केंद्र ने आर्टिकल 370 को जब वापस लिया तो जम्मू कश्मीर के IAS शाह फैसल खासे मुखर थे। उन्होंने राष्ट्रपति के फैसले के खिलाफ एक रिट भी दायर की थी। लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट फिर से मामले की सुनवाई करने जा रहा है तो फैसल का कहना है कि ये अब गुजरी हुई बात है। न तो उनको और न ही कश्मीरियों को इस मसले को में कोई रुचि है। आर्टिकल 370 हटने के बाद शाह फैसल ने IAS की नौकरी छोड़ दी थी। उन्होंने अपनी एक राजनीतिक पार्टी का गठन भी किया था। लेकिन बाद में उन्होंने केंद्र से अनुरोध करके नौकरी फिर से जॉइन कर ली थी।

शाह फैसल ने कहा कि संवैधानिक प्रावधान अतीत की बात हैं और इसे वापस नहीं लिया जा सकता। फैसल ने ट्विटर पर लिखा कि मेरी तरह अधिकतर कश्मीरियों के लिए अनुच्छेद 370 अतीत की बात है। हिंद महासागर में झेलम और गंगा हमेशा के लिये विलीन हो गई हैं। इसे वापस नहीं लिया जा सकता है। अब सिर्फ आगे बढ़ा जा सकता है।

एक साल तक हिरासत में भी रहे थे शाह फैसल

2010 बैच के आईएएस अधिकारी फैसल को अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त किए जाने और जम्मू कश्मीर राज्य को केंद्रशासित प्रदेशों में विभाजित करने के एक वर्ष से अधिक समय तक हिरासत में रखा गया था। उन्होंने सेवा से इस्तीफा देकर ‘जम्मू कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट’ की शुरुआत की थी। हालांकि सरकार ने उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया और उनको संस्कृति मंत्रालय में तैनात कर दिया गया।

फैसल ने साल 2019 में अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के फैसले के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी। सरकार ने अप्रैल 2022 में फैसल की इस्तीफा वापस लेने के निवेदन को स्वीकार कर लिया और उनकी सेवा को बहाल कर दिया। फैसल ने अनुच्छेद 370 को निरस्त करने को चुनौती देने वाली याचिका वापस लेने के लिए इसी माह आवेदन दिया था।

गौरतलब है कि अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के लगभग चार साल बाद देश के सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान बेंच 11 जुलाई को इस फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करेगी।