Delhi High Court: दिल्ली के ओल्ड राजेंद्र नगर IAS कोचिंग हादसे की उच्चस्तरीय जांच करवाने की मांग वाली याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट में बुधवार को सुनवाई हुई। इस दौरान दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली नगर निगम (MCD) को कड़ी फटकार लगाई। कोर्ट ने सवाल किया कि उपनियमों के उदारीकरण के बावजूद, सदियों पुराने बुनियादी ढांचे को सही क्यों नहीं किया गया।
दिल्ली हाई कोर्ट ने आगे सवाल किया कि बेसमेंट में पानी कैसे घुस गया। इस बात पर जोर देते हुए कि बुनियादी ढांचे को पर्याप्त रूप से सहीं क्यों नहीं किया गया था। कोर्ट ने सिविक अधिकारियों को लताड़ लगाते हुए कहा कि मुझे यह कहते हुए खेद है कि सिविक अधिकारी दिवालिया हो चुके हैं,” बुनियादी ढांचे के मुद्दों और सुरक्षा चिंताओं को संबोधित करने में प्रभावी कार्रवाई और जिम्मेदारी की गंभीर कमी को उजागर किया।
‘इमारतों को मंजूरी दे रहे हैं, लेकिन ढंग के नाले नहीं हैं’
दिल्ली हाई कोर्ट ने प्राधिकारियों को फटकार लगाते हुए कहा कि आप बहुमंजिला इमारतों को मंजूरी दे रहे हैं, लेकिन ढंग के नाले नहीं हैं। आप मुफ्त की सौगातें बांटने की संस्कृति चाहते हैं, कर नहीं वसूलना चाहते; इसलिए ऐसा तो होना ही है।
हाई कोर्ट ने प्राधिकारियों पर तंज करते हुए कहा कि उन्हें बुनियादी ढांचे का निर्माण करने की जरूरत है, लेकिन वे दिवालिया हो गए हैं और वेतन भी नहीं दे पा रहे हैं। अजीब जांच चल रही है, पुलिस पास से गुजरने वाले कार चालक के खिलाफ कार्रवाई कर रही है, लेकिन एमसीडी अधिकारियों के खिलाफ नहीं। हाई कोर्ट ने किसी केंद्रीय एजेंसी को कोचिंग सेंटर में अभ्यर्थियों की मौत के मामले की जांच करने का निर्देश देने के संकेत दिए।
‘एमसीडी आयुक्त, पुलिस उपायुक्त और जांच अधिकारी शुक्रवार को पेश हों’
इस दौरान दिल्ली हाई कोर्ट ने एमसीडी आयुक्त, पुलिस उपायुक्त और जांच अधिकारी को शुक्रवार को कोर्ट में पेश होने के निर्देश दिए। साथ ही प्राधिकारियों को राजेंद्र नगर इलाके में सभी नालों के ऊपर किए गए सभी अवैध निर्माण को शुक्रवार तक हटाने को कहा।
याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि ऐसा लगता है कि हम जंगल में रह रहे हैं। नियम कहते हैं कि एमसीडी और दूसरे विभाग अवैध निर्माण या सेफ्टी नियमों की अनदेखी के सामने आते ही कार्रवाई करें। क्या इन्हें कहीं अनियमितता नहीं दिखती है।
वकील ने कहा कि एक छात्र ने राजेंद्र नगर बेसमेंट में चल रहे कोचिंग संस्थानों की शिकायत की। दो बार रिमाइंडर भी भेजे थे, लेकिन शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। मामले की उच्चस्तरीय जांच हो। यह भी देखा जाए कि शिकायत पर क्या कार्रवाई हुई? क्या शिकायत की जांच के लिए किसी अधिकारी को नियुक्त किया गया था? कोर्ट दिल्ली के हर जिले में अवैध निर्माण की जांच के लिए ज़िला लेवल कमेटी भी बनाए।
एक दूसरे वकील ने कहा कि कुछ दिनों पहले करंट लगने से एक छात्र मर गया था। लगातार लापरवाही हो रही है। भ्रष्टाचार से हर कोई पैसे बना रहा है। एमसीडी जानबूझकर सेफ्टी नियमों की उपेक्षा कर रही है। वकील ने कहा कि हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में कमेटी बने। इसका विस्तार दिल्ली के हर जिले तक हो। अवैध पीजी चल रहे हैं। एक बिल्डिंग में 50-60 छात्र रह रहे हैं। हर इलाके के लिए एमसीडी के लोग तय हैं। यह खुला तथ्य है कि निर्माण के दौरान हर लेंटर के लिए वसूली होती है।
दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि नियम बने हुए हैं। उनके पालन की कोशिश की जाती है। बिल्डिंग के आधार पर ही कोचिंग को अनुमति मिलती है। फायर सेफ्टी के लिए इंस्पेक्शन होता है। हम कोचिंग संस्थानों पर लगातार कार्रवाई कर रहे हैं। 75 को नोटिस दिया। 35 बंद हुए, 25 को सील किया गया। कुछ दूसरी जगह शिफ्ट हुए।
इस पर याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि घटना के बाद अब कार्रवाई का दिखावा किया जा रहा है। पहले कुछ नहीं किया। दिल्ली सरकार ने इस पर कहा कि कई जांच कमेटी बनी हैं। उनकी रिपोर्ट से और जानकारी मिलेगी। यह सब की साझा जिम्मेदारी है। इस तरह की घटनाएं दुखद हैं।
इसके बाद हाई कोर्ट के जज ने कहा कि समस्या यह है कि आपने सुविधाओं का ढांचा विकसित किए बिना बिल्डिंग बायलॉज में ढील दी। कई फ्लोर का निर्माण हो जाता है, लेकिन सरकार को जो सुविधाएं देनी होती है, वह नहीं दी जा रही। एमसीडी के पास कर्मचारियों को वेतन देने के लिए पैसे नहीं हैं। लोगों को सुविधा क्या देगी।
क्या एमसीडी के अधिकारियों की भूमिका की जांच पुलिस कर रही है?
हाई कोर्ट ने कहा कि 100 साल पुराना इंफ्रास्ट्रक्चर है, जिसे विकसित किए बिना बेहिसाब निर्माण होने दिया जा रहा है। पुलिस क्या जांच कर रही है? किसे पकड़ा अभी तक? क्या खुद पुलिस की जानकारी के बिना अवैध निर्माण हो जाते हैं, दूसरी गतिविधियां चलती हैं? सब के सब गेंद दूसरे के पाले में डालने में लगे हैं। क्या एमसीडी के अधिकारियों की भूमिका की जांच पुलिस कर रही है? इतना पानी वहां कैसे जमा हुआ?
कोर्ट ने कहा कि क्या एमसीडी के अधिकारियों की भूमिका की जांच पुलिस कर रही है? इतना पानी वहां कैसे जमा हुआ? इसके बाद वकील ने कहा कि आप घर पर एक ईंट लगाइए, एमसीडी के लोग तुरंत आ जाएंगे, लेकिन उनके आने का मकसद वसूली होता है। अवैध निर्माण रोकने में उनकी कोई दिलचस्पी नहीं है।
कार्यकारी चीफ जस्टिस मनमोहन ने कहा कि सरकार को पहले सुविधा विकसित करनी चाहिए, फिर निर्माण की इजाज़त देनी चाहिए। यहां ऐसा कुछ नहीं हो रहा। सिर्फ बेहिसाब निर्माण होता चला जा रहा है। बिल्डिंग बायलॉज को ढीला कर दिया गया है।
हाई कोर्ट ने कहा कि सड़क से गुजरने वाले को भी पकड़ लिया गया, लेकिन एमसीडी के वरिष्ठ अधिकारियों की क्या कोई भूमिका नहीं? सिर्फ कुछ जूनियर लोगों को सस्पेंड कर दिया, बस. बड़े अधिकारी अपने एसी कमरे से बाहर भी नहीं निकल रहे।
जस्टिस ने कहा कि सरकार को कुछ पता ही नहीं है। उसकी कोई योजना ही नहीं है. एक दिन सूखे की शिकायत करते हैं, दूसरे दिन बाढ़ आ जाती है. आपको अपनी मुफ्त योजनाओं पर दोबारा विचार की ज़रूरत है 6-7 लाख लोगों के लिए बसाए गए शहर में तीन करोड़ से ज़्यादा लोग हो गए हैं। इंफ्रास्ट्रक्चर का कोई विकास नहीं हो रहा है।
दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि ड्रेनेज की जगह पर एक पूरा मार्केट बस गया है। सरकार और एमसीडी इसे जानते हैं, पर इसकी बात भी नहीं कर रहे। अगर ड्रेन टूट गया है तो उसे ठीक नहीं किया जा सकता। हर चीज़ इतनी जटिल कर दी गई है कि एमसीडी को खुद कुछ पता नहीं कि कैसे सुधारें। जब पानी आता है, तो वह इंतज़ार नहीं करता। किसी को तो ज़िम्मेदारी लेनी होगी। हम एमसीडी कमिश्नर को निर्देश देते हैं कि खुद उस इलाके में जाएं। अगर पुलिस सही जांच नहीं करेगी, तो हम सीबीआई को मामला सौंपेंगे। दिल्ली में एमसीडी है, जल बोर्ड है, PWD है। किसकी ज़िम्मेदारी क्या है, पता ही नहीं चलता। शायद हमें केंद्रीय गृह मंत्रालय से विचार करने को कहना होगा कि दिल्ली कैसे चलेगी।
‘कोचिंग संस्थानों के लिए कानून लाएगी दिल्ली सरकार‘
दिल्ली सरकार शहर में संचालित कोचिंग सेंटरों को विनियमित करने के लिए कानून लाएगी। कैबिनेट मंत्री आतिशी ने बुधवार को यह जानकारी दी।
दिल्ली के ओल्ड राजेंद्र नगर इलाके में बीते हफ्ते एक कोचिंग सेंटर की इमारत के ‘बेसमेंट’ में बारिश का पानी भरने के कारण तीन सिविल सेवा अभ्यर्थियों की मौत हो गई थी।
आतिशी मार्लेना ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि कानून बनाने के लिए सरकार एक समिति गठित करेगी, जिसमें सरकारी अधिकारी और विभिन्न कोचिंग केंद्रों के अभ्यर्थी शामिल होंगे।
आप नेता ने कहा कि कानून में बुनियादी ढांचे, शिक्षकों की योग्यता, शुल्क विनियमन और भ्रामक विज्ञापनों के प्रसार पर रोक लगाने के संबंध में प्रावधान होंगे। जनता की राय भी मांगी जाएगी। आतिशी ने कहा कि दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) ने कानूनों का उल्लंघन कर ‘बेसमेंट’ का इस्तेमाल करने वाले कोचिंग सेंटरों पर कार्रवाई की है।
आतिशी ने कहा कि राजेंद्र नगर, मुखर्जी नगर, लक्ष्मी नगर और प्रीत विहार में 30 कोचिंग सेंटर के ‘बेसमेंट’ सील कर दिए गए हैं, जबकि 200 अन्य कोचिंग सेंटर को नोटिस जारी किए गए हैं।’’ आतिशी ने कहा कि ओल्ड राजेंद्र नगर में हुई घटना की मजिस्ट्रेट जांच की रिपोर्ट अगले छह दिनों में आएगी।
उन्होंने कहा कि अगर इस घटना में किसी भी अधिकारी को दोषी पाया गया, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। इमारत के अवैध इस्तेमाल के कारण ओल्ड राजेंद्र नगर की घटना हुई।’’ आतिशी के मुताबिक, जांच से यह भी पता लगेगा कि किस अधिकारी ने ‘राउ आईएएस स्टडी सर्कल’ में ‘बेसमेंट’ के अवैध इस्तेमाल के बारे में एक आईएएस अभ्यर्थी की ओर से एमसीडी (दिल्ली नगर निगम) को भेजी गई शिकायत को नजरअंदाज किया।
दिल्ली की मंत्री ने कहा कि मजिस्ट्रेट जांच से यह भी पता लगाया जाएगा कि कौन-सा अधिकारी शिकायत पोर्टल का प्रभारी था, जहां शिकायत अपलोड की गई थी और क्यों तथा कैसे शिकायत को नजरअंदाज किया गया। ग्वालियर के एक सिविल सेवा अभ्यर्थी ने सोमवार को दावा किया था कि उसने संस्थान के ‘बेसमेंट’ का अवैध इस्तेमाल करने के बारे में एमसीडी से शिकायत की थी और 15 व 22 जुलाई को इस संबंध में पत्र भेजे थे, लेकिन मामले में कोई कार्रवाई नहीं की गई।