एनआईटी श्रीनगर में व्याप्त तनाव के बीच केंद्रीय मानव संसाधन विकास (एचआरडी) मंत्रालय का दो सदस्यीय एक दल बुधवार को यहां पहुंचा और उसने प्रौद्योगिक संस्थान के अधिकारियों के साथ बैठक की। इस बीच, कश्मीर के बाहर से आए छात्रों ने ‘‘राष्ट्र विरोधी’’ गतिविधियों में शामिल कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए उनके समक्ष अपनी पांच मांगें रखीं। एनआईटी के एक अधिकारी ने मीडिया को बताया, ‘‘एचआरडी मंत्रालय से दो सदस्यीय दल यहां पहुंचा और उसने एनआईटी के अधिकारियों से मंत्रणा की।’’

एचआरडी के दल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि दल में एचआरडी मंत्रालय में निदेशक :तकनीकी शिक्षा: संजीव शर्मा और उप निदेशक वित्त फजल महमूद शामिल हैं । स्थिति का जायजा लेने के लिए वे संस्थान के छात्रों के साथ बातचीत करेंगे। अधिकारी ने बताया, ‘‘छात्रों के बीच भरोसा बढ़ाने और उनकी सुरक्षा के बारे में उन्हें आश्वस्त करने के लिए यह पहल की गई है।’ एचआरडी दल के यहां पहुंचने पर नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने कहा कि मामले को ‘‘समझदारी के साथ निपटाने’’ की जरूरत है और राज्य सरकार को इसे ‘‘बाहरी हस्तक्षेप के बिना’’देखना चाहिए।

उमर ने ट्विटर पर लिखा, ‘‘मानव संसाधन मंत्रालय द्वारा टीम भेजा जाना और जम्मू कश्मीर पुलिस की जगह सीआरपीएफ लगाना, महबूबा मुफ्ती में दिल्ली का भरोसा बताने के लिए काफी है।’’बीते शुक्रवार को टी20 विश्व कप टूर्नामेंट के सेमीफाइनल में भारत की हार के बाद परिसर में स्थानीय और बाहरी छात्रों के बीच झड़प हुई थी। झड़प के बाद एनआईटी अधिकारियों ने संस्थान को बंद कर दिया था जिसे कल फिर से खोला गया। मंगलवार को भी परिसर का माहौल तनावपूर्ण रहा। पुलिस और छात्रों के बीच झड़प के बाद पुलिस ने लाठीचार्ज किया जिसमें कुछ छात्र घायल हो गए। घटना के बाद बाहर से यहां पढ़ने आए छात्रों ने असुरक्षा की भावना जताते हुए परिसर छोड़ने का प्रयास किया।

चार अप्रैल को एनआईटी श्रीनगर के प्रबंधन को लिखे एक पत्र में अन्य राज्यों से आए इन छात्रों ने अपनी पांच मांगें रखते हुए कहा कि उनका मानना है कि प्रशासन को उन्हें परिसर में शांतिपूर्ण तरीके से रहने और अपनी पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित करने का अधिकार देना होगा। पत्र के मुताबिक, ‘‘परिसर में राष्ट्रविरोधी गतिविधियों के बढ़ने के चलते छात्रों और गैर कश्मीरी छात्रों ने गंभीर समस्या के साथ जान का खतरा भी महसूस किया है। भय की स्थिति होने के कारण छात्र अपने घर जाना चाहते हैं।’’छात्रों ने मांग की, ‘‘संस्थान के मुख्य द्वार पर राष्ट्र ध्वज फहराया जाना चाहिए :साथ में राज्य का झंडा भी फहराया जा सकता है।:’’

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छात्रों ने आरोप लगाया कि जम्मू कश्मीर पुलिस उन्हें सुरक्षा मुहैया कराने में सक्षम नहीं है। छात्रों ने मांग करते हुए कहा, ‘‘इसके बजाय उन्होंने जम्मू (कश्मीर पुलिस) छात्रों पर लाठीचार्ज किया और उन पर आंसू गैस के गोले छोड़े। इसलिए एनआईटी श्रीनगर में छात्रों की सुरक्षा के लिए केंद्रीय बलों को तैनात किया जाना चाहिए।’’

छात्रों संस्थान में होने वाली सभी परीक्षाओं, कार्यक्रमों और गतिविधियों के दौरान ‘‘समानता और पारदर्शिता’’ बरतने की भी मांग करते हुए कहा कि ‘‘संकाय की ओर से कोई शैक्षणिक उत्पीड़न नहीं होना चाहिए।’’छात्रों ने कहा कि ‘‘राष्ट्र विरोधी गतिविधियों और हिंसा में शामिल संकाय और प्रशासनिक सदस्यों के खिलाफ’’ कार्रवाई होनी चाहिए। पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि पुलिसकर्मियों के साथ छात्रों की मंगलवार को जोरदार बहस हुई और उन्होंने कथित रूप से एक अधिकारी को धक्का भी दिया, जिसके चलते पुलिसकर्मियों ने लाठीचार्ज किया। पुलिस की इस कार्रवाई में कई छात्र घायल हो गए, जिसके बाद परिसर में हालात बिगड़ने की आशंका के मद्देनजर सीआरपीएफ की दो टुकड़ियां तैनात की गईं।

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