Moody’s Indian Economy Prediction:अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में ऐतिहासिक जीत के बाद अब डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर दुनिया के सबसे पावरफुल मुल्क की सत्ता संभालेंगें। एक पूर्व राष्ट्रपति का शासन के दौरान चुनाव हारना और फिर अगले चुनाव में जीतकर वापसी करना अमेरिकी राजनीति में एक बड़ी ऐतिहासिक घटना मानी जा रही है लेकिन बड़ा सवाल यह है कि आखिर डोनाल्ड ट्रंप की व्हाइट हाउस में वापसी से वैश्विक अर्थव्यस्था और भारतीय अर्थव्यवस्था पर क्या असर पड़ेगा, क्योंकि भारत फिलहाल दुनिया की सबसे तेज विकास दर से आगे बढ़ रहा है।
अर्थव्यवस्था के मामले में रेटिंग देने वाली एजेंसी मूडीज के अनुसार अमेरिका की सत्ता में इस बड़े बदलाव का भारतीय अर्थव्यवस्था को बड़ा फायदा हो सकता है। मूडीज की रेटिंग्स से पता चलता है कि भारत को मुख्य फायदा अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड वॉर के चलते हो सकता है, क्योंकि एशियाई क्षेत्र में काम करने के लिए चीन में बैठी कई अमेरिकी कंपनियां भारत में भी चाइना प्लस वन नीति के तहत बड़ा निवेश कर सकती हैं।
चीन की अर्थव्यवस्था पर पड़ सकता है नकारात्मक प्रभाव
वैश्विक रेटिंग एजेंसी मूडीज के अनुसार एशिया-प्रशांत रणनीतिक क्षेत्र में अमेरिकी दखल बढ़ने से चीन की मुश्किलें बढ़ सकती है। यह बदलाव संभवतः चीन की अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव डालेगा और क्षेत्रीय विकास को प्रभावित करेगा। इसके विपरीत, भारत और आसियान जैसे देशों को इस बदलते परिदृश्य में नए अवसर मिल सकते हैं।
Donald Trump की सरकार अमेरिकी नीतियों में कर सकती है बड़े बदलाव
मूडीज का अनुमान है ट्रंप के शासनकाल में अमेरिका की वैश्विक नीतियों में कुछ बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं। इसमें राजकोषीय, व्यापार, जलवायु और प्रवासी मुद्दे शामिल हैं।
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राष्ट्रपति चुनाव के दौरान अपने कैंपेन में ट्रंप ने 2017 के टैक्स कटौती और रोजगार अधिनियम को स्थायी बनाकर, कॉर्पोरेट कर दरों में कटौती करके और आयकर में राहत प्रदान करके टैक्स सुधार को आगे बढ़ाने के अपने इरादे का संकेत दिया था।
चीन से आयात पर लग सकता है भारी टैक्स
ट्रंप की इन नीतियों के साथ ही व्यापक टैरिफ के चलते भी भारत की अर्थव्यवस्था मिल सकती है, क्योंकि ट्रंप चीनी आयात पर भारी टैक्स लगाने के संकेत दे चुके हैं।
इतना ही नहीं, मूडीज ने यह भविष्यवाणी भी की है कि डोनाल्ड प्रशासन के तहत संरक्षणवादी व्यापार नीति की संभावना है, जो वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं को बाधित कर सकती है और आयातित सामग्रियों और वस्तुओं पर निर्भर क्षेत्रों, जैसे विनिर्माण, प्रौद्योगिकी और खुदरा पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है।
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क्लाइमेट चेंज मुद्दे पर भी बदल सकता है रुख
क्लाइमेट चेंज पॉलिसी के मामले में भी ट्रंप प्रशासन से बदलाव की संभावना है। इसकी वजह यह है कि ट्रंप अमेरिकी ऊर्जा प्रभुत्व के बैनर तले जीवाश्म ईंधन उत्पादन में वृद्धि की वकालत कर रहे हैं। इससे स्वच्छ ऊर्जा पहलों के लिए वित्तपोषण में कमी आ सकती है तथा पेरिस समझौते से संभावित वापसी हो सकती है, जिससे ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कटौती के लिए देश की प्रतिबद्धताएं कमजोर हो सकती हैं।
एजेंसी ने कहा कि इस बदलाव के परिणामस्वरूप संभवतः जीवाश्म ईंधन उद्योग के लिए नए सिरे से समर्थन मिलेगा, स्वच्छ ऊर्जा और हरित प्रौद्योगिकियों के लिए वित्त पोषण में कमी आएगी, तथा पर्यावरण संबंधी नियमों में ढील आएगी, जिससे ऊर्जा और ऑटो क्षेत्रों में उत्सर्जन को कम करने के लिए पर्यावरण संरक्षण एजेंसी के प्रयास भी शामिल हैं। ये सारे वो पहलू हैं, जिनमें ढील देने से सीधा फायदा भारत को मिल सकता है।