भारत भले ही करगिल की लड़ाई जीत गया हो, लेकिन 1999 में हुए इस युद्ध के लिए एयरफोर्स ने कुछ और ही प्लान्स बना रखे थे। एयरफोर्स चाहता था कि उसे पाकिस्तान में घुसकर उसकी सेना को सबक सिखाने का मौका दिया जाए, लेकिन तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी इसके लिए राजी नहीं हुए और ना ही NDA सरकार ने इसकी इजाजत दी।
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NDTV में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, 25 मई के दिन इंडियन एयरफोर्स के चीफ मार्शल एआई टिपनिस की अटल बिहारी वाजपेयी के साथ मीटिंग हुई थी। इस मीटिंग में टिपनिस ने वाजपेयी से परमिशन मांगी थी। टिपनिस ने तर्क दिया था कि पाकिस्तान की आर्मी भारत में घुसपैठ कर चुकी है और इस वजह से वे ऊंचाई पर बैठकर ठीक से हमले कर पा रहे हैं। यह सुनकर वाजपेयी अपनी कुर्सी से खड़े हो गए और बोले, ‘कृपया LOC को पार ना करें, LOC की क्रॉसिंग नहीं होनी चाहिए।’
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इसके बाद इंडियन एयरफोर्स ने अपने हिस्से से ही ऑपरेशन ‘सफेद सागर’ चलाया। यह 26 मई को शुरू किया गया था। अपने खिलाफ जाती परिस्थितियों के बावजूद भारत ने MiG-21, MiG-27 और Mirage-2000 की मदद से पाकिस्तान को धूल चटा दी।
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पायलेट के पास थीं पाकिस्तानी करेंसी: करगिल की लड़ाई के चरम पर होने के वक्त श्रीनगर एयरबेस को हाई-अलर्ट पर रखा गया था। पाकिस्तान पर हमला करने के लिए एयरफोर्स तैयार बैठी थी। सारे पायलेट्स के पास रिवॉलवर और पाकिस्तानी पैसे थे, ताकि अगर उनका विमान पाकिस्तान या फिर POK में गिर जाए तो भी वह अपने आपको संभाल सकें।

