महाराष्‍ट्र के नक्‍सल प्रभावित गढ़चिरोली में साल 2015 में एक भी पुलिसकर्मी की हत्‍या नहीं हुई और ऐसा 13 साल में पहली बार हुआ है। इससे पहले ऐसा 2002 में हुआ था लेकिन पिछले साल की खासियत यह रही कि 2004 में सीपीआई(माओवाद) के पीपल्‍स वार ग्रुप और माओवादी वामपंथी केन्‍द्र के साथ मिलने के बाद पहली बार ऐसा हुआ। इस गठबंधन के बाद ही नक्‍सलियों ने पीपल्‍स लिबरेशन गुरिल्‍ला आर्मी बनाकर पुलिस के खिलाफ सैन्‍य स्‍तर की लड़ाई छेड़ी थी। हालांकि पिछले साल दो पुलिसकर्मी मारे गए लेकिन वे पड़ोसी राज्‍य छत्‍तीसगढ़ की पुलिस के ऑपरेशन के दौरान नारायणपुर में शहीद हुए थे। 2004 के बाद से गढ़चिरोली में औसतन हर साल 10 पुलिसकर्मियों की जान गई। इस दौरान 2009 में सबसे ज्‍यादा 55 पुलिसकर्मी मारे गए, पिछले तीन साल 2012,2 013 और 2 014 में पुलिस ने क्रमश: 4, 23 और 10 नक्‍सलियों को मारा लेकिन इस दौरान 14,6 और 11 जवानों को भी गंवाया।

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सीपीआई(माओवाद) के पहले और बाद के सालों पर नजर डालें तो पता चलता है कि पुलिसकर्मियों की मौत का आंकड़ा 55 और 133 रहा, वहीं नक्‍सलियों के मरने की संख्‍या 106 और 44 रही। इसी अवधि में घायल पुलिसकर्मियों का आंकड़ा 107 और 383 रहा है। हालांकि 2015 में नक्‍सलियों के मरने की संख्‍या भी केवल दो रही जो कि 2004 के बाद से सबसे कम है। 2004 में यह आंकड़ा शून्‍य था। इसी बीच पुलिस का दावा है कि 2015 में अलग-अलग ऑपरेशंस के दौरान जब्‍त किए गए माओवादी साहित्‍य से पता चला कि तीन और नक्‍सली भी पिछले साल मारे गए, इनमें से दो चिचोड़ा और एक कोंडावाही मुठभेड़ में मारे गए। एसपी संदीप पाटिल इसका श्रेय निरंतर दबदबे, पिछले समय में खाली रही जगहों पर पुलिस की तैनाती और विस्‍फोटकों की जब्‍ती को देते हैं। उन्‍होंने इंडियन एक्‍सप्रेस को बताया कि हमने 244 किलो विस्‍फोटक जब्‍त किया जो कि एक रिकॉर्ड है। इस विस्‍फोटक सामग्री को पुलिस पर हमले के लिए इस्‍तेमाल किया जाना था।

उन्‍होंने बताया कि आदिवासी इलाकों में जरूरी सामग्री उपलब्‍ध कराने से हमारी इंटेलिजेंस मजबूत हुई। यही कारण है कि साल के अंत में नक्‍सलियों ने ज्‍यादा नागरिकों को मारा ताकि उनमें भय व्‍याप्‍त हो। गौरतलब है कि पिछले साल 18 नागरिक मारे गए जबकि 2012, 2013 और 2014 में यह आंकड़ा क्रमश: 24, 13 और 14 था। 2006 में आत्‍मसमर्पण नीति के एलान के बाद साल 2015 में  सबसे ज्‍यादा 55 नक्‍सलियों ने आत्‍मसमर्पण किया। साथ ही नक्‍सलियों के गिरफ्तार होने का आंकड़ा भी सबसे ज्‍यादा 26 रहा। इस बारे में एसपी पाटिल ने बताया कि इस साल जिन नक्‍सलियों ने सरेंडर किया वे काफी महत्‍वपूर्ण थे बजाय पिछले सालों के। इस साल तीन दलम कमांडर, आठ डिप्‍टी कमांडर और 35 दलम सदस्‍यों ने सरेंडर किया। इससे पहले के सालों में ज्‍यादा सरेंडर संघ सदस्‍य किया करते थे। इस साल कम नक्‍सलियों के मारे के सवाल पर एसपी ने बताया कि हालांकि हम इस आंकड़े में वृद्धि चाहते थे लेकिन कम नक्‍सलियों के मारे जाने को पुलिस की सफलता का मानक नहीं मानना चाहिए। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि पुलिस को जीरो नुकसान हुआ है और विस्‍फोटकों की जब्‍ती चरम पर रही। इसका मतलब यह नहीं है कि हमे एनकाउंटर नहीं किए। पिछले साल 30 एनकाउंटर हुए थे