्दाख में एलएसी पर सीमा स्थिति पर वार्ता आयोजित करने के एक दिन बाद संसदीय पैनल में एक उपस्थिति बनाने के लिए चुना। दोनों मंत्रियों ने चीजों को सामान्य करने की आवश्यकता पर जोर दिया। समिति की बैठक में, गांधी ने सवाल किया कि सीमाओं पर तैनात जवानों और अधिकारियों के बीच आहार में अंतर क्यों है।
भारतीय विदेश मंत्रालय ने चीन के साथ पांच-सूत्रीय समझौते पर प्रकाश डाला, जो संबंधित सैनिकों की जल्द वापसी और आम सीमा पर तनाव कम करने का प्रावधान करता है।
29-30 अगस्त की रात चीनी सैनिक पैंगोंग झील के दक्षिणी छोर की चोटियों पर कब्जा जमाने के इरादे से आगे बढ़ने की कोशिश की। फिर बीते मंगलवार को भी यही किया। इस दौरान भारतीय सैनिकों ने उनकी मंशा पर पानी फेर दिया। भारतीय सैनिकों ने इलाके की कई महत्वपूर्ण चोटियों पर इस मकसद से मोर्चेबंदी मजबूत की ताकि भविष्य में चीन सामरिक रूप से इन महत्वपूर्ण स्थानों पर भी कब्जा जमाकर भारत को ब्लैकमेल करने की कोशिश नहीं कर पाए।
गौरतलब है कि दोनों देशों के विदेश मंत्रियों की वार्ता ऐसे समय में हुई जब वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारत और चीन की सेनाओं के आमने सामने आने की ताजा घटना के कारण पूर्वी लद्दाख सीमा पर तनाव बढ़ गया है । इससे पहले एससीओ में शामिल देशों के विदेश मंत्रियों के फोटो सेशन में वांग यी और जयशंकर आसपास ही खड़े नजर आए। उनके बीच में रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लवरोव खड़े दिखे। इस फोटो को देखने के बाद माना जा रहा था कि रूस दोनों देशों को बातचीत के जरिए विवाद सुलझाने के लिए मनाने की कोशिश करेगा।
बता दें कि पैंगोंग सो के दक्षिणी किनारे पर भारतीय सेना की तरफ से 29-30 अगस्त को की गई कार्रवाई के बाद से एलएसी के हालात काफी बदले हैं। दरअसल,भारत ने इस दौरान पैंगोंग सो से रेकिन ला तक एलएसी पर कई अहम ऊंचाई वाली चोटियों पर कब्जा कर लिया। इससे भारत की स्थिति मजबूत हुई है और उम्मीद की जा रही है कि फिंगर इलाके में जमी चीन की सेनाओं को लौटाने के लिए यह पोजिशन काफी बेहतर साबित होगी। बता दें कि लद्दाख फ्रंटियर पर चीन के करीब 50 हजार सैनिक इकट्ठा हैं। भारत ने भी उसका सामना करने के लिए इतने ही सैनिक तैनात कर दिए हैं।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को एलएसी पर जारी तनावपूर्ण हालात पर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल और चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) बिपिन रावत के साथ बैठक की। चर्चा में तीनों सेनाओं के प्रमुख भी शामिल रहे। बताया गया है कि विदेश मंत्रियों की बैठक के बाद आगे की रणनीति पर चर्चा हुई। इसके अलावा राफेल के वायुसेना में शामिल होने पर भी बात हुई।
भारत-चीन के विदेश मंत्रियों की बैठक में जयशंकर और वांग यी के बीच तनाव कम करने के लिए पांच-बिंदुओं पर सहमति बनी। इसमें विवाद सुलझाने के लिए एक बात यह हुई कि दोनों पक्षों के बीच स्पेशल रिप्रेज़ेन्टेटिव मेकनिज़्म के ज़रिए बातचीत जारी रखी जाए। साथ ही सीमा मामलों में कन्सल्टेशन और कोऑर्डिनेशन पर वर्किंग मेकानिज़्म के तहत भी बातचीत जारी रखी जाएगी। जैसे-जैसे तनाव कम होगा दोनों पक्षों को सीमा इलाक़ों में शांति बनाए रखने के लिए आपस में भरोसा बढ़ाने के लिए कदम उठाने चाहिए।
भारत-चीन की बातचीत के बीच चीन की तरफ से धमकियां दी जा रही हैं। सरकारी मीडिया ग्लोबल टाइम्स ने लिखा कि अगर भारतीय सेना पैंगॉन्ग त्सो झील (लद्दाख) के दक्षिणी हिस्से से नहीं हटती तो पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए यानी चीनी सेना) पूरे ठंड के मौसम में वहीं जमी रहेगी। अगर दोनों देशों के बीच युद्ध हुआ तो भारतीय सेना जल्दी ही हथियार डाल देगी।
भारत और चीन के विदेश मंत्रियों की बैठक में वांग यी ने जयशंकर से कहा कि अभी यह जरूरी है कि एलएसी पर ऐसी फायरिंग और भड़काऊ कार्रवाई रोकी जाएं, जिससे दोनों देशों के बीच हुए समझौतों का उल्लंघन हो। उन्होंने कहा कि प्राथमिकता यह है कि सभी सैनिकों और उपकरणों को पीछे हटाया जाए। आमने-सामने खड़ी सेनाएं जल्दी पीछे हटें, ताकि तनाव को कम किया जा सके।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर तंज कसते हुए कहा है कि क्या वह लद्दाख में चीन द्वारा हड़पी गई जमीन को भी 'एक्ट ऑफ गॉड' बताकर पीछा छुड़ा लेगी? राहुल गांधी ने यह बयान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पर तंज कसते हुए दिया। दरअसल, वित्त मंत्री ने हाल ही में कहा था कि कोरोना महामारी एक दैवीय आपदा है. जिसने देश-दुनिया की अर्थव्यवस्था को पीछे धकेल दिया है।
भारत-चीन तनाव पर हुई विदेश मंत्रियों की बैठक पर AIMIM नेता असददुद्दीन ओवैसी का बयान आया है। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि हमने दोनों देशों की ओर से जारी किया गया संयुक्त बयान देखा। बैठक में विदेश मंत्री डॉ जयशंकर ने चीन से लद्दाख में अप्रैल से पहले वाली स्थिति बहाल करने के लिए क्यों नहीं कहा? क्या वह भी अपने बॉस (पीएम मोदी) के इस तर्क से सहमत हो गए हैं कि कोई भी चीनी सैनिक हमारी सीमा में नहीं घुसे हैं?
भारत और चीन के बीच एलएसी पर तनाव जारी है। अधिकारियों का कहना है कि बॉर्डर पर चीन का रवैया अब तक उकसाने वाला रहा है। हालांकि, इस पर भारत की तरफ से हल्की प्रतिक्रियाएं ही दी गई हैं। अफसरों का कहना है कि जैसे-जैसे सर्दी आ रही है चीन की यह हरकतें हल नहीं निकाल सकतीं। आने वाले समय में ऊंचाई वाली जगहों पर सेना को तैनात रखना मुश्किल होगा।
भारत और चीन के विदेश मंत्रियों की बैठक से पहले चीन के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स ने एक फोटो ट्वीट किया, जिसमें चीनी सैनिक विवादित इलाके में गश्त करते दिख रहे हैं और कह रहे हैं कि वह अपनी इस खूबसूरत नदी और पहाड़ों का एक इंच हिस्सा नहीं देंगे। जबकि हकीकत ये है कि चीनी सेना ने LAC पर तनाव बढ़ाया है। उसके जवानों ने भारतीय जवानों के खिलाफ कुटिल चालें चली।
भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने गुरुवार को चीनी विदेश मंत्री के साथ बैठक में कहा कि एलएसी पर सेना का भारी जुटाव 1993 और 1996 में दोनों देशों के बीच हुए समझौते का सीधा उल्लंघन है। करीब दो घंटे तक चली बैठक में जयशंकर ने वांग को साफ कर दिया कि चीन की तरफ से अब तक एलएसी पर सेना की तैनाती का कोई भरोसेमंद जवाब नहीं दिया गया है।
भारत और चीन के बीच एलएसी पर हालात लगातार बिगड़ रहे हैं, पर भारत के सुरक्षा अधिकारियों का मानना है कि दोनों देश अभी युद्ध के मुहाने पर नहीं पहुंचे हैं। सूत्रों के मुताबिक, पैंगोंग सो में चल रहा तनाव किसी भी राह पर जा सकता है। हालांकि, युद्ध अभी मुश्किल है। बता दें कि चीन ने हाल ही में पैंगोंग सो के करीब फिंगर-4 पर दो हजार सैनिक तैनात कर रखे हैं। उसका यह कदम भारत की ओर से पैंगोंग सो के आसपास ऊंचाई वाली चोटियों पर कब्जा करने के बाद आया है।
भारत और चीन के बीच एलएसी पर तनाव जारी है। इस बीच जापान ने बुधवार को भारत के साथ बेहद अहम ऐतिहासिक रक्षा समझौता किया। इसके तहत दोनों देश एक-दूसरे के सशस्त्र बलों को आपूर्ति एवं सेवाओं के आदान-प्रदान की इजाजत देंगे। बताया गया है कि इस समझौते पर हस्ताक्षर होने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने करीब 30 मिनट तक जापानी पीएम शिंजो आबे से बातचीत की।
पिछले 48 घंटे में ही चीन ने बड़ी संख्या में अपने सैनिकों को फिंगर-4 के पश्चिम में इकट्ठा किया है। माना जा रहा है कि इसके जरिए चीन भारतीय सेना को मिलने वाले उन सभी फायदों को बेकार करना चाहता है, जो पैंगोंग सो के पास जवानों ने ऊंची पहाड़ियों पर कब्जा कर हासिल किया है। पढ़ें पूरी खबर...
भारतीय विदेश मंत्रालय ने मॉस्को में हुई वांग यी और जयशंकर की बैठक पर साझा बयान जारी किया। इसमें कहा गया है कि दोनों विदेश मंत्रियों का मानना है कि एलएसी के मौजूदा हालात दोनों ही पक्षों के हित में नहीं हैं। ऐसे में दोनों में सहमति बनी है कि एलएसी पर सैन्यबलों में वार्ता जारी रहनी चाहिए और उन्हें पीछे हटने के साथ, जरूरी दूरी बनाए रखनी चाहिए, ताकि विवाद कम हो सके।
भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर और चीनी विदेश मंत्री वांग यी के बीच हुई मुलाकात काफी अहम रही। बताया जा रहा है कि इसमें दोनों देशों के बीच एलएसी पर तनाव कम करने की बात हुई। रिपोर्ट्स के मुताबिक, बैठक के दौरान जयशंकर ने साफ कर दिया कि भारत की तरफ से कभी एलएसी पर यथास्थिति (स्टेट क्वो) बदलने की कोशिश नहीं की गई और मौजूदा स्थित सिर्फ चीनी आक्रामकता का परिणाम है।
एअर इंडिया ने बृहस्पतिवार को दिल्ली से चीन के लिए वंदे भारत की पांचवीं उड़ान का परिचालन किया। उड़ान के जरिए 200 से ज्यादा यात्रियों को पहुंचाया गया । इनमें से अधिकतर भारतीय पेशेवर थे जो कोरोना वायरस महामारी के कारण भारत में रूके थे । उड़ान की व्यवस्था का समन्वय करने वाले भारतीय दूतावास के अधिकारियों ने बताया कि 55 यात्रियों को दिल्ली की वापसी उड़ान से रवाना किया गया। इनमें अधिकतर भारतीय हैं जो स्वदेश लौटना चाहते थे। उन्होंने बताया कि दिल्ली से संचालित उड़ान से 212 यात्री शाम में पूर्वी चीन के शहर निंगबो पहुंचे । तकनीकी पड़ाव के तहत विमान कोलकाता में ठहरा था। चीन से आए सभी यात्रियों को निर्धारित होटलों में 14 दिनों के आवश्यक पृथक-वास में रहना होगा ।
पूर्वी लद्दाख में सीमा पर तनावपूर्ण स्थिति को लेकर चीन का स्पष्ट तौर पर संदर्भ देते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बृहस्पतिवार को कहा कि पांच राफेल विमानों का भारतीय वायुसेना में शामिल होना उन लोगों के लिए एक ‘‘बड़ा और कड़ा’’ संदेश हैं जो भारत की संप्रभुता पर नजर गड़ाए हुए हैं। पांच राफेल लड़ाकू विमानों को बृहस्पितवार को अंबाला वायुसेना अड्डे पर हुए शानदार समारोह में भारतीय वायु सेना (आईएएफ) में औपचारिक रूप से शामिल किया गया। यह भारत की वायु शक्ति की क्षमता को ऐसे समय में मजबूती दे रहा है जब देश पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ सीमा विवाद में उलझा हुआ है।
भारतीय सेना ने पूर्वी लद्दाख में पैंगोग सो इलाके के आसपास चीनी ठिकानों पर नजर रखने के लिहाज से कई महत्वपूर्ण चोटियों पर अपना दबदबा बढ़ा लिया है। वहीं, क्षेत्र में तनाव कम करने के लिए दोनों सेनाओं के ब्रिगेड कमांडरों और कमांडिग अधिकारियों ने अलग-अलग वार्ता की। सरकारी सूत्रों ने इस बारे में जानकारी दी । उन्होंने बताया कि फिंगर-चार के, चीनी कब्जे वाले स्थानों पर कड़ी नजर रखने के लिए पैंगोग सो के आसपास पर्वतों की चोटियों और सामरिक महत्व वाले स्थानों पर अतिरिक्त बलों को तैनात किया गया है । पर्वत श्रृंखला को फिंगर के तौर पर वर्णित किया जाता है । सूत्रों ने बताया कि पैंगोग झील के उत्तरी किनारे पर फिंगर चार से आठ तक चीन की मौजूदगी है । अगस्त के अंत के बाद से भारतीय सेना ने झील के दक्षिणी किनारे पर रेजांग ला और राकिन ला में कई महत्वपूर्ण चोटियों पर दबदबा कायम कर लिया है ।
भारतीय सेना ने पूर्वी लद्दाख में पैंगोग सो इलाके के आसपास चीनी ठिकानों पर नजर रखने के लिहाज से कई महत्वपूर्ण चोटियों पर अपना दबदबा बढ़ा लिया है। वहीं, क्षेत्र में तनाव कम करने के लिए दोनों सेनाओं के ब्रिगेड कमांडरों और कमांडिग अधिकारियों ने अलग-अलग वार्ता की। सरकारी सूत्रों ने इस बारे में जानकारी दी ।
रूस, भारत और चीन (आरआईसी) के विदेश मंत्रियों ने बृहस्पतिवार को मास्को में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) से इतर त्रिपक्षीय वार्ता की। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ट्वीट किया, ‘‘मास्को में विदेश मंत्री (सर्गेई) लावरोव की मेजबानी में आयोजित आरआईसी के विदेश मंत्रियों की बैठक में भाग लिया। गर्मजोशी से भरे उनके आतिथ्य के लिए धन्यवाद।’’ जयशंकर ने रूस और चीन के अपने समकक्षों की तस्वीर भी पोस्ट की। आरआईसी ढांचे के तहत तीनों देशों के विदेश मंत्री समय समय पर अपने हितों वाले द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुददों पर चर्चा करने के लिए मिलते रहते हैं।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पांच राफेल विमानों को भारतीय वायु सेना में शामिल किए जाने के उपलक्ष्य में रखे गए समारोह के जरिए पूर्वी लद्दाख में चीन की आक्रमकता पर उसे एक कड़ा संदेश दिया। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा भारत की बड़ी प्राथमिकता है और वह अपने क्षेत्र को संरक्षित रखने के लिए दृढ़ संकल्प है। सिंह ने कहा कि भारत की सीमा के आस-पास बन रहे माहौल को देखते हुए राफेल विमानों का भारतीय वायु सेना में शामिल होना अहम है।
जयशंकर के एससीओ बैठक से इतर अपने चीनी समकक्ष वांग यी के साथ द्विपक्षीय बैठक करने की उम्मीद है। भारत और चीन दोनों प्रभावशाली क्षेत्रीय संगठन एससीओ के सदस्य हैं जो मुख्य रूप से सुरक्षा संबंधी मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करता है। एससीओ की स्थापना 2001 में शंघाई में एक शिखर सम्मेलन में रूस, चीन, किर्गिज़ गणराज्य, कज़ाकिस्तान, ताजिकिस्तान और उजबेकिस्तान द्वारा की गई थी।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने उज्बेकिस्तान के अपने समकक्ष अब्दुल अजीज कामिलोव और कजाखस्तान के अपने समकक्ष मुख्तार तिलेउबर्दी के साथ यहां अलग-अलग बैठकें कीं और क्षेत्रीय चिंताओं एवं सुरक्षा के मामलों पर मध्य एशियाई देशों के साथ सहयोग पर सहमति जताई।
आर्मेनिया, बेलारूस, ईरान, म्यामां, पाकिस्तान और अन्य देशों के साथ चीनी और रूसी बल इस महीने दक्षिणी रूस में होने वाले संयुक्त सैन्य अभ्यास में शामिल होंगे। चीन के रक्षा मंत्रालय ने बृहस्पतिवार को एक विज्ञप्ति में बताया कि ‘कॉकस 2020’ अभ्यास में पहिए वाले वाहन और हल्के हथियार तैनात किए जाएंगे, जिन्हें चीन के नए संस्करण के परिवहन विमान अभ्यास स्थल लेकर जाएंगे। मंत्रालय ने बताया कि 21 से 26 सितंबर तक चलने वाले अभ्यास के दौरान रक्षात्मक रणनीति, घेरेबंदी, युद्धक्षेत्र नियंत्रण और कमान पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।