समाजवादी पार्टी के दिग्गज नेता आजम खान के बेटे अब्दुल्ला आजम खान ने यूपी की कोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी है जिसमें उन्हें दो साल की सजा सुनाई गई थी। उस फैसले के बाद उनकी विधानसभा सदस्यता भी चली गई। सुप्रीम कोर्ट ने अब्दुल्ला की याचिका को स्वीकार करते हुए कहा है कि हम आपका केस सुनेंगे। जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस बीवी नागरत्ना की बेंच ने कहा कि केस को 5 अप्रैल के लिए लिस्ट किया जाए।

अब्दुल्ला आजम खान के वकील ने सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाते हुए कहा कि उनके क्लाइंट की सीट पर चुनाव आयोग उप चुनाव कराने जा रहा है। चुनाव आयोग ने 13 अप्रैल की तारीख के लिए अधिसूचना भी जारी कर दी है। 13 से चुनाव प्रक्रिया शुरु करा दी जाएगी। लिहाजा सुप्रीम कोर्ट उनकी अपील को सुने।

हाईकोर्ट गए पर तीन सप्ताह बाद की तारीख मिली

वकील ने कहा कि वो राहत के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट भी गए थे। 17 मार्च को हाईकोर्ट ने सुनवाई की। लेकिन कोर्ट ने सजा पर स्टे तो लगाया नहीं। मामले की सुनवाई 3 सप्ताह बाद तय कर दी। उन्होंने हाईकोर्ट से मामले की सुनवाई तुरंत करने की अपील की थी, क्योंकि उन्हें लग रहा था कि अब्दुल्ला की खाली सीट पर कभी भी चुनाव कराए जाने का नोटिफिकेशन जारी किया जा सकता। उनकी दलील थी कि उन्हें नहीं लगता कि इलाहाबाद हाईकोर्ट से उनको न्याय मिलेगा, लिहाजा सुप्रीम कोर्ट उनकी याचिका को तुरंत प्रभाव से सुने।

अब्दुल्ला आजम ने अपनी दलील में कहा कि 15 साल पुराने मामले में यूपी की एक कोर्ट ने उनको दो साल की सजा सुनाई थी। पुलिस का आरोप है कि उनके पिता आजम खान ने बेवजह धरना देकर जनता और मशीनरी को परेशान किया। इस मामले में आजम खान को भी दो साल की सजा सुनाई गई थी। अब्दुल्ला का कहना है कि 2008 में ये केस दर्ज किया गया था। उस समय वो केवल 15 साल के थे।

उन्हें नहीं पता था कि धरने में शामिल होना अपराध होता है

अब्दुल्ला आजम का कहना है कि वो अपने पिता के साथ धरने पर यूं ही चले गए थे। उन्हें उस वक्त ये पता नहीं था कि धरने में शामिल होना आपराधिक कृत्य भी हो सकता है। कोर्ट ने उन्हें दो साल की सजा सुनाई और उसके दो दिन बाद ही उनकी विधानसभा सदस्यता भी रद हो गई। अब्दुल्ला की दरखास्त थी कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले में तुरंत न्याय करे।