Indian Air Force Aerial Strike: 1999 में करगिल संघर्ष के दौरान भारतीय वायुसेना तैनात थी, मगर 1971 के युद्ध के बाद मंगलवार (26 फरवरी) को पहली बार उसने पाकिस्‍तान के भीतर लक्ष्‍य को निशाना बनाया। बताया जाता है कि पूरे ऑपरेशन को पिछले सप्‍ताह राजनैतिक स्‍वीकृति मिली। यह ऑपरेशन एक घंटे से भी कम समय में पूरा हो गया। केवल एक लक्ष्‍य निर्धारित किया गया, खतरे ज्‍यादा थे और सफलता की गारंटी का दबाव बहुत ज्‍यादा। वायुसेना ने अपने सबसे बेहतरीन पायलटों, एयरक्राफ्ट्स और अत्‍याधुनिक हथियारों का इस्‍तेमाल बालाकोट स्थित जैश-ए-मोहम्‍मद के कैंप पर सटीक एयर स्‍ट्राइक करने के लिए किया।

द इंडियन एक्‍सप्रेस को मिली जानकारी के अनुसार, पहला बम सुबह 3.45 बजे जाभा टॉप पर गिराया गया, इसके बाद 8 मिनट तक पहाड़ी पर बमवर्षा की जाती रही। BBC वर्ल्‍ड सर्विस टीवी (उर्दू और हिंदी) से बातचीत में कम से कम दो चश्‍मदीदों ने “पांच धमाके” और “भूकंप जैसी थरथराहट जो 5-10 मिनट तक रही” का जिक्र किया है। ये धमाके वायुसेना को हाल ही में अपग्रेड होकर मिले फ्रांस निर्मित मिराज-2000 लड़ाकू विमानों के सटीक-निर्देशित बमों से किए गए। इन विमानों में नाइट-विजन युक्‍त कॉकपिट है, अपग्रेडेड नेविगेशन और IFF (दुश्‍मन या दोस्‍त को पहचानो) सिस्‍टम, एडवांस्‍ड मल्‍टी-मोड मल्‍टी-लेयर्ड रडार और एक पूरी तरह इंटीग्रेटेड इलेक्‍ट्रॉनिक वारफेयर सुइट है।

एयर स्‍ट्राइक के लिए दर्जन भर मिराज-2000 का इस्‍तेमाल हुआ। उन्‍हें एस्कॉर्ट करते हुए चार सुखोई Su-30 एयरक्राफ्ट भी गए थे। रूस में बने सुखोई को इसलिए साथ भेजा गया था ताकि पाकिस्‍तान वायुसेना की ओर से जवाबी कार्रवाई होने पर एक्‍शन लिया जा सके। सुखोई जेट्स ने एक ”फॉरवर्ड स्‍वीप” किया जिससे यह पता लगाया जाता है कि सामने वाले की प्रतिक्रिया कैसी है, इसके बाद असली हमला करने वाला एयरक्राफ्ट लक्ष्‍य की ओर बढ़ता है। सूत्रों के अनुसार, उड़ान के दौरान पाकिस्‍तान के रडारों को भारत ने ‘मास्किंग द हिल्‍स’ तकनीक अपना कर चकमा दिया। यानी पाकिस्‍तानी वायुसेना को फुसलाने के लिए दो विमान इस्‍तेमाल किए गए। लड़ाकू विमान पहले नीचे उड़ते रहे, फिर लक्ष्‍य भेदने के लिए अचानक ऊपर उठे।

इस पूरे मिशन की निगरानी करने के लिए इजरायली फाल्‍कन एयरबॉर्न वॉर्निंग एंड कंट्रोल सिस्‍टम (AWACS), स्‍वदेशी NETRA एयरबॉर्न अर्ली वॉर्निंग एंड कंट्रोल सिस्‍टम एयरक्राफ्ट (AEW&C) को लगाया गया था। इन्‍होंने दिखाया कि जब वायुसेना का ऑपरेशन चल रहा था, उस दौरान 100 किलोमीटर के दायरे में कोई एयरक्राफ्ट नहीं था।

सूत्रों ने कहा कि मिराज-2000 फ्लीट को हमला करने के लिए लक्ष्‍यों के को-आर्डिनेट्स दिए गए थे। खुफिया इनपुट्स के आधार पर बालाकोट की जो जगहें चिन्हित की गईं, उसमें यह ध्‍यान रखा गया कि आसपास कोई आबादी न रहती हो और किसी तरह का अतिरिक्‍त नुकसान न हो। बालाकोट एयर स्‍ट्राइक को अंजाम देने वाले मिराज-2000, SPICE-2000 और क्रिस्‍टल मेज मार्क2 जिसे AGM 142 Popeye मिसाइल भी कहा जाता है, से लैस थे। इन दोनों की वजह से वायुसेना को बिल्‍कुल सटीक निशाना लगाने की क्षमता मिली। मिराज-2000 का करगिल युद्ध में भी सफलतापूर्वक इस्‍तेमाल किया गया था।

पहला बम सुबह 3.45 बजे जाभा टॉप पर गिराया गया।

इजरायल में बनी Popeye मध्‍यम-दूरी की एक पारंपरिक मिसाइल है जिसे करीब 90 किलोमीटर की दूरी से फायर किया जा सकता है, यानी इसके लिए एयरक्राफ्ट को लक्ष्‍य के ऊपर होने की जरूरत नहीं। SPICE (Smart Precise Impact and Cost Effective guidance kit)-2000 इजरायल द्वारा Popeye मिसाइल के लिए बनाई गई एक फॉरवर्ड और टेल किट है, जो 2000 पाउंड के Mk 84 बम पर रखी होती है। इससे Popeye एक स्‍मार्ट गाइडेड हवा से जमीन में मार करने वाली मिसाइल बन जाती है, जिसे 60 किलोमीटर दूर से छोड़ा जा सकता है।

यह ”दागो और भूल जाओ” किस्‍म का हथियार है जो एक बार लॉन्‍च सीधे जाकर लक्ष्‍य को भेदता है। इस दौरान यह अपने नेविगेशन सिस्‍टम पर ही निर्भर होता है। लक्ष्‍य की मॉनिटरिंग और आकलन के लिए वायुसेना ने Heron अनमैन्‍ड एरियल व्‍हीकल (UAV) को भी तैनात किया था। इस एयर स्‍ट्राइक से बालाकोट में कितना नुकसान हुआ, इसकी जानकारी वायुसेना ने नहीं दी है, जिसका आकलन Heron UAV से मिली तस्‍वीरों के आधार पर हुआ होगा।