भारत के दुश्मनों की नींद उड़ी हुई है। भारत ने अमेरिका के साथ एक ऐसी डील की है, जिससे चीन और पाकिस्तान की भी टेंशन बढ़ गई है। भारत ने अमेरिका के साथ 34 हजार करोड़ रुपये की प्रीडेटर ड्रोन्स की डील की है। अमेरिका भारत को 31- MQ प्रीडेटर ड्रोन्स सप्लाई करेगा। इस डील की कुल कीमत 34,500 करोड़ रुपये है। तीनों सेनाओं को अलग-अलग संख्या में ड्रोन्स मिलेगी। वहीं इस डील की सबसे अहम बात यह है कि भारत में ड्रोन्स के मेंटेनेंस, रिपेयर और ओवरऑल के लिए भी फैसिलिटी बनाई जाएगी।
इसी साल के जून महीने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका दौरे पर गए थे। इस दौरान ही उन्होंने अमेरिका को 31 हाई एल्टीट्यूड लॉन्ग एंडोरेंस ड्रोन्स का प्रस्ताव दिया था। MQ – 9B हंटर किलर ड्रोन अधिक ऊंचाई पर उड़ सकता है और इसे रीपर भी बुलाते हैं।
चार जगहों पर होगी तैनाती
अमेरिका से जो ड्रोन भारत को मिलेंगे, उन्हें तीनों सेनाओं में बांटा जाएगा। इन ड्रोन्स को विशेष तौर पर चार जगह पर तैनात किया जाएगा। चेन्नई में आईएनएस राजाली और गुजरात के पोरबंदर में इसका संचालन भारतीय नौसेना करेगी। तो वहीं गोरखपुर और सरसावा एयर फोर्स बेस पर वायु सेना और आर्मी इसका संचालन करेगी।
गोरखपुर और सरसावा बेस पर इसलिए ड्रोन को तैनात किया जाएगा, ताकि चीन के लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल की निगरानी रखनी आसान हो जाए। इसके अलावा लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश में भी इसके जरिए निगरानी रखा जाएगा। वहीं 15 ड्रोन्स समुद्री इलाकों की निगरानी के लिए होंगे और जो ड्रोन बचेंगे उन्हें चीन और पाकिस्तान की सीमाओं की निगरानी के लिए तैनात किए जाएंगे।
यह ड्रोन कितना खतरनाक है, इसका अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि अमेरिका ने अलकायदा के सरगना अल जवाहिरी को इसी से मार गिराया था। इस ड्रोन को सर्विलांस, जासूसी, इनफॉरमेशन या फिर दुश्मन के ठिकाने पर हमला करने के लिए भेजा जा सकता है। इस ड्रोन की रेंज 1900 किलोमीटर है और यह अपने साथ 1700 किलोग्राम वजनी हथियार लेकर जा सकता है।