Independence Day Quotes in Hindi 2024: भारत 78वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है। साल 1947 में मिली आजादी के बाद से अब तक देश एक लंबा सफर तय कर चुका है। प्रथम स्वतंत्रता दिवस से लेकर अब तक देश ने काफी तरक्की की है और आने वाले दिनों में भारत की तरक्की का यह ग्राफ और तेजी से बढ़ता नजर आ रहा है। किसी भी स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री द्वारा दिया जाने वाला भाषण उनकी सरकार का देश को लेकर आने वालों सालों के विजन का एक नजरिया पेश करता है।
जनसत्ता डॉट कॉम के इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे देश की आजादी के बाद स्वतंत्रता दिवस पर विभिन्न प्रधानमंत्रियों द्वारा दिए गए कुछ ऐसे Quotes के बारे में, जो इतिहास के पन्नों में सदा-सदा के लिए अमर हो गए। उन्हें आज भी याद किया जाता है।
पंडित जवाहर लाल नेहरू – 1948
‘एक आजाद मुल्क में तब तक बड़े-बड़े सवाल हल नहीं हो सकते जब तक कि आम जनता का उसे हल करने में पूरा सहयोग न हो और मदद न हो’
पंडित जवाहर लाल नेहरू ने दूसरे स्वतंत्रता दिवस पर साल 1948 में कहा कि देश के सामने बड़े-बड़े सवाल है, हम कुर्सी पर बैठे हैं, जिम्मेदारी हमारी है लेकिन यह भी आप याद रखें एक आजाद मुल्क में बड़े-बड़े सवाल तब तक हल नहीं हो सकते, जब तक कि आम जनता का उसे हल करने के लिए पूरा सहयोग न हो मदद न हो। उन्होंने देशवासियों से कहा कि आप एक आजाद कौम हैं तो खाली ऐतराज करने से काम नहीं चलता। उस बोझे को उठाना है, सहयोग करना है, मदद करनी है और अगर हम सब इस तरह से करें तो बड़े से बड़े मसले हल होंगे।
पंडित जवाहर लाल नेहरू – 1962
‘हम एक बदलती हुई दुनिया में, बदलते हुए हिंदुस्तान में रहते हैं और अगर हम तेजी से नहीं बदलते तो हम पीछे रह जाएंगे, हमें बदलना है’
साल 1962 में स्वतंत्रता दिवस के मौके पर पंडित नेहरू ने अपने भाषण में विज्ञान पर खास फोकस किया। उन्होंने कहा कि आजकल का जमाना क्या है, जरा आप देखिए शायद आपमें से बाज लोगों ने रात को देखा हो कि कैसे आजकल आसमान पर दो नए सितारे छू रहे हैं। दो आदमी, सितारे मैंने कहा, लेकिन दो आदमी दुनिया से अलग हो के सैकड़ों मील दुनिया का घेरा कर रहे हैं, जो रूस से निकले हैं, उसके पहले अमेरिका से ऐसे निकले थे। तो कैसी दुनिया है जहां ऐसी बातें होती हैं, सारी दुनिया बदल रही है, इंसान बदल रहा है, नई-नई ताकतें आती हैं और अगर हम इनको नहीं समझे और हम नहीं समझ के उनको इस्तेमाल करें अपनी भलाई के लिए और दुनिया की भलाई के लिए तब हम पिछड़ जाएंगे। दुनिया आगे बढ़ जाएगी। इसलिए हमें समझना है कि हम एक बदलती हुई दुनिया में बदलते हुए हिंदुस्तान में रहते हैं और अगर हम तेजी से नहीं बदलते तो हम पीछे रह जाएंगे। हमें बदलना है, हमें विज्ञान को बढ़ाना है, हमें अपनी मेहनत कर के इस मुल्क में नए तरीके निकालने हैं, कारखाने बनाने हैं, खासकर हमारी खेती की तरक्की करनी है, क्योंकि वो जड़ है हिंदुस्तान की।
लाल बहादुर शास्त्री – 1965
‘कश्मीर का एक भी टुकड़ा पाकिस्तान को मिलने वाला नहीं’
साल 1965 में स्वतंत्रता दिवस के मौके पर तब के प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने कहा कि कश्मीर पर हमला किया जा रहा है और मैं जानता हूं कि पाकिस्तान उसे बढ़ाने का पूरा इरादा रखता है। हम इस हाल में क्या करें। मैं यह पूरी तरह से समझता हूं कि अब हमारे लिए कोई बातचीत करने की गुंजाइश नहीं है, उसे मह सोच भी नहीं करते। कश्मीर में शांति हो यह भारत चाहता है लेकिन जब हमला इस तरह का हो तो एक सरकार के नाते हमारा क्या जवाब हो सकता है सिवाए इसके कि हम हथियारों का जवाब हथियारों से दें। उन्होंने कहा कि जो एक बड़ा संकट हमारे ऊपर आया है, उसके लिए हमको और आप सब को तैयार रहना होगा। आज समय है, कोई महें आराम का वक्त नहीं, आज त्याग का, बलिदान का, कुर्बानी का, जो भी रास्ता हो वह हमें इख्तियार करने के लिए तैयार रहना होगा। मैं आपकी तरह से यह यह कहने वाला हूं औऱ कहना चाहता हूं कि कश्मीर का एक टुकड़ा भी पाकिस्तान को मिलने वाला नहीं है।
इंदिरा गांधी – 1975
‘आजादी कोई जादू नहीं है कि उससे तुरंत गरीबी दूर हो जाए, कठिनाइयां औऱ कष्ट दूर हो जाएं। आजाद से केवल एक दरवाजा खुला, सदियों की घुटन दूर हुई।’
आपातकाल लगाने के बाद साल 1975 में स्वतंत्रता दिवस पर देश को संबोधित करते हुए इंदिरा गांधी ने कहा कि हमने जो रास्ता चुना वो लोकतंत्र का रास्ता था, लेकिन लोकतंत्र के माने ये नहीं है कि जिसका चाहे जिस रास्ते पर जाएं। अपनी नीति लोग चुन सकते हैं, अपनी विचारधारा अलग रख सकते हैं, अपनी आवाज उठा सकते हैं लेकिन कुछ नियम से चलना होता है। ऐसा रास्ता नहीं पकड़ सकते जिससे दूसरों को कष्ट हो या जिससे देश के दुर्बल होने का भय हो या जिससे दूसरी शक्तियों का, दूसरे प्रभाव बाहर से आ सकें और हमारी नीति या हमारी दिशा पर अपना प्रभाव डाल सकें। हम केवल भारत के हित को देखते हुए आगे बढ़ते हैं।
अटल बिहारी वाजपेयी- 2000
‘आइए अब भविष्य की ओर देखें। हमें एक समृद्ध स्वाबलम्बी और स्वाभिमानी भारत का निर्माण करना है। हम इस दिशा में चल पड़े हैं, हम इस दिशा में आगे बढ़ेंगे। हमें रफ्तार को और तेज करना है।’
साल 2000 में स्वतंत्रता दिवस पर देश को संबंधित करते अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा – भारत को भविष्य की चुनौतियों तथा सुअवसर पर भी ध्यान देना चाहिए। विगत के विवादास्पद मुद्दों में नहीं उलझना चाहिए। आइए ब भविष्य की ओर देखें। हमें एक समृद्ध स्वाबलम्बी और स्वाभिमानी भारत का निर्माण करना है। हम इस दिशा में चल पड़े हैं, हम इस दिशा में आगे बढ़ेंगे। हमें रुकना नहीं है, रफ्तार को और तेज करना है। मैं किसानों, मजदूरों, कर्मचारियों, नौजवानों और भारत के तमाम नागरिकों से सुखी और संपन्न भारत के निर्माण में अपना योगदान देने की अपील करता हूं।
नरेंद्र मोदी – 2014
‘सरकार एक असेम्बल्ड एन्टिटी नहीं, एक ऑर्गेनिक यूनिटी बने, एकरस हो सरकार- एक लक्ष्य, एक मन, एक दिशा, एक गति, एक मति- इस मुकाम पर हम देश को चलाने का संकल्प करें। हम चल सकते हैं।’
साल 2014 में स्वतंत्रता दिवस के मौके पर देश को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि मैंने जब दिल्ली आ करके एक इनसाइडर व्यू देखा तो मैंने अनुभव किया, मैं चौंक गया। ऐस लगा जैसे एक सरकार के अंदर भी दर्जनों अलग-अलग सरकारें चल रही हैं। हरेक की जैसे अपनी-अपनी जागीरें बनी हुई हैं। मुझे बिखराव नजर आया, मुझे टकराव नजर आया। एक डिपार्टमेंट दूसरे डिपार्टमेंट से भिड़ रहा है औऱ यहा ंतक भिड़ रहा है कि सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे खट-खटा करके एक ही सरकार के दो डिपार्टमेंट आपस में लड़ाई लड़ रहे हैं। यह बिखराव, यह टकराव, एक ही देश के लोग, हम देश को कैसे आगे बढ़ा सकते है? और इसलिए मैंने कोशिश प्रारंभ की है, उन दीवारों को गिराने की, मैंने कोशिश प्रारंभ की है सरकार एक असेम्बल्ड एन्टिटी नहीं, एक ऑर्गेनिक यूनिटी बने, एकरस हो सरकार- एक लक्ष्य, एक मन, एक दिशा, एक गति, एक मति- इस मुकाम पर हम देश को चलाने का संकल्प करें। हम चल सकते हैं।