भारत में चोरी से रह रहे अवैध बांग्लादेशी और अन्य अवैध अप्रवासी समस्या बने हुए हैं। हाल ही में दिल्ली पुलिस ने एक ऐसे ‘चालाक घुसपैठिया’ को पकड़ा है, जो डिपोर्ट किए जाने के बाद फिर भारत में घुस आया। 50 वर्षीय फिरोज मुल्ला कथित तौर पर 1990 में अपने माता-पिता के साथ बांग्लादेश के मदारीपुर से पश्चिम बंगाल के रास्ते भारत आया था। 2002 में उसके माता-पिता बांग्लादेश वापस चले गए, लेकिन वह भारत में ही रहा। वह बेहतर जीवन की तलाश में दिल्ली आया और यमुना पुश्ता की ढोलक बस्ती में रहने लगा। हालांकि 2004 में उसे पकड़ लिया गया और बांग्लादेश भेज दिया गया। अठारह साल बाद, वह फिर से “अवैध रूप से” भारत में घुस आया। अधिकारियों ने बताया कि इस बार वह दिल्ली में ही रुक गया और छोटे-मोटे काम करने लगा। कभी दुकानों पर तो कभी ढाबों पर मजदूरी करके वह अपना गुजारा करता रहा।
हाल के दिनों में निर्वासन का सामना करने वाले दूसरा व्यक्ति हैं मुल्ला
हाल के दिनों मुल्ला निर्वासन का सामना करने वाले दूसरा व्यक्ति हैं, दिल्ली में उपराज्यपाल (एलजी) सचिवालय ने दो सप्ताह पहले निर्देश दिया था कि राजधानी में रह रहे “बांग्लादेश से अवैध अप्रवासियों” की पहचान करने और उनके खिलाफ कार्रवाई करने के लिए एक विशेष अभियान शुरू किया जाए। पुलिस ने बताया कि शुक्रवार को एसएचओ रविंदर कुमार त्यागी के नेतृत्व में एक टीम गश्त कर रही थी।
इसी दौरान उन्हें सूचना मिली कि आरके पुरम के सेक्टर-2 के हनुमान मजदूर कैंप में एक संदिग्ध बांग्लादेशी अवैध अप्रवासी रह रहा है। डीसीपी (दक्षिण-पश्चिम) सुरेंद्र चौधरी ने बताया, “सूचना के आधार पर टीम ने तुरंत कार्रवाई की और संदिग्ध (फिरोज मुल्ला) को पकड़ लिया। शुरुआती पूछताछ के दौरान उसने झूठा दावा किया कि वह पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना के बोंगांव का रहने वाला है। हालांकि, लगातार पूछताछ करने पर उसने अपना पैतृक पता साहिब का हट्ट गांव, थाना शिबचर जिला मदारीपुर (बांग्लादेश) बताया।”
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10 दिसंबर को विशेष अभियान के आदेश के बाद से यह किसी “अवैध बांग्लादेशी” अप्रवासी के खिलाफ जारी किया जाने वाला दूसरा निर्वासन आदेश है। अधिकारियों ने बताया कि इससे पहले बुधवार को कथित तौर पर बिना किसी वैध दस्तावेजों के महिपालपुर के रुचि विहार में रह रही सोनाली शेख (28) को निर्वासन आदेश जारी किया गया था।
दक्षिण पश्चिम जिले में अभियान में शामिल रहे एक अधिकारी ने कहा, “आमतौर पर, अवैध अप्रवासियों के पास भी असम और पश्चिम बंगाल जैसे सीमावर्ती राज्यों में बने आधार कार्ड होते हैं। लेकिन इस मामले में उसके पास कोई आधार कार्ड नहीं था।” अधिकारियों ने बताया कि वह कथित तौर पर अपने माता-पिता और छोटे भाई के साथ लगभग छह साल पहले बांग्लादेश के नरैल जिले से भारत आई थी। 10 दिसंबर के आदेश के बाद से दिल्ली पुलिस ने राजधानी में रहने वाले किसी भी अवैध अप्रवासी को निर्वासित करने के लिए जिलेवार अभियान शुरू किया है।