Katara Murder Case: नीतीश कटारा हत्याकांड (2002) के दोषी विकास यादव अपनी बीमार मां की देखभाल के लिए अंतरिम जमानत पर बाहर है। यादव को यह जमानत सुप्रीम कोर्ट से मिली थी। अब एक बार फिर एक सप्ताह की शुरूआत में विकास यादव ने अंतरिम जमानत के लिए दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। इस बार उसने 5 सितंबर को होने वाली अपनी शादी का तर्क दिया है।
अंतरिम जमानत याचिका यादव द्वारा इस मामले में दी गई सजा को चुनौती देने वाली याचिका का हिस्सा है। उन्हें बिना किसी छूट के 25 साल की आजीवन कारावास की सजा दी गई है। उन्होंने कहा कि किसी दोषी को वैधानिक छूट का लाभ देना हाई कोर्ट की सजा देने की शक्तियों के अंतर्गत नहीं आता है।
शुक्रवार को कोर्ट ने यादव की याचिका पर केंद्र और दिल्ली सरकार से जवाब मांगा। जस्टिस रविंदर डुडेजा ने यह नोटिस तब जारी किया जब मामले में मूल शिकायतकर्ता और नीतीश कटारा की मां नीलम कटारा ने याचिका पर आपत्ति जताई।
2002 में बिज़नेस एक्ज़ीक्यूटिव नीतीश कटारा की हत्या के लिए आजीवन कारावास की सज़ा पाए कटारा को अप्रैल में सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम ज़मानत दी थी, जिसे बाद में बढ़ा दिया गया था। यादव को 26 अगस्त को अंतरिम ज़मानत की अवधि समाप्त होने पर जेल वापस लौटना है।
यादव की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता एन हरिहरन ने हाई कोर्ट को बताया कि यादव दो आधारों पर अंतरिम जमानत मांग रहे हैं। इसका एक कारण यह है कि यादव की शादी 5 सितंबर को तय हुई है।
उन्होंने कोर्ट को बताया कि मैं 51 साल का हूं… अगर मैं अभी सेटल नहीं हुआ तो मेरे लिए सब खत्म हो जाएगा… आखिरकार किसी ने मुझसे शादी करने का फैसला किया… किसी ने अपनी बेटी देने का फैसला किया और बेटी भी राजी हो गई।
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यादव ने यह भी दलील दी कि उन्हें बदायूं और बुलंदशहर स्थित अपनी दो अचल संपत्तियों को बेचकर आर्थिक व्यवस्था करनी होगी ताकि उच्च न्यायालय द्वारा उनकी सजा के तहत लगाए गए 54 लाख रुपये के जुर्माने का भुगतान किया जा सके। उन्होंने अदालत को बताया कि जुर्माना न चुकाने पर उन्हें तीन साल की अतिरिक्त कैद की सजा काटनी होगी।
जस्टिस डुडेजा ने हाई कोर्ट में अंतरिम ज़मानत के ऐसे अनुरोध की स्वीकार्यता पर सवाल उठाया, क्योंकि यादव अपनी सज़ा काट रहा एक अपराधी है, और सज़ा के ख़िलाफ़ उसकी अपील पहले ही सर्वोच्च न्यायालय द्वारा खारिज की जा चुकी है। 2016 में, सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में विकास और उसके चचेरे भाई विशाल की दोषसिद्धि और बिना किसी छूट के 25 साल की जेल की सज़ा को बरकरार रखा था। हाईकोर्ट उनकी अंतरिम जमानत याचिका पर अगली सुनवाई 2 सितंबर को करेगा, जो उनकी शादी से तीन दिन पहले है। वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने असम में दर्ज मामले में पत्रकार सिद्धार्थ वरदराजन और करण थापर को बड़ी राहत दी है। पढ़ें…पूरी खबर।