Delhi Election 2025: दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर मुकदमा चलाने के लिए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को मंजूरी दे दी है। जिसके बाद दिल्ली में फरवरी में होने वाले विधानसभा चुनावों का माहौल गर्म हो गया है। हालांकि, आम आदमी पार्टी (AAP) का गठन भ्रष्टाचार को समाप्त करने के मुद्दे पर किया गया था। जिसमें अरविंद केजरीवाल ने खुद को एक साफ राजनेता के रूप में पेश किया था। केजरीवाल ने वादा किया था कि वो भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म कर देंगे। हालांकि, राजनीति में एंट्री करने के बाद बीजेपी और कांग्रेस ने लगातार हमला किया साथ ही कई सवाल भी उठाए हैं।

उपराज्यपाल के इस कदम पर पहली प्रतिक्रिया केजरीवाल के सहयोगी और पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की ओर से आई। जिन्होंने एक्स पर कहा कि अगर एलजी ने ईडी को मुकदमा चलाने की अनुमति दे दी है, तो इसकी कॉपी कहां है? यह स्पष्ट है कि यह एक अफवाह है।” वास्तव में, सभी आप नेताओं ने एलजी की मंजूरी पर सवाल उठाए हैं और सबूत मांगे हैं।

चाहे जो भी हो, AAP इस घटनाक्रम का इस्तेमाल यह दिखाने के लिए ज़रूर करेगी कि भाजपा घबरा गई है और एक बार फिर अपने विरोधियों को डराने के लिए एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है। इतना ही नहीं, आप सहानुभूति हासिल करने की भी कोशिश करेगी और इसका इस्तेमाल दिल्ली चुनावों के लिए अपने मतदाताओं तक पहुंचने के लिए करेगी।

लेकिन, भाजपा के लिए यह सबूत है कि वे यह दिखाना चाहते हैं कि आप भ्रष्टाचार में ऊपर तक डूबी हुई है। उनका कहना है कि शराब घोटाला का मामला दिखाता है कि पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल “सरगना” है और वह दोष से बच नहीं सकते। वे यह भी कह रहे हैं कि ईडी नोट में होटल में ठहरने और पूर्व सीएम के कार्यालय से पैसे आने के सबूत हैं और अगर वह सत्ता में वापस आते हैं, तो भ्रष्टाचार अपने चरम पर होगा और इसका लाभ लोगों को नहीं मिलेगा।

दिल्ली भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने कहा कि यह स्पष्ट है कि केजरीवाल दिल्ली आबकारी नीति घोटाले के सरगना हैं और जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ेगी, उन्हें उसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा।

भाजपा के लिए यह करो या मरो की लड़ाई है। पिछले 12 सालों से दिल्ली में सत्ता से बाहर होने के कारण पार्टी के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वह वापसी करे और यह सुनिश्चित करे कि इंडिया ब्लॉक के गढ़ों में से एक ढह जाए। भाजपा जानती है कि अगर दिल्ली में AAP हार जाती है, तो पंजाब भी उसके लिए मुश्किल हो सकता है।

कांग्रेस के लिए यह एक कठिन लड़ाई है। हालांकि, AAP के साथ गठबंधन को लेकर पार्टी में चल रही खींचतान के बावजूद, कांग्रेस ने पलटवार करने का फैसला किया है। दरअसल, शीला दीक्षित के बेटे और पूर्व सांसद संदीप दीक्षित को केजरीवाल के खिलाफ मैदान में उतारा गया है। उन्होंने हाल ही में कहा कि यह अपेक्षित था और यह कुछ ऐसा है जो पहले ही किया जाना चाहिए था। उन पर मुकदमा चलाने के लिए पर्याप्त सबूत थे।

दिलचस्प बात यह है कि यह कांग्रेस ही थी जिसने केजरीवाल के खिलाफ शराब-कांड का मुद्दा सबसे पहले उठाया था, जब वे दोस्त नहीं थे। फिलहाल, खेल शुरू हो चुका है और भाजपा तथा AAP दिल्ली की लड़ाई में भ्रष्टाचार के नारे पर लड़ेंगे।

आबकारी घोटाला क्या है?

आबकारी मामला 2021-22 के लिए दिल्ली सरकार की आबकारी नीति तैयार करने और उसे क्रियान्वित करने में कथित भ्रष्टाचार और धन शोधन से संबंधित है, जिसे बाद में रद्द कर दिया गया था। एलजी सक्सेना ने कथित अनियमितताओं की सीबीआई जांच की सिफारिश की थी। इसके बाद ईडी ने पीएमएलए के तहत मामला दर्ज किया।

मामले में दाखिल पूरक आरोपपत्र में 55 वर्षीय केजरीवाल और AAP को आरोपी बनाया गया है। केजरीवाल की भूमिका के बारे में 209 पन्नों के आरोपपत्र में कहा गया है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल दिल्ली सरकार के मंत्रियों, आम आदमी पार्टी (आप) के नेताओं और अन्य लोगों के साथ मिलीभगत करके दिल्ली आबकारी घोटाले के मुख्य साजिशकर्ता और सरगना हैं।

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एजेंसी ने दावा किया कि अरविंद केजरीवाल ने अपराध की इन आय का एक हिस्सा सीधे निजी तौर पर इस्तेमाल किया है, इसके लिए उन्होंने चनप्रीत सिंह (मामले में एक और आरोपी) से गोवा के ग्रैंड हयात में श्री अरविंद केजरीवाल के ठहरने और कार्यक्रम के लिए भुगतान करवाया। एजेंसी ने कहा कि केजरीवाल ने अपराध की इन आय को दिल्ली सरकार के फंड के साथ भी मिलाया।

आरोप है कि राजनेताओं और शराब कारोबारियों के ‘साउथ ग्रुप’ ने 2021-22 के लिए दिल्ली की आबकारी नीति में अनुकूल स्थिति हासिल करने के लिए 100 करोड़ रुपये की रिश्वत दी और इन धनराशियों में से 45 करोड़ रुपये 2022 के विधानसभा चुनावों के दौरान गोवा में आप के प्रचार अभियान के लिए भेजे गए।

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