अन्तरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने साल 2019 के लिए भारत की सकल घरेलू उत्पाद वृद्धि दर में कटौती करते हुए इसके 6.1% रहने का अनुमान जताया है। बता दें कि इससे पहले आईएमएफ ने साल 2019 में भारत की जीडीपी ग्रोथ 7.3% रहने का अनुमान जताया था। बता दें कि आईएमएफ से पहले वर्ल्ड बैंक ने भी भारत की विकास दर में कटौती की थी। हालांकि थोड़ी राहत की बात ये है कि आईएमएफ ने साल 2020 के लिए भारत की विकास दर को 7% रहने का अनुमान जताया है।
इसी के साथ आईएमएफ ने 2019 के लिए वैश्विक आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान भी घटाकर तीन प्रतिशत कर दिया है। आईएमएफ ने अपनी नवीनतम ‘विश्व आर्थिक परिदृश्य रपट’ में भारत की आर्थिक वृद्धि दर 2019 में 6.1 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है। यह वर्ष 2018 में भारत की वास्तविक आर्थिक वृद्धि दर 6.8 प्रतिशत से भी कम है। हालांकि उसे उम्मीद है कि 2020 में इसमें सुधार होगा और तब देश की आर्थिक वृद्धि दर सात प्रतिशत पर रह सकती है।
उल्लेखनीय है कि विश्वबैंक ने भी रविवार को अपनी दक्षिण एशिया आर्थिक परिदृश्य की नवीनतम रपट में भारत की आर्थिक वृद्धि दर 2019 में गिरकर छह प्रतिशत रहने का अनुमान जताया था। जबकि 2018 में यह 6.9 प्रतिशत थी। आईएमएफ की रिपोर्ट के अनुसार, पूर्व अनुमान के मुकाबले 2019 का मौजूदा अनुमान 1.2 प्रतिशत और 2020 का 0.5 प्रतिशत कम है।
आईएमएफ के मुताबिक यह घरेलू मांग के उम्मीद से ज्यादा कमजोर रहने को दर्शाती है। आईएमएफ ने कहा, “मौद्रिक नीति में नरम रुख अपनाने, कारपोरेट कर घटाने, कारपोरेट और पर्यावरण से जुड़ी नियामकीय अनिश्चिताओं को दूर करने के हालिया कदम और ग्रामीण मांग बढ़ाने के सरकारी कार्यक्रमों से वृद्धि को समर्थन मिलेगा। इसका असर कुछ समय बाद परिलक्षित होगा।”
आईएमएफ ने चालू वर्ष में चीन की आर्थिक वृद्धि दर 6.1 प्रतिशत और 2020 में 5.8 प्रतिशत पर आने का अनुमान जताया है। जबकि 2018 में पड़ोसी मुल्क की आर्थिक वृद्धि दर 6.6 प्रतिशत थी।
वैश्विक आर्थिक वृद्धि दर के संदर्भ में आईएमएफ ने चेतावनी दी कि वह 2019 के लिए वृद्धि दर अनुमान घटाकर तीन प्रतिशत कर रही है। इसकी प्रमुख वजह व्यापार प्रतिबंधों और भूराजनैतिक तनाव का बढ़ना है। आईएमएफ की मुख्य अर्थशास्त्री भारतीय-अमेरिकी गीता गोपीनाथ ने कहा कि अनुमान में यह गिरावट 2017 में वैश्विक आर्थिक वृद्धि दर 3.8 प्रतिशत रहने के मुकाबले अधिक गंभीर है।