केंद्रीय मंंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने द इंडियन एक्सप्रेस के कार्यक्रम ‘Idea Exchange’ में शिरकत की। यहां उन्होंने भारत में स्टारलिंक की एंट्री के विरोध, पूर्वोत्तर में विकास की परियोजनाओं, साइबर क्राइम से निपटने और यूपीए व एनडीए सरकारों का हिस्सा होने पर खुलकर बात की।
आप एक साल से ज्यादा समय से पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय (MDoNER) का कार्यभार संभाल रहे हैं। आपके अनुसार, इस क्षेत्र की प्रमुख जमीनी चुनौतियां क्या हैं और आप उनसे निपटने की क्या योजना बना रहे हैं?
ज्योतिरादित्य सिंधिया: प्रधानमंत्री ने अपने कार्यकाल के शुरुआती वर्षों से ही यह स्पष्ट कर दिया था कि पूर्वोत्तर में न सिर्फ भारत, बल्कि पूरे दक्षिण-पूर्व एशिया के विकास की अपार संभावनाएं हैं। निरंतर पहलों के जरिए इस क्षेत्र को महत्व दिया गया है, जिसमें भारत सरकार द्वारा इस क्षेत्र को दिया जाने वाला 10% सकल बजटीय समर्थन भी शामिल है। यह साल 2014 में 24,000 करोड़ रुपये प्रति वर्ष से बढ़कर 2023-24 में उच्चतम स्तर 1,02,000 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है।
अगर आप राष्ट्रीय राजमार्गों पर नजर डालें तो इनका नेटवर्क 10,000 किलोमीटर से बढ़कर 16,200 किलोमीटर हो गया है। लगभग पांच राज्य रेलवे नेटवर्क से जुड़े हुए हैं और 80,000 करोड़ रुपये की लगभग 19 परियोजनाएं जमीनी स्तर पर उतारी जा रही हैं। बोगीबील पुल भारत का सबसे लंबा रोड कम रेल ब्रिज है। आज पूर्वोत्तर में हमारे 17 हवाई अड्डे हैं। अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम में एक भी हवाई अड्डा नहीं था। अब अरुणाचल प्रदेश में चार हवाई अड्डे हैं। यह परिवर्तन अभूतपूर्व रहा है। सभी पूर्वोत्तर राज्य 11 से 13% की दशकीय औसत चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर से बढ़ रहे हैं।
स्टारलिंक भारत आ रहा है। क्या इसकी ज्यादा लागत को देखते हुए यह मुख्यतः शहरी क्षेत्र में ही होगा?
दूरसंचार मंत्री के रूप में मेरा काम हर उपभोक्ता को यथासंभव अधिक से अधिक विकल्प उपलब्ध कराना है। हमने ISPs (इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर), दूरसंचार कंपनियों, ब्रॉडबैंड प्रोवाइडर्स और सेटेलाइट प्रोवाइडर्स सहित हर क्षेत्र में ऐसा किया है। अब तक तीन लाइसेंस दिए जा चुके हैं। आपके पास वनवेब, जियो और अब स्टारलिंक हैं। हर ग्राहक अपनी कीमत और अपनी इच्छा के अनुसार सर्विस का चयन सकता है।
सैटकॉम के संबंध में, मेरा मानना है कि यह मोबाइल टेलीफोनी की एक पूरक सेवा होगी। दुनिया के कई हिस्से ऐसे हैं जहां दुर्गम भूभाग, टावर लगाने में असमर्थता, बैकहॉल के लिए ऑप्टिकल फाइबर केबल न बिछा पाने के कारण मोबाइल टेलीफोनी नहीं पहुंंच पाती है और ऐसे क्षेत्रों में सैटकॉम ही एकमात्र व्यवहार्य विकल्प है। इसके अलावा प्राकृतिक आपदा की स्थिति में जब संस्थागत प्रणालियां ठप हो जाती हैं, तो सैटकॉम ही एकमात्र ऐसा जरिया है जो कनेक्टिविटी प्रदान करने में सक्षम है।
आपकी कुछ डाकघरों को पट्टे पर देने के लिए फिर से विकसित करने की भी योजना है। क्या रियल एस्टेट से धन जुटाने की भी कोई योजना है?
भारतीय डाक के पास न सिर्फ भारत में, बल्कि दुनिया भर में किसी भी वैल्यू चेन की तुलना में सबसे बड़ी डिस्ट्रिब्यूशन क्षमता है। आज दुर्भाग्य से, भारतीय डाक भारत सरकार के लिए एक लागत केंद्र (cost centre) बन गए हैं। मेरा संकल्प है कि इन्हें एक प्रॉफिट सेंटर में बदला जाए। इसके लिए, हमें व्यवसाय सृजन, व्यवसाय सेवा और स्वयं में आमूल-चूल परिवर्तन लाना होगा।
हम एक पूर्ण बीपीआर (बिजनेस प्रोसेस रीइंजीनियरिंग) एक्सरसाइज पर विचार कर रहे हैं। पहली बार, हमने भारतीय डाक संगठन को छह वर्टिकल में विभाजित किया है। हमने छह SBUs (स्ट्रेैटजिक बिजनेस यूनिट) बनाए हैं। यानी डाक, अंतर्राष्ट्रीय डाक, पार्सल, वित्तीय सेवाएं, पीएलआई (डाक जीवन बीमा) और नागरिक केंद्रित सेवाएं। हमने चार क्षैतिज इकाइयां बनाई हैं जो इन छह वर्टिकल को सेवाएं प्रदान करेंगी – वित्त, मानव संसाधन, आईटी और एक अतिरिक्त। हमने एक सीटीओ (मुख्य प्रौद्योगिकी अधिकारी) भी नियुक्त किया है और प्रत्येक वर्टिकल प्रमुख के साथ एक डिप्टी सीटीओ काम करेगा। हम इस बात पर विचार कर रहे हैं कि हम प्रति लेनदेन अपने संगठन की लागत संरचना की जांच कैसे कर सकते हैं।
आइए आपको बताते हैं इस आईडिया एक्सचेंज कार्यक्रम की अन्य बड़ी बातें…
साइबर क्राइम से जुड़े एक सवाल पर ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा– मुझे नहीं लगता कि यह लड़ाई अकेले सरकार लड़ सकती है जब तक कि आप हर एक नागरिक को शामिल न करें। इसलिए, दूरसंचार विभाग ने संचार साथी पोर्टल लॉन्च किया है। उस पोर्टल के लगभग 15.5 करोड़ डाउनलोड हो चुके हैं। हमने संचार साथी ऐप भी पेश किया है, जिसके लगभग 50 लाख डाउनलोड हो चुके हैं। संचार साथी पोर्टल के ज़रिए, नागरिकों से मिले फीडबैक के आधार पर, ‘मेरा नंबर नहीं’ और ‘जरूरी नहीं’ नामक सुविधा के जरिए लगभग 1.36 करोड़ मोबाइल फोन डिस्कनेक्ट किए गए हैं। संचार साथी के ज़रिए, लगभग 36 लाख मोबाइल नंबर ब्लॉक किए गए हैं क्योंकि वे या तो चोरी हो गए थे या खो गए थे। लगभग 21 लाख मोबाइल ट्रेस किए गए हैं और पांच लाख मोबाइल बरामद करके उनके असली मालिकों को लौटा दिए गए हैं। हमने AI का भी इस्तेमाल किया है और एस्ट्रा नामक एक प्रोग्राम शुरू किया है, जहां हमने लोगों को अपनी आईडी पर (कई) फोन नंबर लेते देखा है, जो कि गैरकानूनी है। हमने उस सिस्टम के जरिए लगभग 82 लाख फोन डिस्कनेक्ट किए हैं।
मंत्री के तौर पर मनमोहन और मोदी सरकार के विभिन्न चरणों में क्या फर्क? – द इंडियन एक्सप्रेस की पत्रकार लिज मैथ्यू के इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि दूसरे और तीसरे चरण में कोई अंतर नहीं है। यह हमेशा एनडीए सरकार रही है, (अटल बिहारी) वाजपेयी के समय से, जब एनडीए अस्तित्व में आया था। यह कभी भी अकेले बीजेपी की सरकार नहीं रही। यह एक बिल्कुल अलग मॉडल है (मनमोहन सिंह सरकार की तुलना में)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मॉडल परिणाम पर आधारित है। यह एक ऐसा मॉडल है जो प्रमुख परिणाम क्षेत्रों में प्रमुख प्रदर्शन संकेतकों (performance indicators) को बहुत मजबूती से स्थापित करता है। यह एक ऐसा मॉडल है जहां प्रत्येक नागरिक को भारत की विकास गाथा का हिस्सा बनना है।
दिव्य ए द्वारा ‘मृत अर्थव्यवस्था’ वाले बयान को लेकर पूछे गए सवाल पर ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा– मैं देश से बाहर के लोगों से बात नहीं करूंगा क्योंकि हर किसी की अपनी राय होती है। लेकिन मुझे लगता है कि अगर आप एक भारतीय हैं और अगर आप देशभक्त हैं और आप अपने देश के हर संस्थान, यहां तक कि अपने देश के लिए भी, एक ही शब्द का इस्तेमाल करते हैं – आप चुनाव आयोग की आलोचना करते हैं और उसे मृत घोषित कर देते हैं, आप हमारी सशस्त्र सेनाओं की क्षमता को कम करने में कोई कसर नहीं छोड़ते, आप न्यायपालिका का मजाक उड़ाते हैं, आप चुनाव आयोग का मजाक उड़ाते हैं, आप हमारी अर्थव्यवस्था को मृत घोषित कर देते हैं – तो आपको शुभकामनाएं। देश आगे बढ़ चुका है।