भारत-चीन के बीच LAC पर टकराव कम करने की दिशा में हो रही कोशिशों के बीच वरिष्ठ चीनी अधिकारियों ने इस बात का संकेत दिया कि दोनों पक्ष संबंधों को सामान्य करने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं। चीनी अधिकारियों का कहना है कि दोनों पक्ष संबंधों को सामान्य स्थिति में लाने के लिए कई उपायों पर चर्चा कर रहे हैं, जैसा कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर अप्रैल-मई 2020 में टकराव शुरू होने से पहले था।

इस बात को रेखांकित करते हुए चीनी अधिकारियों ने कहा कि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच पिछले महीने कज़ान में हुई बैठक के दौरान यह बात और स्पष्ट हुई थी। बीजिंग को उम्मीद है कि यह विश लिस्ट जल्द ही पूरी हो जाएगी और इसमें दोनों देशों के बीच डायरेक्ट फ्लाइट, राजनयिकों और विद्वानों सहित चीनी नागरिकों पर वीजा प्रतिबंधों में ढील, मोबाइल ऐप पर प्रतिबंध हटाना, चीनी पत्रकारों को भारत आने और रिपोर्टिंग करने की अनुमति देना, चीनी सिनेमाघरों में अधिक भारतीय फिल्मों को अनुमति देना शामिल हैं।

इंडियन एक्सप्रेस द्वारा चीनी अधिकारियों, विद्वानों और सरकारी थिंक टैंकों और मीडिया संगठनों के विश्लेषकों के साथ की गई कई बैठकों से यह जानकारी सामने आई।

चीनी अधिकारियों की भारतीय मीडिया प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात

सीमा पर गतिरोध समाप्त होने के बाद यह पहली बार है जब चीनी अधिकारियों ने भारतीय मीडिया प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की। चीनी सरकार को यह भी उम्मीद है कि प्रधानमंत्री मोदी अगले साल शंघाई सहयोग संगठन शिखर सम्मेलन के लिए चीन का दौरा करेंगे।

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कज़ान में जिनपिंग और मोदी के बीच ‘आइस-ब्रेकिंग मीटिंग’

बीजिंग में अधिकारियों ने बताया कि पिछले महीने रूस के कज़ान में शी जिनपिंग और नरेंद्र मोदी के बीच ‘आइस-ब्रेकिंग मीटिंग’ हुई थी। उन्होंने कहा कि दोनों नेताओं के बीच पर्सनल दोस्ती है। कोविड-19 महामारी और एलएसी पर टकराव के बाद पांच साल में यह उनकी पहली मुलाकात थी।

अधिकारियों ने यह भी कहा कि दोनों देशों के नेताओं ने विशेष प्रतिनिधियों, विदेश मंत्रियों और उप विदेश मंत्रियों से अगले कदमों और बैठकों पर चर्चा करने को कहा है। एक चीनी अधिकारी ने कहा, “विशेष प्रतिनिधियों, वरिष्ठ मंत्रियों और अधिकारियों को 18-19 नवंबर को ब्राजील में होने वाले G-20 शिखर सम्मेलन के दौरान मिलने का अवसर मिल सकता है। हमने प्रस्ताव दिया है, अब गेंद भारत के पाले में है।”

चीनी अधिकारी ने कहा, “इस मुद्दे पर, चीन और भारत दोनों का दृष्टिकोण एक जैसा है। कज़ान बैठक के दौरान, हमारे नेता मिले और उन्होंने संबंधों को रणनीतिक ऊंचाई पर पहुंचाया। उन्हें सभी मुद्दों को एक साथ हल करने की आवश्यकता है।”

चीनी आधिकारियों का मानना है कि सीमा मुद्दे को तेजी से सुलझाया जाना चाहिए

चीनी अधिकारी ने कहा, “सीमा मुद्दे को तेजी से सुलझाया जाना चाहिए लेकिन हमें नहीं लगता कि यह मुद्दा रिश्ते का केंद्र होना चाहिए। कमांडरों और राजनयिकों के स्तर पर 20 दौर की बातचीत हो चुकी है। कुछ खास बिंदुओं पर सैनिकों की वापसी हुई है और यह नेताओं की मुलाकात से पहले हुआ था। नेताओं ने बातचीत को सकारात्मक दिशा दी। दोनों नेता हमेशा रिश्ते को बेहतर स्थिति में ले जाना चाहते हैं।”

अधिकारियों ने कहा कि इस बार नरेंद्र मोदी ने बातचीत के बिंदुओं या आधिकारिक नोटों को नहीं पढ़ा। उन्होंने दिल से बात की और राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने भी यही किया। इससे पता चलता है कि उनके बीच कितना जुड़ाव है।”

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उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों को बातचीत के ज़रिए संबंधों को आगे बढ़ाने की ज़रूरत है। अधिकारी ने कहा, “दोनों पक्षों को सीमा मुद्दे और अन्य मुद्दों को सुलझाने के लिए समन्वय करने की ज़रूरत है। लेकिन, सबसे पहले, हमें हर स्तर पर और हर अवसर पर ज़्यादा बातचीत करने की ज़रूरत है। कोविड और बॉर्डर इश्यू के कारण, कई सालों तक कोई बातचीत नहीं हुई और बाहरी ताकतों की वजह से ग़लतफ़हमियां पैदा हुईं।”

अधिकारियों का कहना है कि भारत और चीन को ज़्यादा सहयोग करने और जलवायु परिवर्तन और एआई, हरित ऊर्जा संक्रमण जैसे मुद्दों पर ज़्यादा ध्यान देने की ज़रूरत है। हमें एक-दूसरे का समर्थन करने और एक-दूसरे को समझने और एक आम दृष्टिकोण पर आने की ज़रूरत है।”

चीनी आधिकारियों को उम्मीद है कि पीएम मोदी चीन आएंगे

चीन के आधिकारियों ने कहा कि अगले साल चीन एससीओ की अध्यक्षता करेगा और हमें उम्मीद है कि प्रधानमंत्री मोदी इसके लिए चीन आएंगे। उन्होंने कहा, “हमारे प्रधानमंत्री G-20 के लिए भारत गए थे और हमने जी-20 घोषणापत्र में भी योगदान दिया था और इस पर भारत के साथ काम किया था। हमने एसआर स्तर की वार्ता के लिए गेंद भारत के पाले में छोड़ दी है कि अगली बार अधिकारी कब मिलेंगे।”