जम्मू-कश्मीर के हालातों पर अमेरिकी कांग्रेस पैनल की 22 अक्टूबर को होने वाली सुनवाई से पहले हाउस फॉरेन अफेयर्स कमेटी ने कहा है कि कश्मीर में संचार पाबंदी का ‘विनाशकारी प्रभाव’ पड़ा है और भारत को चाहिए कि अब इन पाबंदियों को हटाए। सोमवार (7 अक्टूबर, 2019) को किए एक ट्वीट में कमिटी ने कहा, ‘कश्मीर में कम्युनिकेशन ब्लैकआउट का असर लोगों के रोजमर्रा के जीवन और कल्याण पर विनाशकारी प्रभाव पड़ रहा है। भारत के लिए इन प्रतिबंधों को हटाने और कश्मीरियों को किसी भी अन्य भारतीय नागरिक के बराबर अधिकार और विशेषाधिकार देने का समय है।’ अमेरिकी सांसद और हाउस सबकमिटी ऑन एशिया के चेयरमैन ब्रेड शेरमैन ने घोषणा की है कि 22 अक्टूबर को सुबह दस बजे सबकमिटी ‘दक्षिण एशिया में मानवाधिकार’ मामले पर सुनवाई करेगी।
अमेरिकी सांसद शेरमैन के मीडिया में आए बयान के मुताबिक, ‘कमिटी के असिस्टेंट सेक्रेटरी एलिस वेल्स मामले में गवाही देंगे। वेल्स जो दक्षिण एशिया के साथ सभी देशों की पॉलिसी की देखरेख करते हैं। डिप्टी असिस्टेंट सेक्रेटरी स्कॉट ब्यूसबी भी मामले में अपनी गवाही देंगे जो दक्षिण एशिया में मानवाधिकार मामलों की देखरेख करते हैं। हमने देश में अन्य विभागों में तैनात अधिकारियों को बुलाया है और हमें यह भी उम्मीद है कि निजी मानवाधिकार कार्यकर्ता इस मामले में बोलेंगे।’
उल्लेखनीय है कि इसी बीच पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने देश के दौरे पर आए अमेरिकी कांग्रेस के एक प्रतिनिधिमंडल से सोमवार को मुलाकात की। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को कश्मीरी लोगों के अधिकारों के लिए अपनी आवाज उठानी चाहिए। इमरान खान अमेरिकी सीनेटर क्रिस वान होलेन और मारग्रेट सी हासन से मुलाकात के दौरान ये टिप्पणी की। ‘जियो टीवी’ के मुताबिक खान ने कहा, ‘अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वह जम्मू कश्मीर के लोगों के अधिकारों और स्वतंत्रता के सम्मान के लिए अपनी आवाज बुलंद करे।’
वहीं भारत ने पाकिस्तान को बताया है कि जब तक वह सीमा पार आतंकवाद को समर्थन देता रहेगा नई दिल्ली इस्लामाबाद के साथ वार्ता नहीं करेगा। खबर में बताया गया कि कश्मीर में मानवाधिकार को लेकर चिंता जताने वाले अमेरिकी सीनेटरों में होलेन भी शामिल हैं। (इनटपुट सहित)