नागरिकता संशोधन कानून, 2019 (CAA) के खिलाफ देशभर में विरोध प्रदर्शन सुर्खियों में बने हुए हैं। इसी मुद्दे पर हिंदी न्यूज चैनल न्यूज-18 इंडिया के कार्यक्रम ‘आरपार’ में सीएए और इसके खिलाफ विरोध-प्रदर्शन कर रहे लोगों को कथित तौर पर प्रशासन द्वारा निशाने बनाए जाने पर बहस हुई। कार्यक्रम में कांग्रेस समर्थक आचार्य प्रमोद कृष्णम पैनल में मौजूद भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा को निशाने पर लेते हुए कहा कि जब कोई सरकार से सवाल पूछता है उसे पाकिस्तान जाने के लिए क्यों कहा जाता है।

आचार्य प्रमोद ने कहा, ‘अगर हिंदुस्तान का मुसलमान है तो वो हिंदुस्तानी है उसे जिन्ना से जोड़ने की गलती मत करिएगा (भाजपा)। भारत के मुसलमान ने जिन्ना की आवाज पर पाकिस्तान जाना स्वीकार नहीं किया। इस मुल्क के मुसलमान ने गांधी के वादे पर हिंदुस्तान की मिट्टी में मरना कबूल किया। अगर गलती जिन्ना की तो सजा हारून यूसुफ को देंगे? नहीं ऐसा नहीं।’ बता दें कि कार्यक्रम में कांग्रेस नेता हारून यूसुफ भी मौजूद थे।

कांग्रेस समर्थक ने आगे कहा कि जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधान निरस्त किए जाने पर भारत का मुसलमान सड़कों पर नहीं निकला। भारत का मुसलमान बाबरी मस्जिद-राम जन्मभूमि विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सड़कों पर नहीं आया।’ आचार्य प्रमोद ने कहा, ‘हम इस बिल का विरोध इसलिए नहीं कर रहे ये हिंदुस्तान-पाकिस्तान का मुद्दा है। हम इस बिल का विरोध इसलिए कर रहे हैं कि इस देश के संविधान के भीतर रहते हुए आप जो फैसले ले रहे हैं तो कम से कम उन्हें फेस करने के लिए तैयार रहें।’

47वें मिनट से देखिए

उल्लेखनीय है कि नागरिकता संशोधन कानून, 2019 (CAA) के जरिए भारत के तीन पड़ोसी देश पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के छह अल्पसंख्यक समुदाय के नागरिकों को भारतीय नागरिकता देने पर संघर्ष जारी है। नए कानून में इन तीनों देशों के छह अल्पसंख्यक समुदायों हिंदू, सिख, बौद्ध, ईसाई, जैन और पारसी को नागरिकता देने का प्रावधान है। कानून में मुस्लिम समुदाय को शामिल नहीं किया, इसपर सरकार का तर्क है कि नया एक्ट तीनों देशों में धर्म के आधार पर पीड़ित अल्पसंख्यक समुदाय को ध्यान में रखकर बनाया गया है और तीनों ही देशों में मुस्लिम अल्पसंख्यक नहीं हैं।

हालांकि विपक्षी दल कांग्रेस सहित विभिन्न राजनीतिक दलों का मानना है कि सरकार ने इस कानून को लाकर भारतीय संविधान की अवहेलना की है, क्योंकि भारतीय संविधान धर्म के आधार पर किसी तरह का कानून बनाने की अनुमति नहीं देता। कानून के खिलाफ पिछले कई सप्ताह से देशभर में प्रदर्शन जारी है। कानून के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन के चलते देशभर में 20 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। इसमें सबसे ज्यादा मौतें भाजपा शासित उत्तर प्रदेश में हुई। आरोप है कि प्रदेश में अधिक मौतें गोली लगने की वजह से हुईं।