केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और मंत्रियों को हटाने संबंधी हाल ही में पेश किए गए विधेयक का बचाव किया और तर्क दिया कि राजनीतिक नैतिकता को बनाए रखने के लिए यह कानून बहुत ही जरूरी था। गृह मंत्री ने कहा कि अगर केजरीवाल ने जेल में रहते हुए इस्तीफा दे दिया होता तो इस तरह का संशोधन लाने की स्थिति पैदा नहीं होती।
केरल में मनोरमा न्यूज कॉन्क्लेव में बोलते हुए उन्होंने कहा, “क्या देश की जनता चाहती है कि कोई मुख्यमंत्री जेल में रहकर सरकार चलाए? यह कैसी बहस है? मुझे समझ नहीं आ रहा। यह नैतिकता का सवाल है। अब वे पूछ रहे हैं कि इसे पहले संविधान में क्यों नहीं शामिल किया गया। जब संविधान का मसौदा तैयार किया गया था, तब यह अनुमान नहीं लगाया गया था कि जेल जा चुके लोग निर्वाचित पदों पर बने रहेंगे।”
केंद्रीय गृह मंत्री शाह ने कहा, “अब एक ऐसी घटना हुई है, जिसमें एक मुख्यमंत्री ने जेल से सरकार चलाई। तो क्या संविधान में संशोधन किया जाना चाहिए या नहीं? उस समय भाजपा की सरकार भी सत्ता में थी, लेकिन हमें ऐसी स्थिति का सामना कभी नहीं करना पड़ा।” शाह ने कहा, “अगर केजरीवाल इस्तीफा दे देते तो हम यह आज भी नहीं बदलते। मगर मैं मानता हूं कि लोकतंत्र के अंदर नैतिकता का स्तर टिकाने की जिम्मेदारी पक्ष और विपक्ष दोनों की है।”
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी गयाजी में विपक्षी दलों पर जमकर हमला बोला था। उन्होंने कहा, “अगर किसी सरकारी कर्मचारी को जेल हो जाती है, तो वह स्वतः ही अपनी नौकरी खो देता है, चाहे वह ड्राइवर हो, क्लर्क हो या चपरासी हो। लेकिन क्या किसी मुख्यमंत्री, मंत्री या यहां तक कि प्रधानमंत्री को जेल में रहते हुए भी सरकार में बने रहना चाहिए।”
पीएम मोदी ने आगे कहा, “इसलिए हमने एक ऐसा कानून लाने का फैसला किया, जिसके तहत अगर कोई भ्रष्ट मुख्यमंत्री या यहां तक कि प्रधानमंत्री 30 दिन जेल में बिताता है, तो उसे बर्खास्त किया जा सकता है। लेकिन जब हम एक कड़ा कानून लेकर आए, तो राजद, कांग्रेस और वामपंथी दल भड़क गए। वे इसलिए नाराज हैं, क्योंकि वे अपने पापों की सजा भुगतने से डर रहे हैं। प्रशांत किशोर ने गिरफ्तार पीएम-सीएम को पद से हटाने वाले विधेयक का किया समर्थन