IAS अधिकारी निधि चौधरी उस वक्त अचानक से सुर्खियों में आ गई थीं, जब उनके एक ट्वीट पर हंगामा हो गया था। दरअसल अपने उस ट्वीट में निधि चौधरी ने 30.01.1948 के लिए नाथूराम गोडसे को धन्यवाद दिया था। बता दें कि 31/01/1948 को ही नाथूराम गोडसे ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की हत्या की थी। यही वजह रही कि 2012 बैच की आईएएस अधिकारी के इस ट्वीट पर खूब विवाद हुआ और आईएएस अधिकारी पर गोडसेवादी होने के आरोप लगाए गए। एनबीटी की एक खबर के अनुसार, निधि चौधरी ने 31 मई को ट्वीट कर लिखा था कि “150वीं जयंती मनाने के पीछे क्या उम्मीद हो सकती है। यह सही वक्त है कि देश की करंसी से उनकी तस्वीर हटायी जाए और उनके स्टेटस को भी दुनिया से हटाया जाना चाहिए। अब हमें एक सच्ची श्रद्धांजलि देने की जरुरत है…धन्यवाद गोडसे 30.01.1948 के लिए।” आईएएस अधिकारी के इस ट्वीट पर कांग्रेस और राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के नेता तो इस कदर नाराज हो गए कि महिला अधिकारी के निलंबन की मांग कर डाली। हंगामा होते देख महिला अधिकारी ने बाद में अपने ट्वीट को डिलीट कर दिया था।

अपने बचाव में आईएएस अधिकारी निधि चौधरी का कहना है कि उनके ट्वीट को ‘गलत समझा’ गया। निधि चौधरी ने कहा कि उन्होंने यह ट्वीट व्यंग्य के रुप में किया था, लेकिन इसे गलत समझ लिया गया। मुंबई बीएमसी में ज्वाइंट म्यूनिसिपल कमिश्नर के पद पर तैनात रहीं निधि चौधरी को इस पूरे विवाद का खामियाजा भुगतना पड़ा और फिलहाल उनका वाटर एंड सैनिटेशन विभाग में तबादला कर दिया गया है। रैडिफ डॉट कॉम के साथ एक इंटरव्यू में आईएएस अधिकारी निधि चौधरी ने बताया कि वह कभी भी गांधी जी का अपमान नहीं करेंगी। गांधी जी की आत्मकथा को निधि चौधरी ने अपनी पसंदीदा किताब बताया। वहीं पूरे विवाद पर राजनेताओं की प्रतिक्रिया पर आईएएस अधिकारी ने कहा कि “ये लोग कैसे सोच सकते हैं कि मैं एक गोडसेवादी हूं? मुझे गांधीवादी होने की सजा मिली। ये लोग क्या गांधीवादी सिद्धांतों को समझते भी हैं? इन्होंने गांधीजी का उससे भी ज्यादा अपमान किया है, जितना वो सोचते हैं कि मेरे कथित ट्वीट ने किया। ”

महिला अधिकारी ने कहा कि “मुझे चेताया गया था कि विचारों की आजादी की कीमत चुकानी पड़ती है। मैं मानती हूं कि नौकरशाह और सरकारी कर्मचारी सरकार के नियमों से बंधे होते हैं। आप मेरी पूरी टाइमलाइन देख सकते हैं, लेकिन इसमें एक भी आपत्तिजनक ट्वीट नहीं मिलेगा, जिससे राज्य सरकार की बदनामी हो। हम देश और देश के संविधान के प्रति वफादार हैं, ना कि किसी राजनैतिक पार्टी के लिए। कोई ऐसा सोच भी कैसे सकता है कि मैं देश के राष्ट्रपिता का अपमान कर सकती हूं!”