मुंबई। शिवसेना ने रविवार को धमकी दी कि महाराष्ट्र में अपनी सरकार बनाने के लिए भाजपा ने अगर शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) से समर्थन लेने की हिमाकत की तो वह राज्य में विपक्ष में बैठेगी। हालांकि, शिवसेना ने यह कहकर मेलमिलाप का दरवाजा भी खुला रखा है कि भाजपा को इस मुद्दे पर दो दिन के भीतर स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए।
पार्टी विधायकों की एक बैठक के बाद शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने रविवार रात मध्य मुंबई स्थित सेना भवन में संवाददाताओं से कहा कि शिवसेना आत्मसम्मान की कीमत पर सत्ता की लालसा नहीं रखेगी। उन्होंने कहा कि अगर हम सत्ता के भूखे होते तो रविवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल के विस्तार में हमारे हाथ जो कुछ भी आया था, उसे स्वीकार कर लेते।
उद्धव ने कहा कि अगर अगले दो दिन में (भाजपा की तरफ से) संतोषजनक जवाब नहीं मिला तो हम विपक्ष में बैठेंगे। उन्होंने कहा कि हमारा मानना है कि हिंदुत्ववादी ताकतों को बिखरना नहीं चाहिए। पर शरद पवार ने भाजपा को समर्थन का ऐलान किया है। राकांपा नेता उन लोगों में शामिल थे जो इशरत जहां (साल 2004 में गुजरात में कथित फर्जी मुठभेड़ में मारी जाने वाली) के घर गए थे।
उद्धव ने कहा कि भाजपा अगर एनसीपी से समर्थन लेती है तो यह राज्य और देश का दुर्भाग्य होगा। उन्होंने कहा कि हिंदुत्ववादी ताकतों को एकजुट रहना चाहिए और भाजपा अगर राकांपा के साथ जाना चाहती है तो हमारे रास्ते अलग-अलग होंगे। उन्होंने कहा कि राकांपा प्रमुख शरद पवार ही वह शख्स हैं जिन्होंने ‘भगवा आतंक’ नाम का शब्द गढ़ा। भाजपा अगर पवार का समर्थन हासिल करती है तो हम विपक्ष में बैठना पसंद करेंगे।
शिवसेना सांसद अनिल देसाई के दिल्ली जाने और बिना शपथ लिए लौट आने के बारे में पूछे जाने पर उद्धव ने कहा कि हमने उनसे (भाजपा) कहा था कि केंद्र के लिए अलग और राज्य के लिए मानदंड नहीं हो सकते। एक ही होगा। केंद्र में आप हमें अपने साथ ले रहे हैं पर राज्य में हमारी भूमिका के बारे में स्थिति स्पष्ट ही नहीं है। शिवसेना और राकांपा नेताओं की हाल ही में हुई एक कथित बैठक के बारे में पूछे जाने पर उद्धव ने कहा कि अगर मुझे उनसे मिलना होगा तो मैं खुलकर मिलूंगा।
पूर्व शिवसेना नेता सुरेश प्रभु को केंद्र में मंत्री बनाए जाने पर उद्धव ने कहा कि पहली बार अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के सत्ता में आने पर बाल ठाकरे ने प्रभु को मंत्री पद के लिए पार्टी की पसंद के तौर पर नामित किया था। उद्धव ने कहा कि पवार ने वाजपेयी सरकार गिराई थी और आज भाजपा पवार का ही साथ चाहती है।
महाराष्ट्र में नवगठित देवेंद्र फडणवीस सरकार को सोमवार को विधानसभा में बहुमत साबित करना है। भाजपा के पास 121 विधायक हैं। 288 सदस्यों वाली विधानसभा में उसे साधारण बहुमत के लिए 24 और विधायकों की जरूरत है।
मूल रूप से हैदराबाद की पार्टी और महाराष्ट्र विधानसभा के हालिया चुनावों में दो सीटें जीतने वाली ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल-मुसलमीन (एआइएमआइएम) की तरफ इशारा करते हुए उद्धव ने कहा कि हिंदुओं के लिए खतरनाक ताकतों ने हालिया विधानसभा चुनावों में अपना सिर उठाया है। उन्होंने कहा कि ऐसे समय में यदि भाजपा ‘भगवा आतंक’ का शब्द गढ़ने वाले पवार के साथ जाना चाहती है तो हम विपक्ष में बैठेंगे। मैं अपनी पार्टी की तरफ से फैसला करने के लिए स्वतंत्र हूं। मुझे भाजपा से जवाब की अपेक्षा है। यह पूछे जाने पर कि उनकी पार्टी महाराष्ट्र में भाजपा की सरकार का हिस्सा बनने के लिए जोर क्यों नहीं डाल रही, उद्धव ने कहा कि हम बिन बुलाए मेहमान नहीं हो सकते।
इस बीच, पड़ोस के ठाणे जिले से विधायक एकनाथ शिंदे को रविवार शाम शिवसेना ने विधानसभा में पार्टी के विधायक दल का नेता चुना। उधर, उद्धव के बयानों पर प्रतिक्रिया देते हुए मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि शिवसेना की सहमति के बाद ही दिल्ली में होने वाले शपथ ग्रहण समारोह में पार्टी सांसद अनिल देसाई का नाम शामिल किया गया था। भाजपा विधायक दल की रविवार देर रात हुई बैठक के बाद मुख्यमंत्री ने कहा कि बहरहाल उन्होंने (देसाई) अंतिम समय में शपथ नहीं ली। फडणवीस ने कहा कि शिवसेना और भाजपा के बीच गठबंधन अगर होता है तो यह सिद्धांतों के आधार पर होगा। किसे कौन सा विभाग मिलेगा, यह सवाल बाद का है।