हुर्रियत कांफ्रेंस के कट्टरपंथी धड़े के नेता सैयद अली शाह गिलानी ने साल 2010 की अशांति के बाद आज पहली बार जनसभा की, जिसमें उनके समर्थकों ने पाकिस्तानी झंडे लहराए और पाकिस्तान के समर्थन में नारेबाजी की।

गिलानी तीन महीने बाद दिल्ली से श्रीनगर पहुंचे तो उनके समर्थकों और हुर्रियत के नेताओं ने उनका भव्य स्वागत किया। इस मौके पर कट्टरपंथी अलगाववादी नेता मसर्रत आलम भट्ट भी मौजूद था।

साल 2010 के हिंसक प्रदर्शनों में मसर्रत ने अहम भूमिका निभाई थी और वह हाल ही में जेल से रिहा हुआ था। उस दौरान हुई हिंसा में 100 से अधिक युवक मारे गए थे। उन प्रदर्शनों के बाद यह गिलानी की पहली रैली थी।

गिलानी ने कहा कि कश्मीर भारत और पाकिस्तान के बीच का सीमा विवाद नहीं है, बल्कि यह राज्य के एक करोड़ लोगों का मुद्दा है। उन्होंने कहा, ‘‘हम यथास्थिति को स्वीकार नहीं करेंगे और आत्म-निर्णय के अधिकार को हासिल करने के लिए जद्दोजहद जारी रहेगी। हम शिमला समझौते या लाहौर घोषणा को स्वीकार नहीं करेंगे।’’

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