India Block: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को मणिपुर का दौरा किया। मई 2023 में मैतेई और कुकी-जो समुदायों के बीच जातीय संघर्ष शुरू होने के बाद से यह उनका संघर्षग्रस्त राज्य का पहला दौरा था। विपक्षी इंडिया गठबंधन ने इसे एक “तमाशा” और प्रभावित लोगों के लिए “गंभीर अपमान” कहा ह।
मणिपुर दौरे के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने चूड़ाचांदपुर और इम्फाल में आंतरिक रूप से विस्थापित लोगों से मुलाकात की और वहां सभाओं को संबोधित किया। वहीं,पिछले दो वर्षों में कांग्रेस और अन्य इंडिया ब्लॉक पार्टियों ने बार-बार मांग की है कि प्रधानमंत्री मणिपुर का दौरा करें, यहां तक कि विपक्ष ने कई अवसरों पर संसद में मोदी की “चुप्पी” का मुद्दा भी उठाया है।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि प्रधानमंत्री का मणिपुर में तीन घंटे का ठहराव करुणा नहीं है, बल्कि यह एक दिखावा, और घायल लोगों का घोर अपमान है।
खड़गे ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि आज इम्फाल और चूड़ाचांदपुर में आपका तथाकथित रोड शो, राहत शिविरों में लोगों की चीखें सुनने से बचने का एक कायराना प्रयास है। उन्होंने कहा कि मणिपुर में 864 दिनों तक हिंसा चली, जिसमें 300 लोगों की जान गई, 67,000 लोग विस्थापित हुए और 1,500 घायल हुए। उन्होंने कहा कि आपने तब से 46 विदेश यात्राएं कीं, लेकिन अपने ही नागरिकों से सहानुभूति के दो शब्द कहने के लिए एक भी यात्रा नहीं की।
खड़गे, जो राज्यसभा में विपक्ष के नेता (एलओपी) भी हैं। उन्होंने कहा कि मोदी की मणिपुर की आखिरी यात्रा जनवरी 2022 में हुई थी और यह “(विधानसभा) चुनावों के लिए” थी।
मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पर निशाना साधते हुए खड़गे ने आरोप लगाया कि राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाकर आपकी और अमित शाह की घोर अक्षमता और सभी समुदायों के साथ विश्वासघात करने में उनकी मिलीभगत को जांच से बचा लिया गया। हिंसा अभी भी जारी है।
लोकसभा में कांग्रेस के उपनेता और पार्टी की असम इकाई के अध्यक्ष गौरव गोगोई ने कहा कि मणिपुर में शांति और सुधार की दिशा में पहला कदम प्रधानमंत्री मोदी का दो साल पहले राज्य का दौरा होना चाहिए था। उन्होंने आगे कहा कि अब दो साल बाद, उनका दौरा मुख्य रूप से पूर्वोत्तर की भावनाओं का सम्मान करने के लिए होना चाहिए था। इसके बजाय, दिखावे को नज़रअंदाज़ किया जा रहा है और ज़मीनी हक़ीक़त के बजाय प्रधानमंत्री की छवि पर केंद्रित किया जा रहा है।
लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने शुक्रवार को कहा कि प्रधानमंत्री मोदी का मणिपुर दौरा कोई बड़ी बात नहीं है। उन्होंने कहा कि मणिपुर लंबे समय से संकटग्रस्त रहा है और प्रधानमंत्री ने अब वहाँ जाने का फैसला किया है। इसलिए यह कोई बड़ी बात नहीं है। आज भारत में मुख्य मुद्दा ‘वोट चोरी’ है।
एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने कहा कि दो साल से ज़्यादा समय से जारी हिंसा के बाद प्रधानमंत्री का मणिपुर दौरा “विपक्ष के लिए एक तश्तरी में परोसा गया मौका” है। उन्होंने कहा कि हम सभी जानते हैं कि भाजपा और मोदी सरकार मणिपुर के मुद्दे पर काफ़ी हद तक चुप रही हैं। प्रधानमंत्री संसद में भी इस मुद्दे को टालते रहे और ज़्यादातर समय चुप ही रहे। अब, अगर वे वहां गए हैं, तो हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि राज्य और देश की जनता तक यह बात पहुंचे कि यह दौरा सिर्फ़ दिखावटी था।
इंडिया ब्लॉक के अन्य घटकों ने भी प्रधानमंत्री की छोटी यात्रा के लिए उन पर निशाना साधा और इसे बहुत कम और बहुत देर से की गई राज्य की यात्रा बताया।
समाजवादी पार्टी (सपा) सांसद जावेद अली खान ने कहा कि प्रधानमंत्री ने “वर्षों बाद मणिपुर का संज्ञान लिया है, जो उन्हें पहले ही कर लेना चाहिए था। खान ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि अगर (हिंसा के) पहले दिन से ही प्रधानमंत्री का मणिपुर के प्रति रुख सकारात्मक होता, तो कई जानें बच जातीं और राज्य बर्बाद नहीं होता। यह संघर्ष बहुत पहले ही खत्म हो सकता था। लेकिन देर आए दुरुस्त आए।
तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सांसद सागरिका घोष ने कहा कि यह फोटो खिंचवाने की सबसे शर्मनाक राजनीति है। दो साल से ज़्यादा समय से मणिपुर संकट में है। अब प्रधानमंत्री वहां तीन घंटे के लिए गए हैं। यह सिर्फ़ दिखावे के लिए है। यह बहुत कम और बहुत देर से किया गया कदम है। घोष ने आगे कहा कि मणिपुर को दिखावे की नहीं, बल्कि एक मरहम लगाने वाले स्पर्श और सच्ची करुणा की ज़रूरत है।
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राष्ट्रीय जनता दल (राजद) सांसद मनोज कुमार झा ने कहा कि प्रधानमंत्री की मणिपुर की इस बहुत विलंबित यात्रा में “सुलह का भार और मरहम होना चाहिए था”। झा ने कहा कि उम्मीदें बेवजह नहीं थीं- संकट के क्षणों में एक नेता को आश्वासन, विनम्रता और ठोस उपाय करने की ज़रूरत होती है। इसके बजाय, जो सामने आया वह अब एक बहुत ही जाना-पहचाना पैटर्न था: बयानबाज़ी, जो ठोस नहीं थी। लोगों की चिंताओं को सहानुभूति और स्पष्टता के साथ दूर करने, दूरियों को पाटने का अवसर एक बार फिर गंवा दिया गया। सिर्फ़ शब्दों से घाव नहीं भरे जा सकते। उन्हें कर्म और ईमानदारी से भी पुष्ट किया जाना चाहिए। जब बयानबाज़ी वास्तविकता पर हावी हो जाती है, तो निराशा गहरी होती है और विश्वास और कम होता जाता है।
सीपीआई नेता पी. संदोष कुमार ने कहा कि प्रधानमंत्री का मणिपुर दौरा “बेकार” था और “मोदी के भक्तों” ने संसद में उनके राज्य न जाने को सही ठहराया था। कुमार ने कहा कि अब क्या बदल गया है? उन्हें कम से कम इस दौरे पर और यह अभी क्यों हो रहा है, इस पर बयान तो देना चाहिए।
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