घरेलू हिंसा के एक मामले में मुंबई की एक अदालत ने पति को आदेश दिया कि वो अपनी पत्नी के साथ रह रहे कुत्तों के भरण पोषण का भी इंतजाम करे। मजिस्ट्रेट ने 20 जून को दिए अंतरिम आदेश में व्यक्ति को अलग रह रही अपनी 55 वर्षीय पत्नी को हर महीने 50 हजार रुपये गुजारा भत्ता देने का निर्देश दिया। अदालत ने पत्नी की वह दलील खारिज कर दी कि पालतू कुत्तों के लिए गुजारा भत्ता नहीं दिया जा सकता। इस मामले में एक महिला ने अलग रह रहे अपने पति से गुजारा भत्ता मांगते हुए कहा है कि उसे स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हैं। तीन पालतू कुत्ते भी उस पर निर्भर हैं।

मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट (बांद्रा अदालत) कोमलसिंह राजपूत ने कहा कि वह इन दलीलों से सहमत नहीं हैं। पालतू पशु भी एक सभ्य जीवनशैली का अभिन्न हिस्सा हैं। मनुष्य के स्वस्थ जीवन के लिए पालतू पशु आवश्यक हैं, क्योंकि वो रिश्तों के टूटने से हुई भावनात्मक कमी को दूर करते हैं। अदालत ने कहा कि इसलिए गुजारा भत्ते की राशि कम करने का यह आधार नहीं हो सकता।

महिला ने मांगा था तीन पालतू कुत्तों के लिए भत्ता

महिला ने अदालत का रुख करते हुए कहा था कि उसकी शादी सितंबर 1986 में बेंगलुरु के कारोबारी से हुई थी। शादी के कई साल बाद उनके बीच कुछ मतभेद पैदा हो गए और 2021 में पति ने उसे मुंबई भेज दिया। याचिका के अनुसार उसने अपनी पत्नी को गुजारा भत्ता देने तथा अन्य मूलभूत आवश्यकताएं पूरी करने का आश्वासन दिया था लेकिन यह वायदा निभाया नहीं।

महिला का कहना है कि शादीशुदा जिंदगी के दौरान उसने कई बार घरेलू हिंसा की। याचिका में कहा गया है कि महिला बीमार है। और उसे स्वास्थ्य संबंधी और भी समस्याएं हैं। इसके अलावा तीन कुत्तों की जिम्मेदारी भी उस पर है। लिहाजा गुजारा भत्ता दिलाया जाए। उसका कहना था कि वो अपने पालतू कुत्तों का भरण पोषण करने में असमर्थ है, क्योंकि उसके पास कोई आमदनी नहीं है।