भारतीय सेना ने अपनी युद्ध तैयारियों को और मजबूत करते हुए कारगिल में सी-17 ग्लोबमास्टर विमान की सफल लैंडिंग कराई है। यह कदम पाकिस्तान के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है, क्योंकि यह विमान भारी मात्रा में सैन्य आपूर्ति और सैनिकों को तेजी से किसी भी मोर्चे पर पहुंचाने में सक्षम है। लद्दाख और कारगिल जैसे ऊंचाई वाले इलाकों में कनेक्टिविटी को लेकर भारतीय सेना पहले से ही तैयारी कर रही थी, और अब ग्लोबमास्टर की लैंडिंग से यह रणनीतिक बढ़त और भी मजबूत हो गई है।
सेना की ताकत में जबरदस्त इजाफा
सी-17 ग्लोबमास्टर विमान की तैनाती से भारतीय सेना की लॉजिस्टिक सपोर्ट क्षमता चार गुना तक बढ़ जाएगी। इससे पहले, कारगिल एयरफील्ड से केवल सी-130जे सुपर हरक्यूलिस और एएन-32 विमान ही संचालित किए जाते थे, जिनकी भार क्षमता सीमित थी। लेकिन ग्लोबमास्टर अकेले ही 60 से 70 टन तक का भार उठा सकता है और एक बार में 150 से अधिक सैनिकों को उनके साजो-सामान के साथ सीमा पर पहुंचा सकता है। ऐसे में यह विमान पाकिस्तान और चीन, दोनों के लिए बड़ा सिरदर्द बन सकता है।
कारगिल से चीन सीमा तक तैनाती होगी आसान
कारगिल की रणनीतिक स्थिति को देखते हुए यह एयरफील्ड पाकिस्तान और चीन दोनों के लिए चिंता का विषय रही है। 1999 के करगिल युद्ध के दौरान पाकिस्तान ने इस एयरफील्ड को निशाना भी बनाया था। अब जब भारत ने यहां सी-17 ग्लोबमास्टर को उतारा है, तो इसका इस्तेमाल जरूरत पड़ने पर सैनिकों को तुरंत चीन सीमा तक भेजने में भी किया जा सकता है। इसके अलावा, लद्दाख को हर मौसम में जोड़ने के लिए बनाई जा रही जोजिला टनल और ऑल वेदर रोड से भी सेना की ताकत में जबरदस्त बढ़ोतरी होगी।
कड़ाके की ठंड और ऊंचाई वाले इलाकों में भी दमदार प्रदर्शन
सी-17 ग्लोबमास्टर को खासतौर पर ऊंचाई और अत्यधिक ठंडे इलाकों में संचालन के लिए डिजाइन किया गया है। यह विमान लेह और श्रीनगर के बीच के गैप को भी भरने का काम करेगा, जिससे सेना को रसद और सैन्य आपूर्ति भेजने में आसानी होगी। हालांकि, कारगिल एयरफील्ड में कोई पार्किंग बे नहीं होने की वजह से एक समय में सिर्फ एक सी-17 विमान ही वहां तैनात हो सकता है, लेकिन सेना इस चुनौती का हल निकालने में जुटी है।
सी-17 ग्लोबमास्टर की इस तैनाती से पाकिस्तान और चीन, दोनों की नजरें अब भारत की सैन्य तैयारियों पर टिक गई हैं। पाकिस्तान पहले ही इस एयरफील्ड से चिढ़ा हुआ था, लेकिन अब भारत की रणनीतिक बढ़त ने उसकी चिंता और बढ़ा दी है। आने वाले दिनों में भारत इस क्षेत्र में और मजबूत बुनियादी ढांचा खड़ा कर सकता है, जिससे भारतीय सेना की जवाबी कार्रवाई की क्षमता कई गुना बढ़ जाएगी।