भारतीय वायुसेना की ताकत जितनी बताई जा रही है हकीकत में वह उससे भी काफी कम है। एक अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा और रक्षा विशेषज्ञ की रिपोर्ट के अनुसार घटती ताकत, समस्याग्रस्त सैन्य संरचना और अस्त व्यस्त खरीद व विकास कार्यक्रम के चलते भारतीय वायुसेना को चीन और पाकिस्तान से बड़ा खतरा है। विशेषज्ञ एश्ले टेलिस ने बताया कि अगर दक्षिण एशिया में वह स्थिरता और रणनीतिक संतुलन चाहता है तो भारत के लिए हवाई क्षमता काफी अहम है। टेलिस की रिपोर्ट ‘ट्रबल्स, दे कम इन बटालियंस: द मेनिफेस्ट ट्रेवेल्स ऑफ द इंडियन एयर फोर्स’ में वायुसेना की वर्तमान स्थिति का पैना लेखाजोखा पेश किया गया है। इसमें भारतीय वायुसेना की पड़ोसी देशों का सामना करने की तैयारी का भी जायजा दिया गया है।
इसके अनुसार कई पैमानों पर भारत की हवाई क्षमता अपर्याप्त है। उदाहरण के तौर पर रिपोर्ट में लिखा है, 2016 की शुरुआत तक भारतीय वायुसेना के पास आवश्यक सामान्य 36.5 स्कवाड्रन भी नहीं थी। इसके कई फ्रंटलाइन लड़ाकू विमान पुराने पड़ चुके हैं। पाकिस्तान व चीन के पास 750 एडवांस्ड मल्टीरोल फाइटर जेट हैं। जबकि भारत के पास ऐसे विमानों की संख्या 450 ही है। 2025 तक चीन के पास भारत के खिलाफ 300 से 400 के बीच लड़ाकू विमान तैनात कर ने की क्षमता हो सकती है। वहीं पाकिस्तान के पास यह क्षमता 100-200 होगी। टेलिस ने कहा कि भारत का 2027 तक 42-42 स्कवाड्रन यानि कि 750-800 फाइटर जेट रखने की इच्छा दमदार है लेकिन इस लक्ष्य का पहुंच पाना मुश्किल है।
उन्होंने बताया कि भारत के रक्षा बजट में कई गंभीर रूकावटें हैं। इसके चलते खरीद में देरी होती है। साथ ही वह खुद भी इस तरह के विमान बनाने में असमर्थ है। बता दें कि पिछले दिनों वायुसेना के वाइस एयरमार्शल धनोआ ने भी माना था कि भारत एक साथ चीन और पाकिस्तान से हवाई युद्ध नहीं लड़ सकता। उसके पास लड़ाकू विमानों की कमी है। हाल ही में भारत की फ्रांस से 36 राफेल विमान खरीदने की प्रक्रिया चल रही है। हालांकि इसमें काफी समय पहले ही लग चुका है।